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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

*प.पू.आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को दी गई श्रद्धांजलि*


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बही पार्श्वनाथ 19-02-2024

*प.पू.आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को दी गई श्रद्धांजलि*

*आचार्य श्री ने मृत्यु महोत्सव मनाया - मुनि श्री*

*विदेशों में भी उनका नाम चलता था*

*दूसरे के रोग दूर हो ऐसी भावना करना चहिए*


विश्वहितचिंतक आचार्य श्री  विद्यासागर जी महामुनिराज के शिष्य  प.पू. मुनिश्री  विमलसागर जी , प.पू. मुनिश्री अनंतसागर जी , प.पू. मुनिश्री  धर्मसागर जी एवं प.पू. मुनिश्री भावसागर जी महाराज  के  सान्निध्य में श्री दिगंबर जैन हायर सेकेण्डरी विद्यालय बही पार्श्वनाथ दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र  मंदसौर मध्यप्रदेश में 19 फरवरी 2024  सोमवार को आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई जिसमे ब्रह्मचारिणी दीदी ने कहा कि आचार्य श्री का हर कोई दीवाना था ,ब्रह्मचारी अभिषेक भैया जी ने कहा कि आचार्य श्री गुणों के भंडार थे,बही पार्श्वनाथ तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष शांतिलाल जी बड़जात्या ने कहा कि आचार्य श्री ने प्रतिभास्थली के माध्यम से बालिकाओं को शिक्षा और संस्कार दिए ,मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने कहा कि आचार्य जी के द्वारा रचित मूकमाटी पढ़कर विदेशी लोगों ने मांसाहार का त्याग किया था ,आचार्य श्री शब्दों के जादूगर थे, उनके आशीर्वाद से कई लोगों के रोग दूर हो गए थे ,वह 44 घंटे तक ध्यान लगाते थे , वह शमशान में भी ध्यान लगाते थे, उनके दर्शन करने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,राज्यपाल ,मुख्यमंत्री ,सुप्रीम कोर्ट ,हाई कोर्ट के जज आदि आते थे, उन्होंने 135 गौशालाओं के माध्यम से गायों की रक्षा की, इंडिया नहीं भारत बोलने पर जोर देते थे, हिंदी भाषा को महत्व देते थे, हथकरघा के माध्यम से कैदियों को रोजगार दिया,उनकी उम्र 77 वर्ष 4 माह थी,उन्होंने मृत्यु को महोत्सव बनाया ,मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज ने कहा कि संसार में वियोग होता रहता है ,विदेश के लोग भी दुखी हैं यह जो क्षति हुई है इसके कारण,आचार्य श्री की प्रत्येक शैली बहुत अच्छी थी ,दुखी व्यक्ति उनसे निर्देश लेते रहते थे,वह कहते थे हमने अपने गुरुदेव से संलेखना कैसे करना है यह सीखा है, सन 2015 में दूध का त्याग कर दिया था, उनके अंदर अध्यात्म भरा था ,लगता नहीं था कि वह इतनी जल्दी चले जाएंगे, सभी उनसे प्रभावित होते थे, आचार्य श्री का अभाव हो गया है, हम अपने जीवन में उनके आदर्शों को अपनाये ,विदेश में भी उनका नाम चलता था,मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने कहा कि जिनकी विनयांजलि हम कर रहे हैं वह सामान्य पुरुष नहीं थे, वह सबको देते चले गए लेने का भाव नहीं था उनका,वह कहते थे न्यूनतम लेना, अधिकतम देना, श्रेष्ठतम जीना, उनकी महिमा को शब्दों से नहीं बांधा जा सकता है, गुरु के गुणों की गहराई को कोई नाप नहीं सकता है, परमात्मा को बताने वाले आचार्य होते हैं, ऐसे आचार्य भगवान आज हमारे बीच में नहीं है ,ऐसा कौन है जिनके हृदय में वह विराजमान नहीं है ,जब तक मेरी मुक्ति नहीं हो वह हमारे हृदय में विराजमान रहे ,वह बचपन में स्कूल जाते थे तो पुस्तकों को सर के ऊपर रखते थे इससे उनकी बुद्धि बढ़ती गई ,  गुरु के वचन महत्वपूर्ण होते हैं, वह महान गुरुकुल बनाकर चल गए, उन्होंने उपसर्ग ,परिषह सहन करें समता के साथ, वह कहते थे कि दूसरों के रोग दूर हो उसके लिए माला फेरना धर्म ध्यान है ,सब सूना सूना हो गया ,उनकी चर्या में शिथिलता नहीं थी, उन्होंने महीने भर पहले ही खबर भेजी थी कि सभी अपना अपना कार्य करना,
कमेटी ने जानकारी दी कि 20 फरवरी को बही पार्श्वनाथ तीर्थ क्षेत्र पर दोपहर 1:30 बजे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के समाधि मरण के उपलक्ष्य में मुनि संघ के सानिध्य मे शांति विधान होगा,

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