Aashika jain
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Posts posted by Aashika jain
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अश्रुओं से भरी आँखें
बस ढूंढ रही है गुरुवर को,
ये मौन भरे शब्द,
बस उठा रहे है गुरुवर को,
मोक्ष पथ पर चले गुरुजी
जग को वैराग्य का पाठ सिखा गए,
त्याग और तपस्या के धनी,
हम सबको वर्तमान में वर्धमान,
की चर्या दिखा गए।। -
गुरु से ही आस,
गुरु से ही विश्वास,
गुरु से लागे प्रीत,
गुरु ही है सबसे खास।।
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गुरु से ही तो होता
जीवन में सवेरा।
गुरु के चरणों में
होता रहे बसेरा।
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गुरु से सुकून,
गुरु से ही विश्वास
गुरु के चरणो में,
बस करते रहे वास।।
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गुरु की एक झलक,
पाने को तरस जाते नैन है,
गुरु बिन और न दूजा,
गुरु से ही मिलता चैन है।।
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तेरे चरणों में गुरुवर,
हर जन्म बनाऊँ,
हर जन्म में भगवन
तुझे ही सामने पाऊँ।।
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किस्मत से गुरु
आपको पाया है,
आप में ही बसता,
भगवान का साया है।।
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मै तबसे सारे संसार से ,
बेगाना हुआ,
जब से गुरुवर आपका
दीवाना हुआ।
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माया को चाहने वाला
बिखर जाता है....
मेरे गुरु को चाहने वाला
निखर जाता है.....
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गुरु की ही ख्वाहिश में,
खत्म हो गया साल,
गुरु की ही ख्वाहिश से ,
शुरू होगया नया साल।।
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वीतरागी गुरु हमारे,
उनके जैसा जग में गुरु कहाँ?
मार्ग बताया जो जग को आपने,
बता सके न कोई यहाँ।
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हम गुरवाणी पर श्रद्धा करें तो,
ज्ञान के दीप जलते जायेंगे,
गर जले ज्ञान के दीप ह्रदय में तो,
मार्ग संयम के भी खुलते जायेंगे।
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*हे!गुरुवर*
तुम्ही हो ज्ञाता,दृष्टा तुम्ही हो
जगत की उत्तम शरण तुम्ही हो।
तुम्ही हो त्यागी,तुम्ही ही वैरागी ,
जगत के पालनहार तुम्ही हो।
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देखे गुरु जगत के सारे,
एक नही मन को भाए,
पुण्यउदय से आज तिहारे,
दर्शन करके सुख पाए।।
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करुणा सागर गुरुवर ,
भव पार लगा देना,
तूफां है बहुत भारी,
हमारी भी नाव बचा लेना ।।
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यह जीवन भी तभी
सार्थक हो पायेगा,
जब गुरु का साथ,
सदैव के लिए मिल जाएगा।
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बंजर में भी फसलें उग आएं
रेगिस्तान में फूल खिल जाएं
अंधेरे में भी रास्ते निकल आए
जब साथ सिर्फ गुरु का मिल जाएँ।
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गुरु की छत्रछाया में,
कटे सारा यह जीवन,
गुरु ही माता - पिता है,
गुरु ही मेरे है भगवन्।।
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हज़ारों गम हैं
इस दिल मे,
पर गुरु का भक्त खुश,
रहता है हर महफ़िल में।।
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संकट में जो हँसना सिखाये
पग-पग पर परछाई सा साथ निभाये,
जिसे देख आदर से सिर झुक जाये
वही हमारे सच्चे गुरु कहलाये।।
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गुरु के रूप में आपने
लिया जो अवतार है ,
आपके कृपा से ही तो
भगवंत हुआ मेरा बेड़ा पार है..
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दामन फैलाएं बैठे हैं,
अल्फ़ाज़ कुछ याद नहीं,
मांगू तो क्या मांगू गुरुवर?...
आपके सिवा और कुछ याद नहीं।।
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सारे दुख दर्द ,
हर लेंगे एक बार में,
जाकर तो देखो मेरे,
गुरु के दरबार में।।
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जन्मों जन्म तक गुरुवर,
आपके ही गुण गाऊँ ,
आप ही की भक्ति से,
अपना जीवन सहज बनाऊँ ।।
गुरुदेव कैसे और क्या करूँ मैं अर्पित? कर रही हूँ , फिर भी 4 पंक्तियाँ समर्पित।।
In नमोस्तु गुरुवर
Posted
गुरुजी की मुस्कान का
हर कोई दीवाना था,
बन्द आँख में भी दिखता,
उनकी मुस्कुराहट का अफसाना था
क्या कहूँ गुरुजी आपकी
मंद -मीठी -मुस्कान के बारे में
इस हंसी के पीछे तो
घायल पूरा ज़माना था।