माटी को मांगलिक कार्य1 का संकेत मिला-सामने से बडी-बडी खुली आँखों वाला एक हिरण जो कि सोया हुआ था जागृत हुआ, बड़ी फुर्ति के साथ विवेक पूर्वक खेत से खेत लाँघता हुआ पथ के उस पार बहुत दूर जा विलीन हो जाता है। इस दृश्य को देख माटी को एक सूति याद आई-
“बांये हिरण दांये जाय, लंका जीत राम घर आय”
अर्थात् सफलता निश्चित है। और वह भोली माटी जो टकटकी लगाकर घाटी की ओर निहार रही थी, उसे बहुत दूर घाटी में कोई व्यक्ति दिखा, विचारती है वह, कौन है वह मुझसे देखकर माटी का मन प्रसन्नता से भर गया, सुबह-सुबह ही उसका मन आनन्दित हो उठा ।
धीरे-धीरे वे चरण पास और अधिक पास ही आ गए। जैसे-जैसे शिल्पीचरण पास आते जा रहे हैं, फैलाव घट रहा है, बाहरी दृश्य सिमट-सिमट कर घना (संकुचित) होता जा रहा है। इसीलिए विशाल आकाशीय दृश्य भी लगभग अस्तित्व हीन-सा हो रहा है। ठीक ही है निकट स्थित इष्ट पर जब दृष्टि टिक जाती है तो अन्य सभी वस्तुएँ लुप्त हो जाती हैं।