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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

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  1. गुरु बसे हैं रोम रोम में, इसलिए मेरे चेहरे पर नूर है, मेरे लिए तो मेरे गुरु ही , हीरे और वो ही कोहीनूर है।
  2. बिन मांगे मेरी हर मन्नत जहाँ पूरी होती है, गुरु के चरणों में ही तो असली जन्नत होती है।।
  3. गुरु का महत्व जीवन में सबसे ज्यादा होता है, गुरु के बिना जीवन का, कहाँ महत्व होता है!!!
  4. संतो के शिरोमणि बुद्धि के हीरामणि, आप ही हमारे सरताज हो, क्या लिखूँ मैं आपके बारे मे, आप तो भगवान के रूप में, महा मुनिराज हो।।
  5. कलम क्या बयाँ करेगी ज़ज़्बात हमारे , हमारा तो रोम रोम गुरुदेव को पुकारे।।
  6. गुरु के ही दम पर, सफर हमारा जारी है, भटक न जाएं कहीं यह , आपकी ही ज़िम्मेदारी है।।
  7. गुरु बिना हम कुछ नही, वह है ईश्वर का वरदान, अंधेरे से प्रकाश में ले जाते, वह होते गुरु महान।।
  8. नर पशु मे जो भेद बताये, गम्भीरता का जो ज्ञान कराएं, संकट मे जो हंसना सिखाये, वही सच्चा सदगुरु कहलाएँ।।
  9. राह दिखा कर जो, सभी संकट मिटाते हैं, सागर सा ज्ञान हैं जिनमें, गुरु वही कहलाते है।।
  10. ज्ञान की ज्योति से गुरु, मन को आलोकित करते हैं, हमें ज्ञान रूपी धन देकर, जीवन को सुख से भरते हैं।।
  11. गुरु नाम की लत गयी है, ये दिल उनका शुक्रगुज़ार है, जीवन में गुरु ही बसा है, जो मेरा सोने का संसार है।।
  12. तमनन्ना है मेरे दिल की, हर पल साथ गुरु का हो, जितनी भी साँसे चलें मेरी, हर साँस पर नाम गुरु का हो,
  13. ना अहंकार में रहते हैं, सत्य सदा वो कहते हैं, गुरु के पावन उपदेशों में, ज्ञान के झरने बहते हैं।।
  14. बुरा कितना चाहोगे हमारा, हम तो सबके लिए दुआ करते हैं, वही पाते हैं दरिया दिल का, जो सिर्फ गुरु के हुआ करते हैं।।
  15. इतनी मेहरबानी गुरुवर हम पर बनाएं रखना, जो रास्ता सही हो, उस ही पर चलाएं रखना।।
  16. न दौलत से बड़े हैं, न नाम से बड़े हैं, मुसीबत मे हम अपने, गुरु का नाम लेकर खड़े हैं।।
  17. गुरुवर ने ज्ञान से अपने , कर दिया उपकार, तप से अपने, आपने किया हमको साकार।।
  18. आपको को देखते ही , मेरा चेहरा यूँ खिल जाता है, गुरु जी, जैसे आपके होने से, ही मुझे सबकुछ मिल जाता है।।
  19. आपके दर पर गुरु आता रहूँ, आपको हद से भी ज्यादा चाहता रहूँ, दुनिया चाहे दूर लगे, बस तुम्हें करीब पाता रहूँ।।
  20. गुमनामी के अंधेरे में थे आपने नाम बना दिया, ऐसी कृपा की गुरु ने मुझ पर अच्छा इंसान बना दिया।।
  21. जबसे हमें हुई, सद्गुरु की पहचान है, जीवन का कठिन पथ , तब से हुआ आसान है।
  22. बिन गुरु के जीवन में, तम ही तम छाया है गुरु ही मेरे सूर्य है, जिनसे प्रकाश आया है।।
  23. निराशा में आशा, की झलक दिखा दे, गुरु ही हैं जो भगवान , से साक्षात्कार करा दे!
  24. मिटा दो ये संकट अकाल और महामारी, गुरु जी ! अब आप ही, कीजिये रक्षा हमारी।।
  25. ये जो गुरु का लगता समवशरण सा दरबार है, बस हमें इसी से तो बेइंतहाँ प्यार है।।
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