srajal jain Posted August 29, 2018 Report Share Posted August 29, 2018 *वीर मरण कहा है सल्लेखना को-मुनिश्री* गौरझामर दिनांक 28 अगस्त 2018 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी मुनि श्री अनंत सागर जी मुनि श्री धर्म सागर जी मुनि श्री अचल सागर जी मुनि श्री अतुल सागर जी मुनि श्री भाव सागर जी श्री पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर गौरझामर जिला सागर मध्यप्रदेश में विराजमान है धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने कहा कि मुनि श्री विमल सागर जी महाराज के ग्रहस्थ जीवन के पिता जी के मरण की जानकारी मिली वह शांत,सरल स्वभावी थे उनका कुछ दिन पूर्व स्वास्थ्य खराब हो गया था तो आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के पास खजुराहो गए थे तो आचार्य श्री ने कहा था कि आपको महावीर भगवान से भी ज्यादा उम्र मिल गई है (लगभग 80 से 82 वर्ष की उम थी ) जिन्होंने ऐसे बालक को जन्म दिया जो मुनि श्री विमल सागर जी बने जो उपवास आदि की साधना कर रहे हैं जैन धर्म में सल्लेखना को वीरमरण कहा है जिस प्रकार चोर हमारा धन चुरा लेता है लेकिन पुण्य की प्राप्ति नहीं होती है लेकिन दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है बुद्धि पूर्वक त्याग करने को सल्लेखना मरण कहा गया है यदि शरीर में कोई रोग हो गया है और शरीर तो छूटना ही है मृत्यु तो होना है लेकिन उसके पूर्व वह त्याग करके मरण करता है उसको सल्लेखना मरण कहते हैं अब संस्कारों की चर्चा करते हैं आचार्य श्री विद्यासागर जी जैसे महान तपस्वी ने अपना आशीर्वाद प्रतिभास्थली को दिया क्योंकि यही बालिकाएं देश का भविष्य है क्योंकि आज बालिकाओं की सुरक्षा नहीं है मैंने तो आज जो सुना देखा है प्रतिभास्थली सर्वश्रेष्ठ शिक्षा संस्कार स्थली है श्रावक संस्कार शिविर गौरझामर में लग रहा है इसमें शिविरार्थियों को जरूर शामिल होना है जितनी शक्ति हो उतनी साधना करें 10 दिन तक कम से कम साधु जैसे रह कर तो देखें पर्युषण में उपवास एक आसन करें लेकिन दिखावा प्रदर्शन नहीं करें मुनि श्री अचल सागर जी ने कहा कि हम संसार में रहे लेकिन यह नहीं भूले कि हमें अच्छी तरह से रहना है । अधिक धन से अच्छाइयां तो कम बुराइयां अधिक आती हैं धन समाप्त होते ही सब कुछ बदल जाता है धन आता है तो व्यसन भी आते हैं इससे हमारे जीवन का पतन हो जाता है कई लोग ऐसे हैं जिनको भोजन नहीं मिलता है आप के पास बहुत से कपड़े होंगे लेकिन कई ऐसे भी लोग हैं जिनके पास कपड़े नहीं है कई लोग सोचते हैं कि मैं क्या खाऊं और कई लोगों के पास खाने को ही कुछ नहीं रहता है हमारा जीवन मशीनी लाइफ जैसा बन गया है संसार में आए हैं तो कैसे रहें कहानी के माध्यम से बताया कि राजा को राज्य की चिंता सताती रहती है आज कर्तव्य की बात नहीं अधिकार की बात हो रही है जब पैसा आता है तो व्यक्ति के अंदर मान आ जाता है पवित्रता कब आएगी जब हमारे अंदर संतोष आएगा। चित्र अनावरण अरुण घुरा एवं पिंडरई के श्रद्धालुओं ने किया महेंद्र सोधिया महाराजपुर आदि ने किया । श्रीफल अर्पण बाहर से पधारे अतिथियों ने किया । पंचायत कमेटी गौरझामर के सदस्यों ने मुनि श्री विमल सागर जी महाराज के ग्रहस्थ जीवन के पिताजी स्वर्गीय श्री कपूरचंद जी जैन ललितपुर वालों को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रतिभास्थली की बालिका ने भी प्रतिभास्थली के बारे में बताया कि हमारी प्रतिभास्थली में शिक्षा के साथ बहुत अच्छे संस्कार दिए जा रहे हैं हमें हिंदी भाषा को महत्व देना है इंडियन नहीं भारतीय बनना है। Link to comment Share on other sites More sharing options...
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