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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Ashok singhvi

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  1. हिंदी दिवस पर एक चिंतन "कैसे बने इंडिया भारत ,भारत नाम बढ़ाना है , मानवता का परचम फहरे ,नैतिक देश बनाना है नैतिक होगा जनगन इसका नैतिक होगा जन मंत्री , नैतिक होगा महाप्रशासक नैतिक जो बनवाए नीति सत्य अहिंसा धर्म हमारा ,जन जन तक पहुंचाना है , मानवता का परचम फहरे नैतिक देश बनाना है । आचार्य विध्यासागर कहते इंडिया नाम हटाना है संस्कारों की शिक्षा वाला भारत देश बनाना है जहाँ चिकित्सक सेवा धर्मी , दौलत का नहीं मोह जिसे , जहाँ प्रशासक जनहितकारी दौलत का नहीं लोभ जिसे शिक्षक होगा सेवाभावी आदर्शों का निर्देशक , कामगार होगा कर्मठ तब अपने काम का पथ दर्शक सभी हो माहिर अपने कर्म में सबमें स्नेह जगाना है संस्कारों की शिक्षावाला भारत देश बनाना है । धर्म जहाँ हो एक सभी का सच्चाई महकाता हो , नैतिकता का बीज लगाता नैतिकता उपजाता हो दौलत का नहीं मान जहाँ पर आदर्शों का मान बढ़े , आदर्शों पर चलने वाले संतों का सम्मान बढ़े एेसी चाहत रखने वाले बोलो कितने लोग खड़े जो भी हो तैयार वे आओ इकजुट हो हम साथ बढ़ें हम सबको मिलकर ही तो अब जागा देश बनाना है मैकाले की शिक्षा वाला इंडिया नाम हटाना है आदर्शों की सांसों वाला भारत देश बनाना है ॥ अशोक मंथन "
  2. विद्धया गुरु को शीश नवाकर उनके ही गुण गाऊँ, पदचिन्हों पर चलकर उनके , उनसा ही बन जाऊं सत्य खोज लूँ मैं जीवन का, अपना अंतर ध्याके सत्य को अपनाकर जीवन में,मोक्ष मार्ग पर चल लूँ
  3. गुरुवर की मुस्कुराहट बहुत गहरे जगा देती है , भगवान महावीर ऐसे होंगे यह बता देती है
  4. कैसे बने इंडिया भारत ,बहुत कठिन यह काम विद्यासागर जी ने बोला,, शिष्यों का यह काम शिष्यों का यह काम, सरल सब मिलके कर लो समता ,सादगी , दृढ़ता से , लक्ष्य में क्षमता भर लो जागरूक होकर गुरुवर का सपना सार्थक करने नैतिकता, मानवता रखके , जागता भारत कर लो
  5. जागना होगा भारतीय बनकर सभी को, मानवता को अपनाना होगा गहरे मन छोड़ केंकडों की मानसिकता सभी को कुकड़ुओंजैसा बनाना होगा अपना मन
  6. नमोस्तु गुरुवर , नमोस्तु गुरुवर नमोस्तु गुरुवर , नमोस्तु गुरुवर तुम्हारे चरणों में हमारा नमोस्तु गुरुवर , नमोस्तु गुरुवर आप बिराजे ह्रदय में मेरे , हरदम गाता गुणगान तेरे , बंद आँखे जब अपनी करता ,अंतर में जब ठहरा रहता , तुमको सदा मुस्कुराता पाता, नमोस्तु गुरुवर , नमोस्तु गुरुवर मन अपना मैं जब शांत करता मैं मुस्कुराता निर्मल होता तुमको सदा में संग ही पाता आँखों से तब पानी बहता सामने मेरे तुमको पाता रोम रोम तब मेरा कहता नमोस्तु गुरुवर , नमोस्तु गुरुवर |
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