Vidyasagar.Guru Posted November 12, 2018 Report Share Posted November 12, 2018 विदिशा में चातुर्मास कर रहे संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज के शिष्य मुनि श्री अभयसागर जी मुनि श्री प्रभातसागर जी, मुनि श्री पूज्यसागर जी का पिच्छिका परिवर्तन समारोह शीतलधाम पर संपन्न हुआ! प्रवक्ता अविनाशजैन ने बताया इस अवसर पर विदिशा जिले के गंजबासौदा, मंडीबामौरा, कुरवाई, ललितपुर, अशोकनगर, वासी, तथा भोपाल मुंबई, पाटन, तथा भारत के विभिन्न नगरों के लोग उपस्थित थे| पिच्छिका परिवर्तन अशोकनगर से आये श्री दिगम्वर जैन युवा वर्ग के द्वारा संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के संयम स्वर्ण वर्ष को समर्पित होकर आचार्य श्री के जीवन चित्रण को सजीव करते हुये घटना क्रम को जोड़ा और सबसे पहले विदिशा मे परम पूज्य मुनि श्री अभय सागरजी महाराज की पिच्छिका को जीवन की एक रेल के माध्यम से लाया गया जिसे नगर के सभी बाल ब्रह्मचारियों ने स्वीकार कर उसको विमोचित कर पूज्य मुनि श्री को संयम को स्वीकार करते हुये नौ परिवारों ने पूज्य मुनि श्री के कर कमलों में भेंट की जिसे मुनि श्री ने अपनी पुरानी पिच्छी को विदिशा के सुप्रसिद्ध चिकित्सक डा. सतीश चंद़ संजय जैंन किरीमौहल्ला परिवार को दी| वंही पर मुनि श्री प्रभात सागर जी महाराज की पिच्छिका को एरावत हाथी अपनी सूंड़ पर लेकर आता हैं। जिसे सभी ब्र. बहनें विमोचित कर संयमी परिवारों के द्वारा वह पिच्छिका मुनि श्री अभय सागर जी को सोंप दी जाती हैं जिसे मुनि श्री प्रभातसागर जी स्वीकार करते हैं| उसी क्रम में मुनि श्री प्रभात सागर जी की पुरानी पिच्छिका श्री कमलेश जी जैन लुहांगीपुरा के परिवार को मिलती हैं उसके पश्चात की कहानी को आगे बढ़ाते हुये आचार्य श्री के बुंदेलखंड नैनागिर के चातुर्मास की घटना को जोड़ते हें, जिसमें खूखार डाकूओं का घोडों पर आगमन नैनागिर में होता हैं, और वह पूज्य आचार्य गुरुदेव के समक्ष अपने अपराधों को स्वीकार करते हैं| एवं आगे से उन अपराधों को न करने का वचन देते हैं| और उन्ही में से श्रावकों के माध्यम से नवीन पिच्छिका प्राप्त होती हैं, जिसे पाठशाला की सभी बहने विमोचित कर संयमी परिवार को सौंप देती हैं, और वह नवीन पिच्छिका मुनि श्री अभयसागर जी महाराज मुनि श्री पूज्यसागर जी महाराज को सौंपते हैं और मुनि श्री की पुरानी पिच्छिका युवा मुनि सेवक श्री राहुल जैन परिवार को संयम लेंने पर दी जाती हैं| इस अवसर राष्ट़ीय कवि श्री चंद्रसेन जी जैन भोपाल ने गूरु भक्ति में अपनी कविताओं के माध्यम से उपस्थित जनता का मन मोह लिया| कार्यक्रम का संचालन श्री विजय जैन धुर्रा, एवं श्री शैलेन्द़ जैन अशोकनगर ने कहानी के माध्यम से किया इस अवसर पर श्री चातुर्मास कमेटी, श्री समवशरण विधान समिती श्री शीतलविहार न्यास, श्री सकल दि. जैन समाज समिती के पदाधिकारिओं ने अशोकनगर से जैन युवा संघ की टीम जिन्होंने श्री विजय जैन धुर्रा के नेतृत्व में जो प्रस्तुती दी एवं अशोक नगर पिच्छिका बनाकर लाने वाले युवाओं का तिलक माला एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया| इस अवसर पर श्री हृदयमोहन जैन, श्री वसंत जैन, श्री ओमप्रकाश जैन, श्री प्रद्युमन सिंघई, ने अपने उद्वबोधन में कहा कि गुरूदेव के आशीर्वाद से सभी कार्यक्रम संपन्न हुये| मुनित्रय ने अपना संक्षिप्त आशीर्वाद देते हुये कहा कि आचार्य श्री का ललितपुर आना हो रहा हैं| और हम लोगों का भी जाना हो रहा हैं, हो सकता हैं, हम लोगों का भी जाना हो सकता हैं| मुनि श्री ने कहा कि पिच्छिका परिवर्तन एक बंद कमरे में भी हो सकता हें, लेकिन यह कार्यक्रम संयमोत्सव के रुप में मनाया जाता हें| साधुओं का सानिध्य आप सभी को इसी प्रकार आशीर्वाद मिलता रहे| इसी भावना के साथ मुनि श्री ने मयूर पिच्छिका के गुणों को बताते हुये कहा कि जैसे मुनिराज का मन बहुत ही कोमल होता हैं, उसी प्रकार यह पिच्छिका भी बहुत कोमल होती हैं| इस अवसर पर समाचार पत्रों में विशेष कवरेज के लिये सभी पत्रकार बंधुओं का सम्मान भी किया गया! एवं एक प्रतियोगिता चातुर्मास के समाचारों की कटिंग फाईल भी रखी गई जिसमें प्रथम स्थान श्री सीमा विजयकुमार जैन एवं द्वितीय स्थान पर श्री मति ज्योती एवं श्री मति सुनीता उत्सव तथा तृतीय स्थान पर डॉ. आई. के. जैन रहे इसके साथ ही सांत्वना पुरस्कार सभी प्रतियोगियों को दिये गये| Link to comment Share on other sites More sharing options...
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