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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

प्रवचन 07 अगस्त 2018 गौरझामर


srajal jain

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07अगस्त 2018
*क्रोध से होती है बीमारियां-मुनि श्री गौरझामर जिला सागर (मध्य प्रदेश  ) 07अगस्त 2018 को*
  
 श्री 1008 दिगंबर जैन पारसनाथ बड़ा  मंदिर  गौरझामर जिला सागर (मध्यप्रदेश ) मैं प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए      मूकमाटी रचयिता आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के शिष्य
  मुनि श्री विमल सागर जी के संघस्थ   मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने
कहां की क्रोध ऐसी बीमारी है जिससे सभी परेशान रहते हैं क्रोध से कैंसर, हार्ट अटैक आदि बीमारियां होती हैं जब भी क्रोध आए तो हम वह स्थान छोड़ दें और उल्टी गिनती शुरु कर दें और जल ग्रहण करें जब भी क्रोध आ जाता है तो हम बाद में क्षमा मांग लें "आई एम सॉरी" कहना ही पर्याप्त नहीं होता है क्षमा पवित्रता है सहिष्णुता है अहिंसा की हरियाली है आत्मा की खुशहाली है क्षमा सबसे महान तप है ध्यान है स्वाध्याय है जीवन भर पूजा पाठ किया पर क्रोध नहीं छोड़ा तो व्यर्थ ह"ै क्षमा फूल है कांटा नहीं क्षमा प्यार है चांटा नहीं " क्रोध करने से कोई महान नहीं होता है क्षमा से महानता मिलती है क्रोध से दुश्मन को मारा जाता है क्षमा से दुश्मनी को मारा जाता है "क्षमा करने वाला रात भर सोता है क्रोध करने वाला रात भर रोता है" क्षमा हम उनसे मांगते हैं जिनसे हमारा कुछ भी बैर नहीं है क्षमा उनसे मांगे जिनसे हमारा कभी विवाद हुआ या कहासुनी हुई हो वर्ष में एक बार क्षमा मांगने से कुछ नहीं होता है 15 दिन और माह और छह माह में क्षमा अवश्य मांगे नहीं तो दुर्गति होती है।

 क्षमा दूसरों पर होती है  उत्तम क्षमा स्वयं पर होती है रक्षा करना निज आतम की क्रोध बड़ा ही  विषधर है
क्रोधाग्नि मैं हम जलते हैं जलता अपना ही घर हँ निज घर को अब नहीं जलाना  उत्तम क्षमा श्रेयस्कर है।
इस अवसर पर मुनि श्री अचल सागर जी ने कहा कि कई लोग जीवन भर अच्छा कार्य करते हैं लेकिन उनको विकल्प आता है  कि मैंने अपने लिए कुछ नहीं किया इतना कमाना की रोटी कपड़ा और मकान की पूर्ति होती रहे।
 शरीर की परिभाषा भी यही है कि शरीर का स्वभाव गलना आदि बताया है शरीर को आप साधन समझते होते तो इतनी आसक्ति नहीं होती हम जो हैं वह दिखाना नहीं चाहते लेकिन जो है वह दिखाते नहीं है आज बूढ़े लोग भी डाई लगाकर सफ़ेदी को छिपाने की कोशिश करते हैं बचपन आता है चला जाता है जवानी आती है चली जाती है बुढ़ापा आता है और लेकर चला जाता है तृणा की खाई खूब भरी पर रिक्त रही -पर रिक्त रही

 प्रवचन  सभा मैं मंगलाचरण चित्र अनावरण दीप प्रज्वलन एवं शास्त्र अर्पण बाहर से आए अतिथियों ने किया
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