Report ऊधम नहीं - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू ४८८ In आचार्य श्री विद्यासागर जी द्वारा हायकू छन्द और आपकी समझ A group blog by टीम विद्यासागर डॉट गुरु in General Posted May 30, 2018 आचार्य श्री आदमी को संबोधित करते हुए कहते हैं कि ऊधम करना अर्थात व्यर्थ में ही उद्दंडता का प्रदर्शन करना हेय (छोड़ने योग्य) है| इसकी बजाय हम पुरुषार्थ करे और दमी मी (मेहनती) बने |
ऊधम नहीं - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू ४८८
In आचार्य श्री विद्यासागर जी द्वारा हायकू छन्द और आपकी समझ
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आचार्य श्री आदमी को संबोधित करते हुए कहते हैं कि ऊधम करना अर्थात व्यर्थ में ही उद्दंडता का प्रदर्शन करना हेय (छोड़ने योग्य) है|
इसकी बजाय हम पुरुषार्थ करे और दमी मी (मेहनती) बने |