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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Saroj jain vimal jain

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  1. जय हो गुरु देव हमने अपने जीवन मे पहली बार इतना भव्य दस दिनों तक चलने वाले पंचकल्याणक देखे है इसकी अनुभूति इतनी अद्भुत है जिसे शब्दों में नही कहा सकता सिर्फ़ और सिर्फ़ अनुभव किया जा सकता है पता नही आगे अपने जीवन ऐसे पंचकल्याणक दुबारा देख सकेंगे धन्य हो गुरु देव हम धन्य हो गए।
  2. नमोस्तु गुरूदेव मम गुरूवर आचार्य विद्यासागर कहते सदा एक ही बात शिष्यो से अपने संयमी यदि करेगा अधिक वार्तालाप असंयमियो से बढाएगा यदि संपर्क उनसे तो आ जायेगे विकार तुम मे च्युत भी हो सकते तुम पद से अपने आगमानुसार क्रियाएं न करके इसलिए रहना चाहिए सावधान इसलिए गुणहीनो के/ गुरूजनो के पास मे बैठे का प्रयास भक्ति भाव रखकर उनके प्रति करना चाहिए उनके गुणो का गुणगान बनी रहेगी चर्या उनकी निर्दोष मिलेगा तुम्हे भी उनके सानिध्य का पूरा लाभ वर्ना तो जानते हम सभी सोला के वस्त्र पहने वाले को यदि कोई छूट देता कोई अशुद्ध तो वो हो जाता अशुद्ध बचना चाहिए हमे ऐसा निमित्त बनने से बचना चाहिए गुरूजनो के / गुणीजनो के पास बैठकर सांसारिक चर्चा करने से जिससे बनाये रखे उनका और अपना मार्ग निर्विकार आचार्य श्री विद्यासागरजी के पदारोहण पर आयोजको के द्वारा कराई गई प्रतियोगिता बहुत ही ज्ञान वर्धक ,रूचिकर और आचार्य श्री के बारे मे बहुत ही जानकारी देने वाली थी ।यह प्रतियोगिता भरकर बहुत ही अच्छा लगा।आयोजको के लिए ह्दय से धन्यवाद।आगे भी हमे ऐसे ही ज्ञान देते रहिएगा 🙏🙏
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