ज्वालामुखी का फटना
पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि ज्वालामुखी का फटना अलग बात है, भूकंप अलग बात है और सूर्य की तेज किरणें अलग बात है। कांच पर जब किरणें पड़ती हैं तभी प्रकाश फैलता है । ज्ञान को बाँधने का नाम ध्यान है जब तक ज्ञान को बाँधने का उपक्रम नहीं करेंगे तब तक अन्तर्मुहरत की साधना को गति नहीं मिल पाती है। जब सूर्य की किरणों की उष्णता से कंडे में भी अग्नि प्रज्ज्वलित होती है। समयसार को रटने से ज्ञान प्रज्ज्वलित नहीं हो सकता है जब सूर्य की किरण की तरह वो अंतरात्मा में प्रवेश करता है तब ज्ञान की ज्योति प्रज्ज्वलित होती है।
गुरुवर ने कहा कि सोचने से पहले सुनना जरूरी है जब तक हम सुनेंगे नहीं तब तक सोचना व्यर्थ है। सूर्य की भाँती ऊर्जा मनुष्य के अंतर में निहित है परंतु ज्ञान के आभाव में वो ऊर्जा उद्घाटित नहीं हो पा रही है और ज्ञान तभी प्रकट होगा जब हम ज्ञान की खान के निकट पहुंचेंगे । जिनवाणी को पढ़ने भर से काम चलने बाला नहीं है उसे गढ़ना भी पढ़ेगा। ज्ञान का सदुपयोग करने से ही ज्ञान की किरणें हर दिशा में फ़ैल सकती हैं जो सूर्य की किरणों की भाँती प्रत्येक आत्मा को प्रकाशित करने में सक्षम होगी।
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