सरकार को चाहिए कि स्कूल में अंग्रेजी भाषा को एच्छिक रखें ना की अनिवार्य। इंसान सोचता अपनी भाषा में ही है और हमारी भाषा तो हिंदी है,तो हिन्दी का वर्चस्व होना चाहिए ना कि अंग्रेजी का।आज बच्चे अंग्रेजी माध्यम स्कूल में पढकर हिंदी और संस्कृत से दूर हो गए हैं।उनके नापसंदीदा विषय हो गये है। स्कूलों में बच्चों को पाबंद किया जाता है कि अंग्रेजी में ही बात करें।ये बच्चे ना तो हिंदी भाषियों के बीच में और ना ही अंग्रेजी के पिट्ठुओं के बीच में सामंजस्य बैठा पाते हैं।