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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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निरंतर प्रयास - संस्मरण क्रमांक 25


संयम स्वर्ण महोत्सव

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 ☀☀ संस्मरण क्रमांक 25☀☀
           ? निरंतर प्रयास ?
जबलपुर से मुक्तागिरी की ओर आचार्य महाराज का विहार हुआ।
 मुलताई के आस-पास रास्ते में एक दिन बहुत तेज बारिश आ गई,थोड़ी देर पानी बरसता रहा फिर थक गया,  महाराज मुस्कुराए और आगे बढ़ते-बढ़ते बोले-"भाई इतनी जल्दी थक कर थम गए, हम तो अभी नहीं थके"
 उनका इशारा बादलों की ओर था सभी हंसने लगे।
आचार्य महाराज ने इस तरह चलते-चलते एक संदेश दे दिया कि कितनी भी बारिश आये, धूप हो या ठंड लगे,मोक्षार्थी को बिना थके शांत भाव से अपने मोक्षमार्ग पर निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए,कितनी छोटी सी बात लेकिन इतना बड़ा उपदेश।

शिक्षा- वास्तव में हमारे मार्ग में थोड़ी सी परेशानी आ जाये, तो हम मार्ग से विचलित हो जाते है, आचार्य श्री जी हमे यही शिक्षा दे रहे है, कि मार्ग में कितनी भी बाधायें आये, हमे उन सबको दूर करके अपनी मंजिल को प्राप्त करना चाहिए।

? आत्मान्वेषी पुस्तक से साभार?
? मुनि श्री क्षमासागर जी महाराज
 

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