11 दिसम्बर 2023 ,प्रातःकाल का समय,हम नेवरा श्री ज्ञानसागर प्रतियोगिता का पुरस्कार लेने गए पर हृदय में हम दोनों पति पत्नी के बस एक ही तीव्र भावना की गुरुजी से करीब जाकर 5 मिनिट अपने मन की बात कहनी,उस समय हम सांसारिक कुछ समस्याओं से घिरे हुए थे,कुछ बाधाओं के बाद मन की उथल पुथल के बाद निर्यापक श्री 108 प्रसाद सागरजी की असीम अनुकम्पा से हमें गुरुजी के कक्ष में जाकर अपनी बात रखने आ अवसर मिलऔर एकटक ध्यान से गुरुजी ने मेरे पति कोऔर बाद में मुड़कर मुझे देखकर, मेरे पति की और मेरी बात सुनकर अपनी चिरपरिचित हंसी के साथ भरपूर आशीष हमें दिया,बाहर निकलकर हमारी अश्रुधारा कुछ समय तक रुकी नही और उसके पहले ही समस्या के समाधान रूप में एक फोन आया और हमे अच्छी खबर मिली यह चमत्कार ही है जिसकी भावना करके हम गए भी नही थे, न वहां इस बारे में बात की,न सब ठीक हो जाये ऐसा सोचा भी, बस अपने जीवनकी नैया गुरुजी को सौंपकर आये थे और बाहर आते ही.....,समस्याएं तो संसार का नाम ही है आती ही रहतीं पर अब जीवन मे जो सुकून लगने लगा था वो गुरु की आशीष छाया होने का सुकून है। पहले भी गुरुजी के दर्शनों काअवसर आया ,पर उस दिन की तस्वीर हमेशा हमारे हृदय में बस गई है,सुबह उठकर रात को सोने के पहले वही आशीष लेकर अपना कदम बढ़ाते हैं उनके आशीष को याद कर बरबस ही मुस्कान और शान्ति का अनुभव होने लगता है,गुरुजी कहीं नही गए, हम सबके हृदय में और अधिक श्रद्धा से बस गए हैं।गुरुदेव की दी हुई शिक्षा पर अमल कर अपने जीवनमें चरितार्थ कर अपने जीवन का कल्याण कर उन्हें सच्ची विनयांजलि देने का पूर्ण प्रयास करूंगी।
अर्पिता सिंघई, सागर