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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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पर कि पीढ़ा अपनी परीक्षा लेती है |  19/07/2023 बुधवार -  आचार्य श्री विद्यासागर महाराज


डोंगरगढ़ – संत शिरोमणि 108 आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ससंघ चंद्रगिरी डोंगरगढ़ में विराजमान है | आज के प्रवचन में आचार्य श्री ने बताया कि इस धरती पर अनंत जीव है और यह सब अपने – अपने कर्म के उदय से हुए हैं फिर भी जब हम दूसरी दृष्टि से देखते हैं तो जो कुछ ऐसे भी पलाक्षी है वस्तुवें हैं जिनसे जीव, जीव रहित भी हो जिनके द्वारा बड़े – बड़े कार्य होते हैं | जिसको देखने से सबको भूल कर उसकी ओर आकृष्ट हो जाते हैं | जैसे सूर्य नारायण कोई व्यक्ति नहीं है अपितु एक विमान है जिसमे देव आदि रहते हैं | जिसका प्रभाव गर्मी के दिनों में देखने को मिलता है | समुद्र में बड़ी – बड़ी नदियाँ जाकर डूब जाती हैं वह समुद्र कभी सूखने वाला नहीं है | सूर्य के प्रताप से समुद्र का जल उबलकर गर्म होकर वाष्प या भाप बनकर ऊपर चला जाता है | जब समुद्र कि यह दशा है तो धरती पर रहने वाले जीव, किट, पतंगों कि दया दशा होगी ?

 

 

 

लेकिन फिर भी एक महाराज जंगल में बैठे इस भयानक गर्मी को देखते हैं कि यह वन पेड़ पौधों से भरा है और देखते – देखते उसमे आग लग जाती है और कुछ ही समय में आग जंगल के चारों तरफ फैल जाती है | क्या करूँ सम्यग्दृष्टि के मन में इन जीवों के प्रति दया आती है और उन्हें बचाने का क्या उपाय हो सकता है वह दिगम्बर मुनि जिसके पास कुछ भी नहीं है वह इस आग को कैसे बुझाये ? इनके मन में विषम सम्वेग भाव, अनुकम्पा का भाव आता है | अब देखते – देखते ही सुबह 8 – ९ बजे बड़े – बड़े बादलों के दल जंगल कि ओर खिसकने लगते हैं और शीतल हवा चलने लगती है जो प्रचंड गर्मी थी शांत हो जाती है | यह पूरा वन जल रहा था वर्षा होते ही ५ मिनट नहीं लगा जंगल कि आग बुझ गई | अब हम पूछना चाहते हैं यह किसका परिणाम है ? आचार्य कहते हैं कि तप के साथ अनेक रिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं | उन रिद्धियों के द्वारा यह सब हो जाता है | और भी मुनि रहते होंगे उनके पास भी दया है वे भी ऐसे भाव करते होंगे क्योंकि विपाक विचय धर्म ध्यान, उपाय विचय धर्म ध्यान और अपाय विचय धर्म ध्यान होता है जिसके कारण वे ऐसा भाव करते हैं कि मै कौन सा ऐसा कार्य करूँ जिससे इनके ऊपर जो संकट आया है समाप्त हो | यहाँ सब जीव बच जाए वे अपने बारे में कुछ नहीं सोचते है लेकिन स्वयं के बारे में ही सोचा जा रहा है | मेरी दया किस काम कि मेरी करुणा किस काम कि | ऐसी बातों को लेकर के यह सम्यग्दृष्टि के मन में उत्पन्न नहीं होगा तो क्या मिथ्यादृष्टि के मन में उत्पन्न होगा | वस्तु के स्वरुप का चिंतन करना अलग है और मोक्षमार्ग में अहिंसा धर्म का चिंतन करना अलग होता है | यह ध्रुव सत्य है कि पर कि पीढ़ा अपनी करुणा कि परीक्षा लेती है | सम्यग्दृष्टि होने के साथ करुणा का होना स्वाभाविक है जैसे वर्षा के साथ बादलों का गरजना और बिजली का चमकना स्वाभाविक होता है | यही सम्यग्दर्शन का अस्तित्व है जो जीवों को बचाना चाहता है | यदि वर्षा समय पर नहीं हो तो किसान बादलों कि ओर देखता है बीज कि ओर नहीं | वह बादल को देखकर ही बीज बोना प्रारंभ करता है |  वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वर्ष कि गर्मी ने पुराने सारे रिकार्ड तोड़ दिये हैं | दिल्ली के एक सांसद ने कहा था कि हमारे यहाँ पानी कि कटौती हो रही है | सुनते हैं दिल्ली में इस वर्ष इतनी वर्षा हुई कि 40 साल के बाद यमुना का जल 4 किलोमीटर तक घरों में घुस गया | जैसे यमुना अपने जल से न्यायालय के सदन का प्रक्षालन कर रही हो क्योंकि न्यायालय ही एक मात्र स्थान है जहाँ दुखी और पिढीत व्यक्ति को न्याय मिलता है | पहले एक राजा होता था आज प्रजा ही राजा है | जो अपने बीच के व्यक्ति को बीठा देते हैं और वह ऊपर बैठकर देखता है कि निचे कौन दुखी है, गरीब है, किसको क्या आवश्यकता है और कौन उसकी सहायता कर सकता है, कौन भारी भरकम (पैसा वाला) है उसे भी देखा जाता है | जितने भी नेता होते हैं वे हमेशा चुनाव में खड़े होते हैं कभी चुनाव में बैठते नहीं है जब तक ५ वर्ष नहीं होते है | वे पांच वर्ष तक कायोत्सर्ग कैसे करते हैं खड़े – खड़े यहाँ तो पांच घंटे नहीं होता | पांच वर्ष तक ऐसे संकल्प लेकर चलते हैं कि भारत कि ओर आज विश्व देख रहा है | विश्व में जो खलबली हो रही है उसे भारत ही शांत क्या प्रशांत कर सकता है | एक व्यक्ति ने शोध किया है कि १५००० वर्ष से भारत कभी किसी राष्ट्र पर चढ़कर उसको अपने अधीन करने का प्रयास नहीं किया है | यही भारत का इतिहास और संस्कृति है जिसे हमें सुरक्षित रखना है | अहिंसा और दयाधर्म है जो हमेशा दूसरे दुखी व्यक्ति के कष्ट को मिटाने के लिये सोचते हैं | आज आचार्य श्री विद्यासागर महाराज को नवधा भक्ति पूर्वक आहार कराने का सौभाग्य ब्रह्मचारिणी परी दीदी दुर्ग (छत्तीसगढ़) निवासी परिवार को प्राप्त हुआ | जिसके लिये चंद्रगिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन,कार्यकारी अध्यक्ष श्री विनोद बडजात्या, सुभाष चन्द जैन,निर्मल जैन, चंद्रकांत जैन,मनोज जैन, सिंघई निखिल जैन (ट्रस्टी),निशांत जैन  (सोनू), प्रतिभास्थली के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन (पप्पू भैया), श्री सप्रेम जैन (संयुक्त मंत्री) ने बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें दी| श्री दिगम्बर जैन चंद्रगिरी अतिशय तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष सेठ सिंघई किशोर जैन ने बताया की क्षेत्र में आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी की विशेष कृपा एवं आशीर्वाद से अतिशय तीर्थ क्षेत्र चंद्रगिरी मंदिर निर्माण का कार्य तीव्र गति से चल रहा है और यहाँ प्रतिभास्थली ज्ञानोदय विद्यापीठ में कक्षा चौथी से बारहवीं तक CBSE पाठ्यक्रम में विद्यालय संचालित है और इस वर्ष से कक्षा एक से पांचवी तक डे स्कूल भी संचालित हो चुका है | यहाँ गौशाला का भी संचालन किया जा रहा है जिसका शुद्ध और सात्विक दूध और घी भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहता है |यहाँ हथकरघा का संचालन भी वृहद रूप से किया जा रहा है जिससे जरुरत मंद लोगो को रोजगार मिल रहा है और यहाँ बनने वाले वस्त्रों की डिमांड दिन ब दिन बढती जा रही है |यहाँ वस्त्रों को पूर्ण रूप से अहिंसक पद्धति से बनाया जाता है जिसका वैज्ञानिक दृष्टि से उपयोग कर्त्ता को बहुत लाभ होता है|आचर्य श्री के दर्शन के लिए दूर – दूर से उनके भक्त आ रहे है उनके रुकने, भोजन आदि की व्यवस्था की जा रही है | कृपया आने के पूर्व इसकी जानकारी कार्यालय में देवे जिससे सभी भक्तो के लिए सभी प्रकार की व्यवस्था कराइ जा सके |उक्त जानकारी चंद्रगिरी डोंगरगढ़ के ट्रस्टी सिंघई निशांत जैन (निशु) ने दी है |

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