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आज्ञानुवर्ती संघ
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✍️ *"अर्हं योग के ऐतिहासिक क्षण का गवाह बना लाल किला"* एक साथ 13000 लोगों ने दिल्ली के लाल किला में किया अर्हम योग...... इस अभूतपूर्व कार्यक्रम की सफलता की पूरे देश में चर्चा है ...* *अद्भुत,अविस्मरणीय,अद्वितीय अर्हं योग के इस कार्यक्रम में दूर-दूर तक फैला हर उम्र वर्ग का विशाल जन समूह, चेहरों पर दुख,बीमारी, परेशानी और हर समस्या से मुक्ति दिलाने वाले "अर्हं योग" से जुड़ने की खुशी, उसे सीखने का भाव ,उसी में खो जाने और स्वयंमय हो जाने का भाव ....वास्तव में ये सभी दृश्य आँखों में समा गए हैं,गुरुवर मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज की वाणी में अर्हं ध्यान, योग करना ,जीवन की सभी दुविधाओं से बाहर निकल जाना, भाग दौड़ भरी जिन्दगी से संयमित जीवन की ओर वापस आना और ध्यान योग के उस आनंद को महसूस करने का अनुभव अद्भुत,अकल्पनीय और अकथित है , इसके बारे में जितना भी लिखा जाए कम है .. बस यही कह सकते हैं कि ...* *"अर्हं योग" से जुड़िए और फिर देखिए ज़िंदगी में कितना आनंद है.....* *आप भी "अर्हं योग" से जुड़िए और अपने जीवन को आज से ही आनन्दमय बनाना शुरू कर दीजिए ।* *अर्हं की यात्रा प्रारम्भ कर दीजिए...* ~~~~~~~~~~~~~~ *"करें योग -रहे निरोग" का उद् घोष -* *भारत की राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक लाल क़िला मैदान में संत शिरोमणि आचार्य गुरुवर श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा एवं उनके परमप्रभावक शिष्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी एवं श्री 108 चंद्र सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में ऐतिहासिक एवं अद्भुत *"आध्यात्मिक अर्हम् योग एवं ध्यान"* का कार्यक्रम ,विभिन्न शहरों से आए हुए विशाल जन समूह ने अद्भुत आनंद के साथ सम्पन्न किया ।
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*मेरे गुरु* मेरे गुरु ने दिया है मुझे बिन मांगे ज्ञान मेरे गुरु ने समझाया है रखना श्रामण्य की शान मेरे गुरु ने पिया है समता से मान और अपमान मेरे गुरु ने मुझे बनाया है विनयवान मेरे गुरु ने सबको दिया है अभयदान, सचमुच मेरे गुरु मेरी नजर में है बहुत महान । *मुनिश्री प्रणम्य सागर जी* *काव्य संग्रह लहर पर लहर*
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पदमावती देवी की अराधना एक गड्ढे से निकालकर दूसरे में पटकना है राग संसार का रोग, जिनेन्द्र उपासना मुक्ति का योग अन्य धर्म से बचाने में हो रहा भटकाव पदमावती पर पार्श्व प्रभु अभी हाल की देन प्रमाणिक ग्रन्थों का करें अवलोकन जैनियों का महापर्व खत्म हुआ और वहीं तैयारी होने लगी आने वाले नवरात्रों में पदमावती, चक्रेश्वरी देवी के जागरण-चौको कराने की। आज का युवा वर्ग ऐसे कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर भाग लेता है, कहीं-कहीं तो विद्वान पंडित और साधुओं की भी अनुमति और सान्निध्य तक मिल जाता है। अब यह सब जैन धर्मसंस्कृति के अनुरूप, आगमानुसार है, इस बारे में सान्व्य महालक्ष्मी ने सीधी चर्चा की संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागरजी के सुयोग्य शिष्य मुनि श्री प्रणम्य सागरजी से। सान्ध्य महालक्ष्मी : ये जो नवरात्र, जागरण, चौकी आदि शब्द हैं, क्या ये जैन संस्कृति से जुड़े हुये है, जिसे आज युवा वर्ग बड़े उत्साह से मनाता है? मुनि श्री : ये शब्द ही स्पष्ट कर देते हैं कि ये जैन शास्त्रों से नहीं लिये गये। आगम में इनका कहीं उल्लेख नहीं है। सान्ध्य महालक्ष्मी : देवी-देवताओं की परम्परा फिर कैसे शुरू हो गई। मुनि श्री : पिछले कुछ सालों में कुछ साधुओं ने अपनी प्रभावना को हिन्दुओं की तरह बनाने के लिये इसकी अप्रत्यक्ष रूप से अनुमति दे दी और वही स्वरूप आज दिख रहा है। सान्ध्य महालक्ष्मी : पंच परमेष्ठी की अराधना करने वाले, मानने वाले हम जैनियों का अब देवी-देवताओं की ओर आकर्षण बढ़ने लगा है। आज कल कुछ साधु भी इस तरह की बात पर सहमति भी दे देते हैं। क्यों और क्या यह उचित हैं? मुनि श्री : साधु लोग समझते हैं कि हम जैनियों को अन्य देवी-देवताओं की तरफ जाने से रोकने के लिये अपने देवी-देवताओं को मानने लगे, तो कम से कम अन्य धर्म की उपासना से तो बच जाएंगे। यह सोचकर वह रागी देवी देवताओं की उपासना तीर्थंकरों के यक्षयक्षणियों के रूप में करने की सलाह देते हैं, परन्तु परिणाम यही निकलता है कि हम उन्हें एक गड्ढे से बचाकर दूसरे में पटक देते हैं। श्रावक को सही राह वीतरागता की उपासना करने से ही मिलेगी, चाहे उसकी उपासना करते करते श्रावकों को कितनी देर लग जाये, उम्र लग जाये। जैसे कैंसर के रोगी का इलाज जिस डॉक्टर के पास ऑपरेशन के रूप में है, तो वो ऑपरेशन से ही ठीक होगा। अन्य विद्या का डॉक्टर उसे कितना ही टालमटोल करती रहे, पर देर-सवेर उसे अपने को ठीक करने के लिये ऑपरेशन करवाना ही होगा। इसी तरह श्रावक को भी समझना होगा कि राग ही संसार का रोग है। और जिनेन्द्र देव की उपासना ही सभी दुखों से मुक्ति का योग है। सान्ध्य महालक्ष्मी : पर कुछ भजन और पूजा में इनका उल्लेख आता है? मुनि श्री : प्रमाणिक शास्त्रों को देखो, अगर किसी ने लिख भी दिया तो क्या उसे प्रमाण मान लेंगे, चाहे वो हिन्दी में लिखे हों या संस्कृत में। सान्थ्य महालक्ष्मी : कहा तो जाता है पदमावती देवी ने उपसर्ग दूर किया और फिर क्या उपसर्ग दूर करने वालों की पूजा नहीं करनी चाहिये? मुनि श्री : यह किसने कह दिया कि पदमावती ने उपसर्ग दूर किया। यह सब गृहस्थ विद्वानों द्वारा लिखी गई उस समय की बातें हैं जब विद्वानों को प्रमाणिक और अप्रमाणिक आचायों की परम्पराओं का ज्ञान नहीं था। उत्तर पुराण में आचार्य गुणभद्र और स्वयंभूस्तोत्र में आचार्य समन्तभद्र स्वामी ने पार्श्वनाथ भगवान के प्रसंग में कहीं भी पद्मावती के नाम का उल्लेख नहीं किया है। उनको फण पर बैठाने की बात भी प्रमाणिक आचार्यों के शास्त्रों के सम्मत नहीं है। सान्थ्य महालक्ष्मी : अगर ऐसा नहीं है, तो भगवान पार्श्वनाथ के जिनबिम्बों में फण क्यों बनाया जाता है? और यह अभी नहीं, प्राचीन मूर्तियों में भी देखने को मिल जाता है? मुनि श्री : फण बनी मूर्तियां तो प्राचीन मिलती हैं, पर पदमावती के फण पर बैठाने वाली मूर्तियां प्राचीन नहीं हैं। यह सब पदमावती की महिमा को बढ़ाने के उद्देश्य से अभी हाल में किया जाने लगा। पार्श्वनाथ भगवान की मूर्ति पर फण होना, भगवान बाहुबली की मूर्ति पर बेल का लिपटी होना, उनकी पहचान का संकेत देने की बात है। पदमावती के ऊपर पार्श्व प्रभु का होना प्राचीन नहीं, अभी हाल में शुरू हुआ है। - मुनि श्री प्रणम्य सागर
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Avinash Vinayaka joined the club
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Sangeetajain249 joined the club
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Sayam Swarn mahotsav joined the club
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???????????? *हज़ारों लोगों ने दिए गुरुजी को आहार...??? *प्रथम बार आज वात्सल्य पर्व के पवित्र अवसर पर दिल्ली मे अलग तरह का नजारा देखने को मिला । रोहिणी मे गुरुदेव श्री प्रणम्य सागर जी को सेकडो भक्तो ने मिलकर वात्सल्य पर्व पर मुनिश्री को आहार दान दिया* ?????????? *भक्तो की भारी भीड के बाद भी गुरुदेव का दरबार खुला रहा । भक्तो को अपने वात्सल्य रस से भिगो रहे थे गुरूवर । भक्त भी प्रसन्न थे गुरुदेव का अमृतमय सान्निध्य पाकर* । ??? *गुरुदेव की एक झलक पाने के लिए भक्तो की भीड बेताब हो उठी । गुरुदेव श्री प्रणम्य सागर जी ने भी किसी को निराश नही किया* । ???????? *गुरुदेव श्री प्रणम्य सिंधु के श्री चरणो मे कोटिशःनमन*
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*???????? ??????????????? *25 अगस्त 24 वी गाथा मे जिनवाणी चैनल पर अर्हम योग प्रणेता आध्यात्मिक मुनिश्री प्रणम्य सागर जी ने समझाया* *वर्तमान मे शुद्द आत्मा की अनुभूति नही हो पाती है लेकीन इस रूप से भावना हो सकती है की मेरा आत्मा शुद्द है आत्मा ज्ञान के बराबर हैं ऐसी भावना करने से राग द्वेष मोह रूप कसाये मन्द होती है और चित्त मे शान्ति आती हैं* *आत्मा और ज्ञान का तादात्म्य संबंध है, अपनी आत्मा ज्ञान के बराबर हैं और ज्ञान ज्ञेय के बराबर हैं जब केवल ज्ञान प्रकट हो जाता है तो ज्ञान ज्ञेय को याने सब पदार्थो को जानलेता है*। *यह आत्मा की विराट शक्ति है, जो संसार के प्रत्येक जीव मे छुपी है । जब ज्ञानावरणी, आदि कर्म हटेंगे तभी केवल ज्ञान प्रकट होगा* । *अग्नि जब लोहे को तप्त कर देती है तो अग्नि और लोहे का तादात्म्य संबंध हो जाता है वैसे ही व्यवहार रूप से आत्मा और शरीर का तादात्म्य संबंध है जब लोहे की पिटाई होती हैं तो अग्नि भी पिट जाती है पर ज्ञान जाग्रत हो तो वह जान लेता है की शरीर की पिटाई हो रही है मेरा आत्मा तो ज्ञानमय है या ज्ञान प्रमाण ही है ऐसा उत्कर्ष्ट भाव ही भेदविज्ञान कहलाता है जो की गजकुमार मुनी को हुआ था जब उनके सर पर जलती हुई सिगडि रख दी गई थी* । ???????? *अर्हम, योग प्रणेता गुरुदेव श्री प्रणम्य सागर जी की असीम कृपा से भौतिकता से भरी दिल्ली मे आध्यात्मिकता के रंग देखने को मिले है । ऐसा लगता है किसी नई दुनिया मे प्रवेश कर रहे है ।प्रवचन का प्रसारण इसी प्रकार होते रहे ।गुरुदेव श्री प्रणम्य सागर जी के चरणो मे कोटिशःनमन* ???? *मुनिश्री प्रणम्य सागरजी के अद्भूत प्रवचन (प्रवचन सार कक्षा के) जिनवाणी चेनल पर प्रतिदिन 2.20से 3बजे तक आ रहे हैं अवश्य लाभ उठाएं*?????? *मन के सारे पट खुलते जा रहे है गुरदेव के मुख से प्रवचनसार सुनके! धन्य है आप और सौभाग्य है हमारा!*??????
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JAIN SAKSHAM joined the club
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अर्हम मेडिटेशन शिविर हमारे मन में कई बार कई प्रश्न और सकते हैं -दिन भर में क्या होगा,क्या गतिविधियां कराई जाएंगी, हम सवेरे से शाम तक क्या करेंगे। ऐसे अनेक प्रकार के प्रश्न हमारे मन में उठ सकते हैं। सारांश में कहूं तो अर्हम मेडिटेशन शिविर हमारे आत्मा की शक्तियों को जगाने का शिविर है, जिसमें अनेक प्रकार की प्रक्रियाओं के द्वारा हमारी नकारात्मक ऊर्जाओं को बाहर निकाला जाता है। प्रातः कालीन सेशन में योग साधना होगी तत्पश्चात मुनिश्री द्वारा ध्यान कराया जाएगा ।हमारे जीवन में नकारात्मकता को बाहर कैसे निकाला जाए इस पर मुनि श्री द्वारा मार्ग प्रशस्त किया जाएगा। स्वल्पाहार, दिन का भोजन, संध्याकालीन भोजन और इसके बीच बीच में अत्यधिक मनोरंजक प्रक्रियाओं द्वारा हम ज्ञान कैसे अर्जित कर सकते हैं एवं जीवन को सरल एवं सुखी कैसे बना सकते हैं, सिखाया जाएगा। योगनिंद्रा द्वारा गहन विश्राम एवं मुनिश्री द्वारा चार बार ध्यान द्वारा अद्भुत ऊर्जा का संगम देखने को मिलेगा। अंत में इतना ही कहूंगा की विश्राम और ऊर्जा का अद्भुत संगम है अर्हम मेडिटेशन शिविर। VID-20180817-WA0029.mp4
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Preeti dinesh jain joined the club
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*पूज्य मुनि श्री के चरणों मे समर्पित भावांजलि* ??????? *ये तो सच है कि गुरु आपसे, हमको जरूरत से ज्यादा मिला।* *अब भला जिंदगी से करें, किस बात का हम सब गिला।।* प्राकृत भाषा को भी पुनर्जीवित किया, योगा औऱ ध्यान का फिर से आरम्भ किया। अपनी संस्कृति और खोती परम्परा, पर तुमने गुरुवर विचार किया। ??????? *अर्हम योगा के शिविर से, इक मारग नया है मिला* *अब भला जिंदगी से करे, किस बात का हम सब गिला।।* ?ये तो सच............ सप्त व्यसनों को भी तुमने समझाया है। अष्ट मूलगुणों को भी समझाया है।। धर्म से हो रहे , जो भी आज विमुख। उनको आगम का पथ तुमने दिखलाया है।। *बड़े पुण्य करम से हमें, आज दर्शन तुम्हारा मिला।* *अब भला जिंदगी से करे, किस बात का हम सब गिला।।* ?????? ये तो सच ......... नमोस्तु गुरुवर??
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Ajit K. Jain joined the club
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Atishy jain joined the club
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GAMING CLUB joined the club
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Rekha jainn joined the club
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SHUBHAM SANGHAI joined the club
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Minni Jain joined the club
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1008 Rishabh Jain joined the club
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Neha Paritkar joined the club
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??????????????? 14/07/2018 दिल्ली(भारत) संत शिरोमणि आचार्य भगवंत गुरुदेव 108 श्री विद्यासागर जी महाराज के 50वें मुनि दीक्षा दिवस *संयम स्वर्ण महोत्सव*के उपलक्ष्य में आज देश की राजधानी दिल्ली में उनके परम प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य ?अर्हमयोग प्रणेता ज्येष्ठ मुनि श्री १०८ प्रणम्य सागर जी महाराज ?प्रशममूर्ति ज्येष्ठ मुनि श्री १०८ चन्द्र सागर जी महाराज ?महावीर छवि धारी मुनि श्री १०८ वीर सागर जी महाराज ?औजस्वी वाणी धारक मुनि श्री १०८ विशाल सागर जी महाराज ? वात्सल्य मूर्ति मुनि श्री १०८ धवल सागर जी महाराज ⭕(पंच ऋषिराज)⭕ के पावन सानिध्य में आज दिनाँक 14/07/2018 दिन शनिवार को बोंटा पार्क, गेट नं. 5, सिविल लाइन्स, नई दिल्ली में *विद्या- तरु वृक्षारोपण अभियान* के तहत *1008 पौधों का रोपण* किया गया। जिसमें राजधानी दिल्ली की विभिन्न स्थानों एवं कालोनियों के लोगों द्वारा सहयोग प्रदान किया गया।। ???????? यह कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के लिए एक अनूठा उदाहरण है। आगामी 17 जुलाई संयम स्वर्ण महोत्सव के समापन पर देश के विभिन्न स्थानों में भी विद्या तरु वृक्षारोपण अभियान के तहत वृक्षारोपण किया जायेगा।। संयोजक- सकल दिगम्बर जैन समाज, राजपुर रोड दिल्ली प्रेषक- ?सृजल जैन गोटेगांव 8109397494 / 8770942377 ????????? *"तीर्थभूमि हो रही गर्म , आओ पेड़ लगाएं हम"* ?????????? कार्यक्रम की कुछ फोटो ग्राफ्स नीचे संलग्न है।
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♦♦विहार अप्डेट♦♦ ⭕11/07/2018 ⭕ ? संत शिरोमणि आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महायतिराज के परम प्रभावक, आज्ञानुवर्ती शिष्य ♦♦♦♦♦♦♦ ?अर्हमयोग प्रणेता ज्येष्ठ मुनि श्री १०८ प्रणम्य सागर जी महाराज ?प्रशममूर्ति ज्येष्ठ मुनि श्री १०८ चन्द्र सागर जी महाराज ?महावीर छवि धारी मुनि श्री १०८ वीर सागर जी महाराज ?औजस्वी वाणी धारक मुनि श्री १०८ विशाल सागर जी महाराज ? वात्सल्य मूर्ति मुनि श्री १०८ धवल सागर जी महाराज ⭕(पंच ऋषिराज)⭕ का मंगल विहार आज 11/07/18 को शाम 5:30 बजे बालाश्रम दरियागंज से श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर जी होते हुए श्री दिगम्बर जैन मन्दिर राजपुर रोड के लिये होगा। ♻♻♻♻♻♻♻♻♻♻♻♻
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08/07/2018 ?अर्हं योग शिविर ? बाल आश्रम (दरियागंज )दिल्ली, संत शिरोमणी आचार्य भगवंत 108 श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य द्वय अर्हं योग प्रणेता पूज्य मुनिश्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज एवं वात्सल्य मूर्ति पूज्य मुनिश्री 108 चंद्र सागर जी महाराज के ससंघ सान्निध्य में आज प्रातः 5:30 बजे से बाल आश्रम दरिया गंज दिल्ली में अर्हं योग शिविर का आयोजन किया गया जिसका दिल्ली महानगर के विभिन्न स्थानों के लोगों द्वारा लाभ लिया गया।। इसके उपरांत पूज्य मुनिश्री द्वारा रचित वर्धमान स्तोत्र विधान का भी आयोजन किया गया ।।। कार्यक्रम की कुछ फोटोज़ नीचे संलग्न है। पूज्यमुनिद्वय अभी बाल आश्रम दरियागंज दिल्ली में विराजमान है। चातुर्मास स्थल अभी निश्चित नहीं।।
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मुनि श्री प्रणम्य सागर जी .jpg
srajal jain posted a gallery image in मुनिश्री प्रणम्यसागरजी ससंघ's चित्रशाला
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??परम पूज्य अर्हम योग प्रणेता मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज एवं वात्सल्य मूर्ति मुनि श्री 108 चंद्र सागर जी महाराज लाल मंदिर चांदनी चौक दिल्ली में विराजमान है !!!! * चातुर्मास स्थल अभी निश्चित नहीं??? देश की राजधानी दिल्ली के विभिन्न स्थानों की जैन समाज एवं विभिन्न कॉलोनियों के द्वारा पूज्य मुनि संघ के चातुर्मास हेतु निवेदन जारी है!!!!
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Kailash Jain joined the club
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विहार सूचना 26/06/2018
Vijaya Jain replied to srajal jain's topic in मुनिश्री प्रणम्यसागरजी ससंघ's वर्तमान स्थान
Darshn durlabh hai .jane kab vah shubh din aayega. -
?विद्या शिष्यों का मंगल विहार? ⭕26/06/2018 ⭕ ? संत शिरोमणि आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महायतिराज के परम प्रभावक, आज्ञानुवर्ती शिष्य, अर्हं योग प्रणेता ♦ज्येष्ठ मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज व ♦ज्येष्ठ मुनि श्री चन्द्र सागर जी महाराज ?मुनिद्वय? का मंगल विहार कल दिनांक 25/6/18 सोमवार को प्रातः 5 बजे श्री दिगम्बर जैन मन्दिर बाहुबली एनक्लेव से श्री दिगम्बर जैन मन्दिर बैंक एनक्लेव (लक्ष्मी नगर) दिल्ली के लिये हुआ । ? पूज्य मुनि द्वय अभी श्री दिगंबर जैन मंदिर बैंक एन्क्लेव (लक्ष्मी नगर) दिल्ली में विराजमान है। ? चातुर्मास स्थल अभी निश्चित नहीं है
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neha Badjatiya joined the club
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SIDDHARTH JAIN SAGAR joined the club
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srajal jain joined the club
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Uma Jain joined the club
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Guddi jain joined the club
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*अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस* *दिनांक 21 जून को प्रात: 5.30 बजे से 7.30 बजे* तक *संत शिरोमणि पूज्य आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी मुनिराज के परम प्रभावक शिष्य अर्हम योग प्रणेता पूज्य मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी मुनिराज संसंघ* के पावन सानिध्य में *अर्हम योग एवं ध्यान शिविर* का भव्य आयोजन *दिल्ली की धर्म नगरी बाहुबली एनक्लेव के बाहुबली पार्क* में किया जा रहा है। आप सभी धर्म प्रेमी बन्धुओं से निवेदन है आप सपरिवार व मित्रों सहित शिविर में उपस्तिथ होकर स्वस्थ तन, मन हेतु शिविर का लाभ ले। आयोजक *श्री दिगम्बर जैन सभा, बाहुबली एन्क्लेव, दिल्ली*
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पूज्य मुनि श्री बाहुबली एन्क्लेव दिल्ली में विराजमान है अभी पूज्य मुनि श्री वीर सागर जी ससंघ भी महाराज श्री के साथ ही विराजमान है ।
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IMG-20141114-WA0003.jpg
srajal jain posted a gallery image in मुनिश्री प्रणम्यसागरजी ससंघ's चित्रशाला