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वतन की उड़ान: इतिहास से सीखेंगे, भविष्य संवारेंगे - ओपन बुक प्रतियोगिता ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Ayush Nayak

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  1. 🌕 गुरु पूजा 🌕 गुरु पूजा का शास्त्र में देवोल्लिखित विधान । ब्रम्हा विष्णु महेश से ऊँचा गुरु का स्थान ।। मुनि विद्यासागर जैसा कोई संत न होगा दूजा । मन वच तन से हम करते इन श्रीचरणों की पूजा ।। ओम् ह्रूँ शताष्ट आचार्य श्री विद्यासागर मुनीन्द्र अत्र अवतर अवतर संवौषट् । अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः अत्र मम् सन्निहितो भव् भव् वषट् सन्निधिकरणं।। विद्यासागर सुगुरु ज्ञानसागर में डूबे रहते हैं । सागर को जल भेंट करें हम भक्ति इसी को कहते हैं ।। ओम् ह्रूँ शताष्ट आचार्य श्री विद्यासागर मुनीन्द्राय जन्म जरा मृत्यु विनासनाय जलं निर्वपामीति स्वाहा।। मुनिवर शीतल मलय स्वभावी विषना मलय पर होंय प्रभावी । मलयागिर सम देह धरें चन्दन को लज्जित करते हैं। इन जग वंदन मुनिवर को हम चंदन चर्चित करते हैं।। ओम् ह्रूँ शताष्ट आचार्य श्री विद्यासागर मुनीन्द्राय चंदनम् निर्वपामीति स्वाहा।। अक्षत लेकर सब राजा और गुरुओं से साक्षात् करे। अक्षय पद के दाता पर हम अक्षत की बरसात करें।। ओम् ह्रूँ शताष्ट आचार्य श्री विद्यासागर मुनीन्द्राय अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा।। जिनशासन के सम्यक् नेता परम जितेंद्रिय मदन विजेता।पुष्प रूप गुरुदेव हमारे इन भावों को न्याय मिले । हम चरणों से दूर न हों यदि पुष्पों की पर्याय मिले ।। ओम् ह्रूँ शताष्ट आचार्य श्री विद्यासागर मुनीन्द्राय पुष्पम् निर्वपामीति स्वाहा।। मन वच तन की शुद्धि लिये पावन नैवेद्य बनाया है । ग्रहण करो तो जाने अपना पुण्योदय हो आया है ।। ओम् ह्रूँ शताष्ट आचार्य श्री विद्यासागर मुनीन्द्राय नैवैद्यम् निर्वपामीति स्वाहा।। कोटि सूर्यसम तेज तुम्हारा मोह तिमिर को नाशन हारा। अंतर्ज्योति से ज्योतित करके दीपक ज्योति जलाते हैं। प्रेम विवश होकर हम बालक सूर्य को दीप दिखाते हैं।। ओम् ह्रूँ शताष्ट आचार्य श्री विद्यासागर मुनीन्द्राय दीपम् निर्वपामीति स्वाहा।। जलकर धूप सामान जिन्होंने आठों कर्म जलाये हैं। स्वार्थ विवश इनकी सेवा में धूप लिये हम आये हैं।। ओम् ह्रूँ शताष्ट आचार्य श्री विद्यासागर मुनीन्द्राय धूपम् निर्वपामीति स्वाहा।। हमको तुम यूं लगते गुरुवर फल से ज्यों परिपूर्ण हो तरुवर। क्लांत पथिक हम भव् मरुस्थल के हम पर करुणा भाव धरो। फल छाया अरु आश्रय देकर फल की आशा सफल करो।। ओम् ह्रूँ शताष्ट आचार्य श्री विद्यासागर मुनीन्द्राय फलम् निर्वपामीति स्वाहा।। सेवा में सादर धरें जल चंदन पुष्पादि। अष्ट द्रव्य पूजन कियो मेटो कष्ट अनादि।। ओम् ह्रूँ शताष्ट आचार्य श्री विद्यासागर मुनीन्द्राय अर्घ्यम् निर्वपामीति स्वाहा।। 🌕जयमाल🌕 बेलगाँव कर्नाटक प्रान्ते जन्म सदलगा कुल संभ्रांते।। विद्यासागर जय मुनिराज धर्म धुरंधर जय मुनिराज। नमन मलप्पा गुरु के ताता,वंदन योग्य श्रीमती माता।।वि.... मूल नाम विद्याधर पाया नाम सार्थक कर दिखलाया।।वि.. मिले शान्तिसागर मुनिराई आत्म प्रेरणा उनसे पायी।।वि... सुगुरु ज्ञानसागर महाज्ञानी गुरुवर के गुरुवर वरदानी।।वि.. जैनस्तवन स्वयं नित गाये घरभर को कंठस्थ कराये।वि... बिच्छू ने डँसण किया नैन न लाये नीर। सोचा मुनि बनकर अभी सहनी कितनी पीर।। शुभ दिन लाई दीर्घ प्रतीक्षा ज्ञानसागर जी से ली मुनि दीक्षा।।वि... अमर अमरकंटक कर डाला मंदिर भव्यरु मूर्ति विशाला।।वि... नन्दीश्वर मढ़िया में निर्मित सागर भाग्योदय स्थापित।।वि... मुखर मूकमाटी हुई ऎसे सबकुछ बोल रही हो जैसे।।वि... नेमावर में हो रहा सिद्धोदय निर्माण। पँचयती तिहूँकाल के चौबीसों भगवान।। गुरु अनन्त गुरु सुजस अनन्ता संतुपवन के सरस बसन्ता ।।वि.... ज्ञान-दिवाकर-जय गुरुदेव वचन सुधाकर जय गुरुदेव धर्म के रथ पर जय गुरुदेव कर्म के पथ पर जय गुरुदेव सद्गुण आगर जय गुरुदेव मुक्ति के नागर जय गुरुदेव धर्म धुरंधर जय गुरुदेव विद्यासागर जय गुरुदेव विद्यासागर जय मुनिराज धर्म धुरंधर जय मुनिराज वीतराग निर्ग्रन्थ मुनि गुरुवर तुम सर्वज्ञ कैसे जयमाला कहें हम जड़मति स्वल्पज्ञ।। ओम् ह्रूँ शताष्ट आचार्य श्री विद्यासागर मुनीन्द्राय अनर्घ्य पद प्राप्तये अर्घ्यं निर्वपामीति स्वाहा।। तरणि विद्यासागर गुरो तारो मुझे ऋषीश करुणा कर करुणा करो कर से दो आशीष।। यही प्रार्थना आप से अनुनय से कर जोर। पल-पल पग-पग बढ़ चलूँ मोक्ष महल की ओर।। ।।इत्याशीर्वादः।। 🌔आरती🌖 रजतपात्रं महापात्रं ताम्र दीपे सुसज्जितं। विद्या सिंधु मुनिं सन्तं आरत्यार्थ मुपाश्रितं।। विद्यासागर सन्यासी विद्या तुम्हारी दासी सद्गुण के मोती तुम पे वारती हो मुनिवर हम तो उतारें शुभ आरती। जिनमत के धर्मचारी जड़ता मिट जाये हमारी सिद्ध तुम्हें है माता भारती।।हो... सिद्ध रूपस्य प्रतिरूपे मध्यलोके विराजतम्। रागद्वेष रहितदेवं विद्यासिन्धु नमाम्यहम्।। सम्यक्दर्शी सम्यक्ज्ञानी सम्यक्चारित्र के धारी हो तुम पूजार्चन अभिषेक आरती वंदन के अधिकारी हो। चरणों में स्थान हमें दो आध्यामिक ज्ञान हमें दो जिज्ञासा दृष्टि पसारती हो मुनिवर.. उन्मुक्तम् सुगुण युक्तं मुक्ति मुक्ता प्रदायितुं। क्षमा शीलं दयाशीलं विद्यासिन्धु नामाम्यहं।। जय जय पिता मलप्पा जय श्रीमति माता जय गुरुवर की माता । जयति आर्यिका मुनिवर गुरु भगिनी भ्राता।।ओम् जय गुरु सुख दाता। ओम् जय गुरु सुखदाता जय सांचे सुखदाता आरति करत तुम्हारी सब दुःख मिट जाता।।ओम्.. सुधा क्षमा समता का सागर लहराता। गुरु सागर लहराता... कितने ही मुनिगण के तुम दीक्षा दाता।।ओम् जय... विद्यासागर सन्यासी.... गुरु पूजा,जयमाल एवं आरती.docx Document 20.pdf
  2. 📯📯 *☀विद्यागुरु समाचार☀* _बुन्देलखण्ड के आराध्य देव, पूज्य बड़े बाबा के शुभाशीष से.. ...._ _*🚩सप्त जिनालयों की भव्य वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव एंव गुरुदेव का 52 वाँ दीक्षा महामहोत्सव🚩*_ *📯दिनाँक 5, 6 एंव 7 जुलाई📯* स्थान- *श्री सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर जी* *✋🏻मंगल आशीर्वाद🤚🏻* *☀जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी मुनिराज☀* *🙌🏿मंगल सानिध्य🙌🏿* _*श्रेष्ठ निर्यापक मुनिश्री समयसागर जी मुनिराज ससंघ 【14 पिच्छी】*_ *👳🏻निर्देशन- युगल प्रतिष्ठाचार्य👳🏻* *📯 डॉ पं अभिषेक जी- आशीष जी जैन संस्क्रताचार्य , (सगरा वाले) दमोह 📯* *◆ कार्यक्रम विवरण◆* _●कुंडलपुर तीर्थ पर जीर्णोद्धारित 7 जिनालयों में नवनिर्मित वेदियों पर जिनबिम्ब प्रतिष्ठा प्रताः 08 बजे से●_ _● 07 जुलाई को आचार्य श्री का 52 वाँ दीक्षा दिवस महामहोत्सव एंव व्रक्षारोपण का कार्यक्रम गया हैं..!!_ *●◆■ आप सभी सादर आमंत्रित हैं ■◆●* निवेदक - *🍃श्री सकल दिगम्बर क्षेत्रीय जैन समाज* *श्री कुंडलपुर तीर्थक्षेत्र कमेटी🍃* सूचना- *श्री संतोष जी सिंघई (अध्यक्ष)* *श्री नवीन जी निराला (महामंत्री)* *श्री सुनील जी वेजेटेरियन (प्रचारमंत्री)* *🔅अक्षय रसिया, मड़ावरा* *751000-5505* _*★ नोट-* श्री कुंण्डलपुर जी तीर्थक्षेत्र पर परम पूज्यनीय श्री बड़े बाबा जी के मंदिर का निर्माण जारी हैं, कृप्या हस्त मुक्त से दान देकर भवों भवों के के लिए पुण्य का संचय करें_ 🅰®
  3. आज भाग्योदय मैं ज्येष्ठ श्रेष्ठ मुनिराज श्री योगसागरजी महाराज का केशलोंच हुआ
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