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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

रतन लाल

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प्रवचन Reviews posted by रतन लाल

  1. अर्थ, व्यर्थ और अनर्थ के बारे में किशोर अवस्था से ही प्रशिक्षण देने की जरूरत है। धर्म का संरक्षण करना है तो बच्चों में संस्कार का बीजारोपण करना प्रारम्भ कर दो।

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  2. हमारे यहाँ अंक से नहीं चलता, अनुभव से चलता है इसलिए अनुभव जरूरी है। सरकार सिंधु है जनता बिंदु है। बैठने का नाम सरकार नहीं होता है उसे तो जनता के हित में चलते रहना चाहिए। 

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  3. शिक्षा का वास्तविक अर्थ व्यक्तिगत निर्माण, संस्कृति की रक्षा और समाज की उन्नति होता है परन्तु आज की शिक्षा रास्ते से भटक गई है।

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  4. आदर्श नागरिक से शिक्षा लेना और अपने बच्चों को धन वितरण के संस्कार देना, जिसे दान कहते हैं। दान के संस्कारों से उनमें अभिमान नहीं पनप पाएगा और वे कुसंस्कारों में नहीं फैंस पाएँगे, दुर्गतियों से भी बच जाएँगे। ये संस्कार भारतीय संस्कृति के संस्कार हैं।

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  5. हम गरीबी मिटाने के वास्ते गरीबों को मिटा रहे हैं, धनी होने के वास्ते देश को कंगाल बना रहे हैं ठीक ही है हिंसा से हम कुछ भी अच्छा नहीं कर सकते, यदि हम कुछ अच्छा चाहते हैं तो हमको देश से हिंसा को निकालना होगा, जब तक हिंसा नहीं निकलेगी देश अपना सुधार नहीं कर सकता।

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  6. आज तक किसी पशु की नजर आदमी को नहीं लगी, मनुष्य की नजर बहुत विषैली है, इतनी विषैली कि गाय के स्तनों में भरा दूध भी सूख जाता है, पत्थर कट जाता है-पिघल जाता है। आज आदमी की नजर पशुओं को लगी हुई है, आज आदमी विश्व भक्षी बन गया है।

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