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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

विष्ट कथाणी अर्हम् योग प्रार्थना - 2


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मेरे मन में तेरे मन में सबके मन में हो

वैर न होवे पाप न होवे भाव क्षमा का हो ।। 1 ।।

 

मेरे मन में तेरे मन में सबके मन में हो

मेरा मंगल तेरा मंगल सबका मंगल हो ।। 2 ।।

 

मेरे मन में तेरे मन में सबके मन में हो।

मेरा जीवन तेरा जीवन सबका उत्तम हो ।। 3 ।।

 

मेरे मन में तेरे मन में सबके मन में हो

प्रभु के चरणा गुरु के चरणा सबको शरणा हो ।। 4 ।।

 

मेरे मन में तेरे मन में सबके मन में हो

तन नीरोगी मन हो निर्भय बोधि समाधि हो ।। 5 ।।

 

मेरे मन में तेरे मन में सबके मन में हो

दुखियारा ना कोई होवे मन ज्योतिर्मय हो ।। 6 ।।

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