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संयम स्वर्ण महोत्सव

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Blog Entries posted by संयम स्वर्ण महोत्सव

  1. संयम स्वर्ण महोत्सव
    एकजुट हो,
    एक से नहीं जुड़ो,
    बेजोड़ जोड़ो |
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। सके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  2. संयम स्वर्ण महोत्सव
    शब्द पंगु हैं,
    जवाब न देना भी,
    लाजवाब है।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  3. संयम स्वर्ण महोत्सव
    घर की बात,
    घर तक ही रहे।,
    बे-घर न हो।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  4. संयम स्वर्ण महोत्सव
    मान शत्रु है,
    कछुवाबनूँ बचूँ,
    खरगोश से।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  5. संयम स्वर्ण महोत्सव
    खेती-बाड़ी है,
    भारत की मर्यादा,
    शिक्षा साड़ी है।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  6. संयम स्वर्ण महोत्सव
    विशेष आज दो विजेता चुने जायेंगे  एक पुरुष वर्ग से और एक महिला वर्ग से 
    *रविवार विशेष उपहार* 
    आज का उपहार हो सकता हैं - *हथकरघा निर्मित वस्त्र*  साड़ी  एवं कुरता पजामा अथवा आहर साडी एवं धोती दुपट्टा 
    आप भी पुण्यार्जक बन सकते हैं 
    उत्तर   whatspp पर दे - यहाँ नहीं लिखें - वेबसाइट से पढ़ के उत्तर दे - नकल न करें 
    दी हुई HINT - संकेत को पढ़े 
    आज की प्रतियोगिता से आपको Copy Paste करना  आ जायेगा 
     
     

     
     
  7. संयम स्वर्ण महोत्सव
    द्वेष से बचो,
    लवण दूर् रहे,
    दूध न फटे |
     
    भावार्थ- जिस प्रकार लवण अर्थात् नमक के सम्बन्ध से दूध विकृत हो जाता है उसी प्रकार द्वेष करने से जीव विकृत-सारहीन और दुःखमय हो जाता है क्योंकि द्वेष करने से इस लोक में मधुर सम्बन्ध भी कड़वे हो जाते हैं। मित्र भी शत्रु बन जाते हैं। यहाँ तक कि अपने भी पराये हो जाते हैं तथा द्वेष करने वाला पाप कर्म का बंध करता है अतः परलोक में भी दुःखी रहता है  - आर्यिका अकंपमति जी 
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  8. संयम स्वर्ण महोत्सव
    डूबना ध्यान,
    तैरना स्वाध्याय है,
    अब तो डूबो।
    भावार्थ-ध्यान में डूबना होता है और स्वाध्याय तैरने के समान है। स्वाध्याय में प्रवृत्ति है और ध्यान में निर्वृत्ति । रत्नाकर में स्थित रत्नों को गोताखोर ही प्राप्त कर सकते हैं इसलिए अपने आत्मा में डूबो और अनंत चतुष्टय रूप रत्नों की उपलब्धि करो । आचार्य महाराज ने लिखा है- डूबो मत, लगाओ डुबकी। 
    - आर्यिका अकंपमति जी 
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  9. संयम स्वर्ण महोत्सव
    हँसो-हँसाओ,
    हँसी किसी की नहीं,
    इतिहास हो।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  10. संयम स्वर्ण महोत्सव
    पर की पीड़ा,
    अपनी करुणा की,
    परीक्षा लेती।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  11. संयम स्वर्ण महोत्सव
    बिना डाँट के,
    शिष्य और शीशी का,
    भविष्य ही क्या ?
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  12. संयम स्वर्ण महोत्सव
    पुरस्कार ? From @Ghar ghar dharmik likhawat
    हथकरघा की चादर(1)
    हथकरघा का योगा मैट(1)
    हथकरघा का हैण्ङ बैग(3)
    @Dr. Aayushi Jain
    @Shravak Jain@ajain9103@gmail.com   @PRAYAG JAIN  @Jyoti Kolhapure
    आप सभी अपना पता मेसेज करें, मोबाइल नंबर प्रोफाइल में अपडेट करें 
     
  13. संयम स्वर्ण महोत्सव
    गुरुशिष्य महामिलन
    बंधा जी क्षेत्र में हुआ पूज्य आचार्य भगवान श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज ससंघ से पूज्यवर मुनिश्री १०८ अभय सागर जी महाराज ससंघ का मंगल मिलन
    गुरुदेव नमोस्तु
     
     
  14. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आचार्यश्री विद्यासागरजी के पचासवें संयम स्वर्ण महोत्सव की राष्ट्रीय समिति के राजनैतिक एवं प्रशासनिक संयोजक, इंदौर के निर्मलकुमार पाटोदी के आमंत्रण-पत्र को स्वीकार करते हुए देश के जानेमाने वैज्ञानिक व इसरो, बैंगलोर के पूर्व अध्यक्ष कृष्णास्वामी कस्तूरीरंगन, जो कि भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा गठित देश की नौ सदस्यीय कमेटी के मुखिया हैं, छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ पहुंचे। आपके साथ प्रो. टीवी कट्टीमनी, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय ट्राइबल केंद्रीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के कुलपति डॉ. विनय चंद्रा बी.के., नई शिक्षा नीति समिति के वरिष्ठ तकनीकी सलाहकार और इसरो मुख्यालय के सह निदेशक डॉ. पी.के. जैन, राजनैतिक व प्रशासनिक संयोजक निर्मलकुमार पाटोदी भी उपस्थित थे।
     

     
    पद्मविभूषण डॉ. कस्तूरीरंगन ने आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज से पूछा कैसी हो तीस साल के लिए नई शिक्षा नीति? विद्यासागरजी महाराज बोले- ऐसी नीति बनाइए कि शिक्षा उपभोग व विनिमय की वस्तु न हो। 53 मिनट की चर्चा में विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि वर्तमान शिक्षा नीति प्रासंगिकता खो चुकी है। अर्थ के द्वारा सब प्राप्त कर सकते हैं, यह भ्रम उत्पन्न हुआ है। वस्तु विनिमय के बदले अर्थ का विनिमय होने लगा है। स्किल डेवलपमेंट कर देने भर से विद्यार्थी सक्षम हो रहा है। यह जरूरी नहीं है। शिक्षा धन से जुड़ गई है। मुख्य धन तो नैतिकता है।
     
    विद्यासागरजी महाराज ने कहा कि मैं भाषा के रूप में अंग्रेजी का विरोध नहीं करता हूं। इस भाषा को विश्व की अन्य भाषाओं के साथ ऐच्छिक रखा जाना चाहिए। शिक्षा का माध्यम मातृभाषाएं ही हों। अंग्रेजों ने भारत की परंपरा के साथ चालाकी करके ‘भारत’ को ‘इंडिया’ बना दिया। जबकि भारत के दो नाम नहीं हो सकते हैं। इसी प्रकार कस्तूरीरंगन नाम को अन्य भाषाओं में बदला नहीं जा सकता है। भारत के साथ संस्कृति और इतिहास जुड़ा है। इंडिया ने हमारे भारत की भारतीयता, जीवन पद्धति, नैतिकता, रहन-सहन और खानपान सब कुछ छीन लिया है।
     
    अब शिक्षा भारतीय गणित, इतिहास, ज्ञान और परिवेश पर आधारित हो। प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषाओं में ही हो तथा एक संपूर्क भाषा भारतीय भाषा ही हो। ऐसा होने से भारत की एकता मजबूत होगी। शिक्षा में शोधार्थी की रूचि किसमें है, इसकी स्वतंत्रता होनी चाहिए। आज मार्गदर्शक के अनुसार शोधार्थी शोध करता है। इससे मौलिकता नहीं उभर पा रही है। शिक्षा रोजगार पैदा करने वाली हो, बेरोजगारी बढ़ाने वाली नहीं हो। शिक्षा कोरी किताब नहीं हो। कौशल से जुड़ी हो।
     
    कस्तूरीरंगन ने बताया कि नई शिक्षा नीति का ड्रॉफ्ट शीघ्र ही तैयार कर लिया जाएगा। यह अगले तीस वर्षों को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है। पूर्व शिक्षा नीति छब्बीस साल पहले बनी थी। अब राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, विश्वविद्यालयों के कुलपतियों और शिक्षाविदों और अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों से मिलकर सुझाव लिए जाएंगे।
  15. संयम स्वर्ण महोत्सव
    सार्थक बोलो,
    व्यर्थ नहीं साधना,
    सो छोटी नहीं।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  16. संयम स्वर्ण महोत्सव
    किसको तजूँ,
    किसे भजूँ सबका,
    साक्षी हो जाऊँ।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  17. संयम स्वर्ण महोत्सव
    मलाई कहाँ,
    अशान्त दूध में सो,
    प्रशान्त बनो।
     
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  18. संयम स्वर्ण महोत्सव
    जय जिनेंद्र परम पूज्य आचार्य भगवन 108 विद्यासागर जी महाराज एवं परम पूज्य आचार्य गुरुवर 108 वर्धमान सागर जी महाराज दक्षिण वाले इनका शुभ मिलन आज शुभ स्थान डोंगरगढ़ यहां पर हुआ
  19. संयम स्वर्ण महोत्सव
    हम से कोई,
    दु:खी नहीं हो, बस !,
    यही सेवा है।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  20. संयम स्वर्ण महोत्सव
    आलोचन से,
    लोचन खुलते हैं,
    सो स्वागत है।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  21. संयम स्वर्ण महोत्सव
    पूज्य गुरुदेव आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के पावन सान्निध्य में मोनिका सुहास शाह द्वारा स्वरबद्ध श्री भक्तामर स्तोत्र और श्री वर्द्धमान स्तोत्र का विमोचन
     
     

     
     
     

  22. संयम स्वर्ण महोत्सव
    बिना विवाह,
    प्रवाहित हुआ क्या,
    धर्म-प्रवाह।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  23. संयम स्वर्ण महोत्सव
    विशेष आज दो विजेता चुने जायेंगे  और उनको Past Food भारतीय रसोई ( जैन रसोई) उपहार में दी जाएगी 
    उत्तर whatspp पर दे - यहाँ नहीं लिखें - वेबसाइट से पढ़ के उत्तर दे - नकल न करें 
    दी हुई HINT - संकेत को पढ़े 
     
     

     
  24. संयम स्वर्ण महोत्सव
    योग साधन,
    है उपयोग शुद्धि,
    साध्य सिद्ध हो।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
  25. संयम स्वर्ण महोत्सव
    मण्डूक बनो,
    कूप मण्डूक नहीं,
    नहीं डूबोगे।
     
    हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।
     
    आओ करे हायकू स्वाध्याय
    आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं। आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं। आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं। लिखिए हमे आपके विचार
    क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं। इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?
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