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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

आचार्य श्री 108 ज्ञानसागरजी महाराज का समाधि दिवस


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?????????15/05/2018??
*महाकवि आचार्य श्री ज्ञान सागर जी का स्मृति दिवस मनाया गया*
गोटेगाँव जिला नरसिंहपुर( मध्य प्रदेश)
आचर्य श्री विद्यासागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य
मुनि श्री 108विमल सागर जी महाराज
मुनि श्री 108 अनंत सागर जी   महाराज 
मुनि श्री 108 धर्म सागर जी महाराज
मुनि श्री 108अचल सागर जी महाराज 
मुनि श्री 108अतुल सागर जी महाराज 
मुनि श्री 108भाव सागर जी महाराज के सानिध्य में
श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर  गोटेगांव में 15 मई 2018 मंगलवार को 
महाकवि आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज का समाधि दिवस मनाया गया।इस अवसर पर मुनि श्री भाव सागर जी ने कहा कि आज का यह दिवस महत्वपूर्ण है दुनिया के सभी व्यक्ति जन्म का महोत्सव मनाते है लेकिन जैन  दर्शन में मृत्यु का महोत्सव मनाते है आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज ने अपना आचार्य पद अपने शिष्य मुनि श्री विद्यासागर जी को देकर उनसे संलेखना के लिए निवेदन किया यह विश्व की सर्वश्रेष्ठ घटना है आचार्य श्री ज्ञान सागर जी ने मान का मर्दन किया वह अलौकिक उदाहरण है ।आज पद को लेकर बहुत विवाद होते हैं लेकिन गुरु और शिष्य दोनों महान हैं।
मुनि श्री अतुल सागर जी ने कहा कि संलेखना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है ।मंदिर बना लिया लेकिन कलशारोहण नहीं किया तो मंदिर अधूरा माना जाता है इसी प्रकार संलेखना के बिना जीवन अधूरा है । वह चर्या में शिथिलता नही करते थे । वह अपनी दृढ़ता और आध्यत्मिक दृष्टि से निरंतर समता को धारण करते थे । इतनी कम उम्र में मुनि श्री विद्यासागर जी को आचार्य पद मिलना आश्चर्य चकित करने वाला है । इतनी कम उम्र में कई वस्तुओ का त्याग कर दिया था ।जो कृति हमे  प्राप्त  हुई है वह ज्ञानसागर जी की देन है ।
मुनि श्री अचल सागर जी ने कहा कि हम सभी आचार्य ज्ञान सागर जी का गुणानुवाद करने उपस्थित हुए है ।आचार्य श्री विद्यासागर जी को देखकर हम कह सकते है कि ज्ञान सागर जी महान थे ।गुरु की गहराई नापी नही जाती है ।
मुनि श्री अनंत सागर जी ने कहा कि कषाय को कम करना महत्वपूर्ण है ।आज गुरु बनने तो सब तैयार रहते  हैं लेकिन शिष्य बनने को कोई तैयार नही है।
मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि गुरु के पद को ग्रहण करने योग्य वही होता है जो गुरु के सारे गुणों को आत्मसात कर लेता है और गुरु की कीर्ति को बढ़ाता है । आधि व्याधी उपाधि से रहित निर्विकल्प समाधि है ।पूज्य ज्ञान सागर जी वृद्धों में भी वृद्ध थे हमेशा नीची निगाह करके बैठे रहते थे जिस साधक की  दीक्षा होती है उसकी उसी दिन से सल्लेखना प्रारंभ हो जाती है  जिस दिन से दीक्षा ली उसी दिन से हमारा आधा संसार कम हो गया महाकवि आचार्य श्री ज्ञान सागर जी महाराज की पूजन पंचायती मंदिर कमेटी महिला मंडल बालिका मंडल मुनि सेवा समिति पाठशाला परिवार ने की।

प्रेषक-

सृजल जैन गोटेगांव

8109397494
 

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