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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

रक्षाबंधन महापर्व एवं निर्वाण महोत्सव गौरझामर 26/08/2018


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*रक्षाबंधन निर्वाण महोत्सव मनाया गया*
गौरझामर 
दिनांक 26 अगस्त 2018

आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य 
मुनि श्री 108 विमल सागर जी 
मुनि श्री अनंत सागर जी
 मुनि श्री धर्म सागर जी 
मुनि श्री अचल सागर जी 
मुनि श्री अतुल सागर जी 
मुनि श्री भाव सागर जी के सानिध्य में 25 अगस्त को त्रिदिवसीय रक्षाबंधन महोत्सव के अंतर्गत विधान प्रारंभ हुआ प्रातः काल अभिषेक शांतिधारा पूजन हुई यह कार्यक्रम ब्रह्मचारी मनोज भैया जबलपुर के निर्देशन में संपन्न हुआ

गौरझामर के इतिहास में प्रथम बार श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन बड़ा मंदिर नवीन टीनशेड परिसर में त्रिदिवसीय रक्षाबंधन निर्वाण महा महोत्सव मनाया गया प्रातः काल अभिषेक शांतिधारा पूजन विधान हुआ निर्वाण लाडू चढ़ाने का सौभाग्य जिनेंद्र जैन मणि परिवार को प्राप्त हुआ लगभग 11000 श्रीफल चढ़ाए गए केंद्रीय जेल सागर के कैदियों द्वारा बनाई गई हथकरघा की राखी का विमोचन हुआ बालिका मंडल के द्वारा थर्माकोल की राखी बनाई गई 700 मुनिराजों के अर्घ चढ़ाए गए । भारत के इस प्रकार के मार्बल का जो प्रथम मंदिर तेंदूखेड़ा (पाटन) जिला दमोह (मध्यप्रदेश) में बन रहा है उसमें विराजमान होने वाली काले मार्बल की श्री पार्श्वनाथ भगवान की 7 फिट  के लगभग की तीन पद्मासन प्रतिमा एवं अन्य प्रतिमाओं का गौरझामर आगमन हुआ मुनि संघ ने अवलोकन किया इसके पूर्व में खजुराहो में आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने प्रतिमाओं का अवलोकन किया नरेंद्र बजाज के द्वारा श्री पार्श्वनाथ बड़ा मंदिर का थर्माकोल का मॉडल बनाया गया एवं 6 राखी भाग्योदय, प्रतिभास्थली, हथकरघा, इंडिया नहीं भारत बोलो, गाय बचाओ आदि पर मॉडल के रूप में राखी बनाई जिसका विमोचन हुआ कार्यक्रम का निर्देशन ब्रह्मचारी मनोज भैया जबलपुर के द्वारा किया गया संगीत ग्रुप मनोज घुरा, दीपक चौधरी, सन्याल, सचिन जैन ने अपनी संगीत की लहरियों के द्वारा प्रभु और गुरु की भक्ति की मुनि श्री विमल सागर जी महाराज की पिच्छिका मे राखी बांधने का सौभाग्य श्रीमती सरोज जैन एल आई सी परिवार को प्राप्त हुआ। इस कार्यक्रम में पंचायत कमेटी, श्री विद्यासागर सेवादल गौरझामर, पाठशाला परिवार के सदस्यों का सहयोग रहा महिला मंडल, बालिका मंडल, नवयुवक मंडल, ने भी विशेष सहयोग दिया धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि प्रभु की पूजा करने से पाप घटता है पुण्य बढ़ता है अनूठा रक्षाबंधन पर्व हम यहाँ मना रहे हैं मुझे भी मुनिराजों के अर्घ पढ़ने का सौभाग्य मिला बहुत प्रसन्नता हुई राखी बांधी जाती है तो पहले मंदिर में राखी बांधी जाती है भगवान की राखी पहले बांधी जाती है एक कहानी के माध्यम से बताया कि जब तुम्हें डर लगे तो प्रभु को याद करना। यदि क्षमता नहीं है और भावों का श्रीफल भी चढ़ाते हैं तो भी पुण्य की प्राप्ति होती है प्रभु को द्रव्य चढ़ाने के बाद जो भोजन करता है वह दुनिया में कहीं भी चला जाए भूखा नहीं रहता है पर्व वही होते हैं जिसमें अंदर की ग्रंथियां ठीक हो जाती हैं जो व्यक्ति धर्मपूर्वक कोई भी कार्य करता है उसकी दुर्गति नहीं होती है अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, को राखी अर्पण करें आपस में राखी बांधना सिर्फ धागा बांधना ही  रक्षाबंधन नहीं है लेकिन दया करके यह पर्व मनाए यदि जीवन में वात्सल्य सेवा नहीं आई तो धागा बांधने से कुछ नहीं होगा हम सब एक दूसरे के लिए समर्पित रहे और संकल्प लें कि मेरे द्वारा धर्म और धर्मात्मा के ऊपर आंच आ जाए कोई भी ऐसे खोटे कार्य नहीं करना जिससे बदनामी हो धर्म के लिए मरण भी हो जाए तो बभी कल्याण होगा गाय in की रक्षा करना चाहिए गायों का पालन करें कौन है उनकी रक्षा करने वाला किसी के भाई नहीं है तो वह भगवान को अपना भाई माने 108 सिद्धचक्र विधान कर लो और एक गाय की रक्षा कर लो बराबर है आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने छिंदवाड़ा में ऐसा कहा था

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