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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

प्रवचन 25/08/2018 प्रवचनसार ग्रंथ टीका स्वाध्याय (रोहिणी दिल्ली)


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                       *25 अगस्त 24 वी गाथा मे जिनवाणी चैनल पर अर्हम योग प्रणेता आध्यात्मिक मुनिश्री प्रणम्य सागर जी ने समझाया*
                        *वर्तमान मे शुद्द आत्मा की अनुभूति नही हो पाती है लेकीन इस  रूप से भावना हो सकती है की मेरा आत्मा शुद्द है आत्मा ज्ञान के बराबर हैं ऐसी भावना करने से राग द्वेष मोह रूप कसाये मन्द होती है और चित्त मे शान्ति आती हैं*
             *आत्मा और ज्ञान का तादात्म्य संबंध है, अपनी आत्मा ज्ञान  के बराबर हैं और ज्ञान ज्ञेय के बराबर हैं जब केवल ज्ञान प्रकट हो जाता है तो ज्ञान ज्ञेय को याने  सब पदार्थो को जानलेता  है*।
                   *यह आत्मा की विराट शक्ति है, जो संसार के प्रत्येक जीव मे छुपी है । जब ज्ञानावरणी, आदि कर्म हटेंगे तभी केवल  ज्ञान प्रकट होगा* ।
                  *अग्नि जब लोहे को तप्त कर देती है तो अग्नि और लोहे का तादात्म्य संबंध हो जाता है वैसे ही व्यवहार रूप से  आत्मा और शरीर का तादात्म्य संबंध है जब लोहे की पिटाई होती हैं तो अग्नि भी पिट जाती है पर ज्ञान जाग्रत हो तो वह जान लेता है की शरीर की पिटाई हो रही है मेरा आत्मा तो ज्ञानमय है या ज्ञान प्रमाण ही है ऐसा उत्कर्ष्ट भाव ही भेदविज्ञान कहलाता  है जो की गजकुमार मुनी को हुआ था जब उनके सर पर जलती हुई सिगडि रख दी गई थी* । 
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*अर्हम, योग प्रणेता गुरुदेव श्री प्रणम्य सागर जी की असीम कृपा से भौतिकता से भरी दिल्ली मे आध्यात्मिकता के रंग देखने को मिले है । ऐसा लगता है किसी नई दुनिया मे प्रवेश कर रहे है ।प्रवचन  का प्रसारण इसी प्रकार होते रहे ।गुरुदेव श्री प्रणम्य सागर जी के चरणो मे कोटिशःनमन* ????
*मुनिश्री प्रणम्य सागरजी  के अद्भूत प्रवचन (प्रवचन सार कक्षा के) जिनवाणी चेनल पर प्रतिदिन 2.20से 3बजे तक  आ रहे हैं अवश्य लाभ उठाएं*??????
*मन के सारे पट खुलते जा रहे है गुरदेव के मुख से प्रवचनसार सुनके! धन्य है आप और सौभाग्य है हमारा!*??????

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