क्षमावाणी महोत्सव लाल परेड
परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज ससंघ के सानिध्य एवं मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंहजी चौहान की उपस्थिति में गांधीजी और शास्त्री जी की "जन्म जयंती" के अवसर पर आयोजित भावों की निर्मल सरिता में अवगाहन करने आया हूँ इन पंक्तियों को जीवन में चरितार्थ करने पर ही केवल ज्ञान का मार्ग प्रशस्त होगा और में भी इसी मार्ग पर चलने का प्रयास कर रहा हूँ । उक्त उदगार पूज्य आचार्य श्री विद्यासागरज महाराज ने आज 1 ओक्टूबर को हबीबगंज में आयोजित पुजन कार्यक्रम में अपने प्रवचनों में व्यक्त किये ।
उन्होंने कहा कि नीलिमा एक कषाय का रूप है । भले ही आप कितने दावे करो की हमारे खानदान में कोई कषाय नहीं कर्ता परंतु आपका चेहरा आपकी कषाय की कहानी बता देता है । मन बचन और काया से ,कृत से, कारित से ,अनुमोदना से,प्रत्यक्ष से , परोक्ष से यही भाव करें कि हे भगवसन हमें इस कषाय से रहित होना है । आपने यदि मंदिर में कोई वेदी निर्माण कराया है तो ये मत कहो की बो आपकी बेदी है क्योंकि इसमें आपकी मान कषाय झलकती है जो आपको अधोगति की और ले जाती है । उन्होंने कहा की आपको जो अधिकार धर्म क्षेत्र में दिए गए हैं उनका सदुपयोग करो क्योंकि दुरूपयोग करने से आपके ही धर्म की हानि होगी ।
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