संसार में आधी व्याधि रोग
पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ने जैन मंदिर परिसर हबीबगंज में आयोजित धर्मसभा में कहा कि संसार में आधी व्याधि रोग ,मानसिक रोग ,बौद्धिक रोग हर प्रकार के रोग हैं और उनकी चिकित्सा भी है ।जब आप भगवान को अर्घ समर्पित करते हो तो उसके अर्थ पर भी ध्यान दिया करो ।आप बोलते हैं क्षुधा रोग विनाशनाय परंतु आपकी क्षुधा हर पल बढ़ती ही जाती है ,शांत ही नहीं होती है ।अपने रोगों को लेकर आप संतों के पास भी जाते हो संतों के पास आपके तन की नहीं मन की ओषधि होती है और ये ओषधि आपको पूर्ण रूप से निरोगी कर देती है । परंतु एक बार यदि चिकित्सक रुपी संत को आपने स्वयं को दिखा दिया तो फिर संसार के दूसरे चिकित्सक को नहीं दिखाना । संत कभी रोगी के पीछे नहीं घुमते परंतु रोगी को संसार के घुमाबदार चक्करों से जरूर बाहर निकाल देते हैं ।आप लोगों को अनादिकाल से रोग लगे हुए हैं जो बहुत पुराने रोग हैं और इनसे छुटकारा पाने के लिए आपको निर्विकल्प होकर हम जैंसे चिकित्सकों के समक्ष आना चाहिए तभी आपको फायदा होगा ।आपके क्षुधा रोग के निवारण के लिए आहार पर नियंत्रण से बड़ी कोई औषधि नहीं है । तृष्णा की खाई भी आज इतनी गहरी होती जा रही है जिसमें लोग स्वयं डूबते जा रहे हैं । आप पूजन में जन्म, जरा,मृत्यु रोग विनाशनाय कहते हैं परंतु इस और कदम बढ़ाने में कंजूसी भी करते हैं तभी आप इन रोगों से ग्रस्त रहते हो । रोगों से मुक्ति तभी होगी जब भोगों से मुक्ति की और कदम बढ़ाओगे ।
0 Comments
Recommended Comments
There are no comments to display.
Create an account or sign in to comment
You need to be a member in order to leave a comment
Create an account
Sign up for a new account in our community. It's easy!
Register a new accountSign in
Already have an account? Sign in here.
Sign In Now