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अंतराष्ट्रीय सामूहिक गुरु विनयांजलि का आवाह्न : श्रद्धांजलि महोत्सव 25 फरवरी 2024, रविवार मध्यान्ह 1 बजे से ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

harshit sitawat

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  1. बही पार्श्वनाथ 19-02-2024 *प.पू.आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को दी गई श्रद्धांजलि* *आचार्य श्री ने मृत्यु महोत्सव मनाया - मुनि श्री* *विदेशों में भी उनका नाम चलता था* *दूसरे के रोग दूर हो ऐसी भावना करना चहिए* विश्वहितचिंतक आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के शिष्य प.पू. मुनिश्री विमलसागर जी , प.पू. मुनिश्री अनंतसागर जी , प.पू. मुनिश्री धर्मसागर जी एवं प.पू. मुनिश्री भावसागर जी महाराज के सान्निध्य में श्री दिगंबर जैन हायर सेकेण्डरी विद्यालय बही पार्श्वनाथ दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र मंदसौर मध्यप्रदेश में 19 फरवरी 2024 सोमवार को आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की श्रद्धांजलि सभा आयोजित हुई जिसमे ब्रह्मचारिणी दीदी ने कहा कि आचार्य श्री का हर कोई दीवाना था ,ब्रह्मचारी अभिषेक भैया जी ने कहा कि आचार्य श्री गुणों के भंडार थे,बही पार्श्वनाथ तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष शांतिलाल जी बड़जात्या ने कहा कि आचार्य श्री ने प्रतिभास्थली के माध्यम से बालिकाओं को शिक्षा और संस्कार दिए ,मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने कहा कि आचार्य जी के द्वारा रचित मूकमाटी पढ़कर विदेशी लोगों ने मांसाहार का त्याग किया था ,आचार्य श्री शब्दों के जादूगर थे, उनके आशीर्वाद से कई लोगों के रोग दूर हो गए थे ,वह 44 घंटे तक ध्यान लगाते थे , वह शमशान में भी ध्यान लगाते थे, उनके दर्शन करने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,राज्यपाल ,मुख्यमंत्री ,सुप्रीम कोर्ट ,हाई कोर्ट के जज आदि आते थे, उन्होंने 135 गौशालाओं के माध्यम से गायों की रक्षा की, इंडिया नहीं भारत बोलने पर जोर देते थे, हिंदी भाषा को महत्व देते थे, हथकरघा के माध्यम से कैदियों को रोजगार दिया,उनकी उम्र 77 वर्ष 4 माह थी,उन्होंने मृत्यु को महोत्सव बनाया ,मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज ने कहा कि संसार में वियोग होता रहता है ,विदेश के लोग भी दुखी हैं यह जो क्षति हुई है इसके कारण,आचार्य श्री की प्रत्येक शैली बहुत अच्छी थी ,दुखी व्यक्ति उनसे निर्देश लेते रहते थे,वह कहते थे हमने अपने गुरुदेव से संलेखना कैसे करना है यह सीखा है, सन 2015 में दूध का त्याग कर दिया था, उनके अंदर अध्यात्म भरा था ,लगता नहीं था कि वह इतनी जल्दी चले जाएंगे, सभी उनसे प्रभावित होते थे, आचार्य श्री का अभाव हो गया है, हम अपने जीवन में उनके आदर्शों को अपनाये ,विदेश में भी उनका नाम चलता था,मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने कहा कि जिनकी विनयांजलि हम कर रहे हैं वह सामान्य पुरुष नहीं थे, वह सबको देते चले गए लेने का भाव नहीं था उनका,वह कहते थे न्यूनतम लेना, अधिकतम देना, श्रेष्ठतम जीना, उनकी महिमा को शब्दों से नहीं बांधा जा सकता है, गुरु के गुणों की गहराई को कोई नाप नहीं सकता है, परमात्मा को बताने वाले आचार्य होते हैं, ऐसे आचार्य भगवान आज हमारे बीच में नहीं है ,ऐसा कौन है जिनके हृदय में वह विराजमान नहीं है ,जब तक मेरी मुक्ति नहीं हो वह हमारे हृदय में विराजमान रहे ,वह बचपन में स्कूल जाते थे तो पुस्तकों को सर के ऊपर रखते थे इससे उनकी बुद्धि बढ़ती गई , गुरु के वचन महत्वपूर्ण होते हैं, वह महान गुरुकुल बनाकर चल गए, उन्होंने उपसर्ग ,परिषह सहन करें समता के साथ, वह कहते थे कि दूसरों के रोग दूर हो उसके लिए माला फेरना धर्म ध्यान है ,सब सूना सूना हो गया ,उनकी चर्या में शिथिलता नहीं थी, उन्होंने महीने भर पहले ही खबर भेजी थी कि सभी अपना अपना कार्य करना, कमेटी ने जानकारी दी कि 20 फरवरी को बही पार्श्वनाथ तीर्थ क्षेत्र पर दोपहर 1:30 बजे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के समाधि मरण के उपलक्ष्य में मुनि संघ के सानिध्य मे शांति विधान होगा,
  2. 18-02-2024 *आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का हुआ समाधि मरण* *पूरे विश्व में शोक की लहर छाई* *प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 1 मिनट का मौन रखा , जे. पी. नड्डा ने श्रद्धान्जली दी* *आचार्य श्री की 77 वर्ष , 4 माह, 8 दिन की उम्र* *56 वर्ष तक चर्या का पालन किया* *पूरे देश में जैन समाज का व्यापार बंद रहा* *भारत के लोगो ने श्रद्धांजलि दी* *11 फरवरी को जीनियस वर्ल्ड रिकॉर्ड में ब्रह्मांड के देवता की उपाधि दी* विश्वहितचिंतक आचार्य श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के शिष्य प.पू. मुनिश्री विमलसागर जी , प.पू. मुनिश्री अनंतसागर जी , प.पू. मुनिश्री धर्मसागर जी एवं प.पू. मुनिश्री भावसागर जी महाराज का प्रवेश श्री बही पार्श्वनाथ दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र मंदसौर मध्यप्रदेश में शाम को हुआ था , ज्ञात हो कि मुनि संघ का पद बिहार आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के दर्शनार्थ चल रहा था अचानक रात्रि में सूचना मिलने के बाद मुनि संघ को आघात पहुंचा ,युग दृष्टा ब्रहमांड के देवता आचार्य प्रवर श्री विद्यासागर जी महामुनिराज का समाधि मरण 17 फरवरी 2024, शनिवार तदनुसार माघ शुक्ल अष्टमी दशलक्षण महापर्व के अंतर्गत उत्तम सत्य धर्म के दिन रात्रि में 2:35 बजे वह ब्रह्म में लीन हो गए। हम सबके प्राण दाता राष्ट्रहित चिंतक परम पूज्य गुरुदेव ने विधिवत सल्लेखना बुद्धिपूर्वक धारण करली थी। पूर्ण जागृतावस्था में उन्होंने आचार्य पद का त्याग करते हुए 3 दिन से उपवास धारण किये हुए (शायद हमेशा के लिए) आहार एवं संघ का प्रत्याख्यान कर दिया था एवं प्रत्याख्यान व प्रायश्चित देना बंद कर दिया था और अखंड मौन धारण कर लिया था 8 फरवरी 2024 को चतुर्दशी प्रतिक्रमण करने के बाद ,9 फरवरी 2024, शुक्रवार को दोपहर शौच से लौटने के उपरांत साथ के मुनिराजों को अलग भेजकर निर्यापक श्रमण मुनिश्री योग सागर जी से चर्चा करते हुए संघ संबंधी कार्यों से निवृत्ति ले ली थी और उसी दिन आचार्य पद का त्याग कर दिया था। उन्होंने आचार्य पद के योग्य प्रथम दीक्षित मुनि शिष्य निर्यापक श्रमण मुनि श्री समयसागर जी महाराज को योग्य समझा और तभी उन्हें आचार्य पद दिया जावे ऐसी घोषणा कर दी थी गुरूजी को यम संलेखना संबोधन निर्यापक श्रमण मुनि श्री योगसागर जी, निर्यापक श्रमण मुनि श्री समतासागर जी, निर्यापक श्रमण मुनि श्री प्रसादसागर जी, मुनि श्री पूज्य सागर जी, मुनि श्री चन्द्रप्रभसागर जी, मुनि श्री पूज्यसागर जी, मुनि श्री महासागर जी, मुनि श्री निष्कम्प सागर जी, मुनि श्री निरामयसागर जी, मुनि श्री निस्सीमसागर जी , ऐलक श्री निश्चयसागर जी, ऐलक श्री धैर्यसागर जी ब्रह्मचारी विनय भैया “सम्राट “ बण्डा(बेलई) ब्रह्मचारी तात्या भैया,ब्रह्मचारी अशोक भिलवड़े, मधुर देवरी की मौजूदगी में संपन्न हुई, गुरुवर्य श्री जी का डोला 18 फरवरी 2024 को चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र डोंगरगढ जिला राजनांदगांव , छत्तीसगढ़ में दोपहर में निकाला गया,एवम् चन्द्रगिरि तीर्थ पर ही पंचतत्व में विलीन किया गया, पूरे देश से लोग शामिल हुए सल्लेखना के अंतिम समय श्रावकश्रेष्ठी अशोक जी पाटनी आर के मार्बल, वंडर सीमेंट परिवार किशनगढ, राजा भाई सूरत प्रभात जी मुम्बई, अतुल शाह पुणे, डॉ सुहास शाह मुम्बई, डॉ स्वप्निल सिंघई व डॉ गौरव शाह पूर्णायु जबलपुर, विनोद बडजात्या रायपुर, किशोर जी चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र अध्यक्ष डोंगरगढ भी उपस्थित रहे । *ऐसे व्यक्तित्व के धनी थे आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज* उनका जन्म 10 अक्टूबर 1946 को विद्याधर के रूप में कर्नाटक के बेलगाँव जिले के सदलगा में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। उनके पिता श्री मल्लप्पा जी थे, जो बाद में मुनि श्री मल्लिसागर बने। उनकी माता श्रीमंती थी जो बाद में आर्यिका श्री समयमति माताजी बनी। विद्यासागर जी को 30 जून 1968 में अजमेर में 22 वर्ष की आयु में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज ने दीक्षा दी, जो आचार्य शांतिसागर शिष्य थे। आचार्य विद्यासागर जी को 22 नवम्बर 1972 में आचार्य श्री ज्ञानसागर जी द्वारा आचार्य पद दिया गया था,आपके सभी घर के लोग दीक्षा ले चुके है। ब्रह्मचारी अनंतनाथ जी(वर्तमान में निर्यापक मुनि श्री योग सागर जी महाराज) और शांतिनाथ जी (वर्तमान में आचार्य श्री समय सागर जी महाराज) आचार्य श्री विद्यासागर जी ने संस्कृत, प्राकृत सहित विभिन्न आधुनिक भाषाओं हिन्दी, मराठी और कन्नड़ में विशेषज्ञ स्तर का ज्ञान अर्जन किया था ,उन्होंने हिन्दी और संस्कृत की विशाल मात्रा में रचनाएँ की हैं। 100 से अधिक शोधार्थियों ने उनके कार्य का मास्टर्स और डॉक्ट्रेट के लिए अध्ययन किया है। उन्होंने द्वारा रचित महाकाव्य मूकमाटी है जो भारतीय ज्ञान पीठ दिल्ली से प्रकाशित है।विभिन्न विद्यालय ,महाविद्यालय ,संस्थानों में यह स्नातकोत्तर के हिन्दी पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता है।आचार्य श्री विद्यासागर जी कई धार्मिक कार्यों में प्रेरणास्रोत रहे हैं। कोई बैंक खाता नही कोई ट्रस्ट नही, कोई जेब नही , कोई मोह माया नही, अरबो रुपये जिनके ऊपर निछावर होते थे उन गुरुदेव के कभी धन को स्पर्श नही किया। आजीवन चीनी का त्याग आजीवन नमक का त्याग आजीवन चटाई का त्याग आजीवन हरी सब्जी का त्याग, फल का त्याग, एलोपैथी औषधि का त्याग,सीमित ग्रास भोजन, सीमित अंजुली जल, 24 घण्टे में एक बार 365 दिन आजीवन दही का त्याग सूखे मेवा (ड्राई फ्रूट्स)का त्याग आजीवन तेल का त्याग, सभी प्रकार के भौतिक साधनो का त्याग थूकने का त्याग एक करवट में शयन बिना चादर, गद्दे, तकिए के सिर्फ तखत पर किसी भी मौसम में। पूरे भारत में सबसे ज्यादा दीक्षा देने वाले एक ऐसे संत जो सभी धर्मो में पूजनीय पूरे भारत में एक ऐसे आचार्य जिनका लगभग पूरा परिवार ही संयम के साथ मोक्षमार्ग पर चल रहा है शहर से दूर खुले मैदानों में नदी के किनारो पर या पहाड़ो पर अपनी साधना करना अनियत विहारी यानि बिना बताये पद विहार करते थे प्रचार प्रसार से दूर- मुनि दीक्षाएं, पिच्छि परिवर्तन इसका उदाहरण, आचार्य श्री देशभूषण जी महाराज से जब ब्रह्मचर्य व्रत के लिए स्वीकृति नहीं मिली तो गुरुवर ने व्रत के लिए 3 दिन बिना जल भोजन के उपवास किया और स्वीकृति लेकर माने ब्रह्मचारी अवस्था में भी परिवार जनो से चर्चा करने अपने गुरु से स्वीकृति लेते थे और परिजनों को पहले अपने गुरु के पास स्वीकृति लेने भेजते थे । आचार्य भगवन जो न केवल मानव समाज के उत्थान के लिए इतने दूर की सोचते थे वरन मूक प्राणियों के लिए भी उनके करुण ह्रदय में उतना ही स्थान था । शरीर का तेज ऐसा जिसके आगे सूरज का तेज भी फीका और कान्ति में चाँद भी फीका था हम धन्य है जो ऐसे महान गुरुवर का सनिध्य हमे प्राप्त हुआ प्रधानमंत्री हो या राष्ट्रपति सभी के पद से अप्रभावित साधना में रत गुरुदेव हजारो गाय की रक्षा , गौशाला समाज ने बनाई। हजारो बालिकाओ को संस्कारित आधुनिक स्कूल इतना कठिन जीवन के बाद भी मुख मुद्रा स्वर्ग के देव सी.... ,ऐसे हम आचार्य श्री विद्या सागर जी के चरणों में शत शत नमन नमन नमन जबलपुर अजमेर ट्रेन जिसे *दयोदय एक्सप्रेस कहा जाता है, का नाम इसके गुरु की उत्कृष्ट कृति के नाम पर रखा गया था । मानव सेवा और शिक्षा फार्मेसी कॉलेज नर्सिंग कॉलेज भाग्योदय तीर्थ सागर में कार्य कर रहा है । बीना बरह, मंडला , भोपाल, कुंडलपुर, खजुराहो, मुंबई, अशोकनगर, जगदलपुर, डिंडोरी में हैंडलूम का संचालन हो रहा है । जिसमें कपड़े अहिंसक तरीके से बनाए जा रहे हैं और युवाओं और कैदियों को जेल में रखा जा रहा है और शांति धारा दूध योजना चल रही है जिसमें 500 से अधिक गायों को पाला जा रहा है और दूध घी आदि । इसका उत्पादन शुद्ध वस्तुओं में किया जा रहा है । सभी वस्तुओं का उत्पादन जैविक विधि के माध्यम से आचार्य श्री विद्यासागर अनुसंधान संस्थान भोपाल द्वारा विभिन्न पदों के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है । भारतीय प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान जबलपुर में स्थित है, जहां हजारों युवाओं ने शिक्षण के माध्यम से प्रशासन के उच्च पदों को प्राप्त किया है । सुप्रीम कोर्ट के 7 जजों की बेंच ने गायों के ऐतिहासिक वध पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया बैलों के संरक्षण और रोजगार के लिए गंज बासौदा विदिशा में दयोदय जहाज का वितरण किया गया *आचार्य विद्यासागर जी गौ संवर्धन योजना भी मध्य प्रदेश में सरकार द्वारा चल रही है* उनके दर्शन से पहले देश भर में लगभग 135 गौशालाओं में लाखों जानवरों का संरक्षण किया जा रहा है स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई वर्तमान श्री नरेंद्र मोदी जी और कई मुख्यमंत्री और कई राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश, आयोग के अध्यक्ष और कई अच्छे काम किए गए हैं विशिष्ट पदों वाले लोगों, राजनेताओं के साथ चर्चा के दौरान, विचारक, विचारक, साहित्यकार, शिक्षक, न्यायाधीश, डॉक्टर, डॉक्टर, प्रकाशक, समाज सेवा कार्यकर्ता, उद्योगपति, वकील, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, कुलपति, आदि । जो लोग आपकी दृष्टि में आए उन्हें मार्गदर्शन मिला । आपने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड आदि में बिहार किया है । उन्होंने 1969 से मीठे नमक का त्याग किया । चटाई को 1985 से छोड़ दिया गया है । 1994 से फलों की सब्जियों को छोड़ दिया गया है । 9 निर्जल उपवास लगातार आपने किया । आपके द्वारा रूपक कथा कविता, आध्यात्मिकता, दर्शन और युग चेतना का संगम है । संस्कृति, लोगों और भूमि के महत्व को स्थापित करते हुए, आचार्यश्री ने इस महाकाव्य के माध्यम से राष्ट्रीय पहचान को पुनर्जीवित किया । । उनके उपदेश, भाषण, प्रेरणा और आशीर्वाद के साथ, अनेको तीर्थ, भाग्योदय तीर्थ मंदिर निर्माण औषधालय, अनेको अस्पताल, प्रतिभास्थली, हाथ करघा, त्रिकाल चौबीसी आदि । कई स्थानों पर स्थापित किए गए हैं और कई स्थानों पर निर्माण चल रहा है । विकलांगों के लिए कितने शिविर, कृत्रिम अंग, श्रवण यंत्र, बैसाखी, तीन पहिया साइकिल वितरित किए गए । शिविर में आंखों के ऑपरेशन, दवाइयां व चश्मे का नि: शुल्क वितरण हुआ । सर्वोदय तीर्थ नि: शुल्क सहायता केंद्र अमरकंटक में कार्य कर रहा है । पशु और पशु दया की भावना के साथ, दयोदय गौशाला देश के विभिन्न राज्यों में स्थापित की गई है जहां हजारों वध किए गए जानवरों को लाया और संरक्षित किया जा रहा है । यह आचार्य श्री जी की भावना थी कि पशु मांस के निर्यात के खिलाफ जन जागरूकता अभियान किसी भी पार्टी, धर्म या समाज तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि सभी राजनीतिक दलों, समाज, दान और व्यक्तियों की सामूहिक भागीदारी होनी चाहिए । । यहां तक कि जहां वह बैठते थे, और जहां उनके शिष्य होते थे, उनके जन्म का दिन उनके समर्थन से नहीं मनाया जाता था तप उनकी जीवन शैली थी, आध्यात्मिकता उनकी साधना थी विश्व का मंगल उनकी शुद्ध इच्छा थी और उचित दृष्टि और संयम उनका संदेश था। आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज अपने भक्तों के लोक कल्याण में रहते हुए और साधना के उच्चतम चरणों पर चढ़ते हुए पूरे देश में विहार करते थे। भारत भूमि का अनाज तपस्वियों के पद से बहाल किया गया था । आचार्यश्री विद्यासागरजी इस युग की तपस्वी परंपरा में अग्रणी थे भगवान विग्रह बनने के मार्ग पर चलने वाले इस पथिक का हर पल चेतन और आध्यात्मिक आनंद से भरा होता था। उनका जीवन विविध था। उनके विशाल और व्यापक व्यक्तित्व के कई पहलू थे और अखिल भारतीय उनकी कार्रवाई का स्थान था । उन्होंने कई संस्थानों, विद्या केंद्रों को प्रेरणा और प्रोत्साहन दिया । उनके आगमन के साथ ही त्याग, तपस्या और धर्म का सुगंधित समीर बहने लगता था लोगों को नई प्रेरणा और नई खुशी मिलती थी। असाधारण व्यक्तित्व, दयालु, मधुर और घृणित भाषण और मजबूत आध्यात्मिक शक्ति के कारण सभी वर्गों के लोग आपकी ओर आकर्षित होते थे । एक कठोर तपस्वी, एक दिगंबर मुद्रा, एक शाश्वत दयालु हृदय, एक शांत अनाग्रही दृष्टि, एक तेज मेधा और एक स्पष्ट वक्ता के रूप में अपने अद्वितीय व्यक्तित्व के सामने, वह आत्म-सचेत हो जाता था यह केवल अल्पावधि में था कि उनकी आध्यात्मिक रुचि परिलक्षित होने लगी । आत्मज्ञान के लिए एक मजबूत जुनून था, संयम के लिए एक मजबूत प्रेरणा । आचार्यश्री की प्रेरणा से उनके परिवार के 7 सदस्यों ने भी एक जैन भिक्षु के योग्य संन्यास ले लिया । उसके माता-पिता के अलावा, दो छोटी बहनों और 3 भाइयों ने भी आर्यिका और मुनिदीक्षा का आयोजन किया । आचार्यश्री विद्यासागरजी का बाहरी व्यक्तित्व अंतरंग के रूप में मनोरम था, तपस्या में वे गड़गड़ाहट के साथ कठोर थे, लेकिन उनका मुक्त हास्य और कोमल मुखमुद्रा कुसुम की कोमलता को दर्शाता था अलीप्ता और शोर के यशोधरा से दूर रहते थे शहरों से दूर तीर्थ क्षेत्र मंदिरों में एकांत स्थानों पर चातुर्मास ,प्रवास आयोजित किए जाते थे । खजुराहो में, लगभग 2000 विदेशियों ने मांस, शराब आदि का त्याग किया था। संगठन और आडंबर से दूर रहने के कारण प्रस्थान की दिशा और समय की घोषणा भी नहीं करते थे। वे बिना किसी चेतावनी के दीक्षा के लिए अपने शिष्यों को भी तैयार करते थे । हाथी, घोड़े, पालकी और बैंड-बाजे चमक के अलावा एक साधारण समारोह में दीक्षा देते थे। इस युग में ऐसे संतों की दृष्टि अटूट है वे दृढ़ इच्छाशक्ति वाले थे। । आचार्यश्री विद्यासागरजी जैसे संत इस स्थिति में आशा की किरण जगाते हैं । वह हर 2 महीने में अपने हाथों से अपने बालों को भी हटाते थे और 24 घंटे में एक बार भोजन और पानी का सेवन करते थे वह योगी, साधक, चिंतक, आचार्य, दार्शनिक आदि जैसे विभिन्न रूपों के कवि थे उनकी सहज काव्य प्रतिभा का फूल शायद उनके गुरुवर ज्ञानसागरजी की प्रेरणा से आया था । यदि आपका संस्कृत, कन्नड़ भाषा की शिक्षा पर अधिकार था, तो भी हिंदी पर आपका असाधारण अधिकार था। आपने हिंदी भाषा अभियान, हिंदी भाषा, मातृभाषा, नहीं और भारत नहीं भारत बोले को अपना समर्थन दिया था आपने इसके लिए मार्गदर्शन, प्रेरणा भी दी थी । उनके सभी महाकाव्य कई तत्वों से भरे हुए हैं, जिनमें आधुनिक समस्याओं के स्पष्टीकरण और समाधान शामिल हैं, जीवन के संदर्भ में बयानों को छूना।. सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक क्षेत्रों में व्याप्त दोषों का एक प्रदर्शन भी है । आचार्यश्री विद्यासागरजी महाराज वीतराग, निस्पिश्रिहा, करुणापुरित, परिषहजयी संवयश-साधु के आदर्श मार्ग के परम आदर्श थे आपकी आत्मा लोगों की भलाई पर रहती थी। ऐसे दुर्लभ संत द्वारा दीक्षा लेने वाले सभी शिष्य भी दर्शन के लिए तरसते थे । प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मिनट का मौन रखा , जे. पी. नड्डा ने श्रद्धानजली दी आचार्य श्री की 77 वर्ष , 4 माह की उम्र थी उन्होंने 56 वर्ष तक चर्या का पालन किया पूरे देश में जैन समाज का व्यापार बंद रहा भारत के लोगो ने श्रद्धांजलि दी 11 फरवरी 2024 को जीनियस वर्ल्ड रिकॉर्ड में ब्रह्मांड के देवता की उपाधि दी थी आचार्य श्री ने 52000 किमी से अधिक की पद यात्रा की थी उनकी 1500 से अधिक पूजन लिखी गई,
  3. 10/03/2024 🌴🪷☘️🌺☘️🌸। *बुंदेलखंड की ओर बढ़ते कदम* *बिहार समाचार* 🪷☘️🌺☘️🌸 *महासमाधि धारक परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य* परम पूज्य *आचार्य श्री समयसागर जी महाराज के आज्ञानुवर्ती* पूज्य मुनि श्री धर्मसागर जी महाराज पूज्य मुनि श्री भावसागर जी महाराज का बिहार चल रहा है *रात्रि विश्राम* 10/03/2024 अगरपुरा जिला गुना (मध्यप्रदेश) रात्रि विश्राम* गूगल मैप लोकेशन देखें* https://maps.app.goo.gl/uTMTCNXWPdjdnB5R9 *आहारचर्या* 11/03/2024 छात्रावास सिरोंज बायपास जिला विदिशा (मध्यप्रदेश) आहार चर्या * गूगल मैप लोकेशन देखें* https://maps.app.goo.gl/5XkKYLqpE71vJHEFA *संभावित विहार मार्ग* 👉🏻 मकसूदनगढ़ 👉🏻18 km लटेरी 👉🏻29 km सिरोंज 👉🏻32 km मैलुआ चौराहा 👉🏻28 km बीना 👉🏻20 km खिमलासा *नोट* :बिहार समाचार में स्थिति, परिस्थिति अनुसार परिवर्तन हो सकता है! *पद बिहार की जानकारी हेतु संपर्क सूत्र* ब्र.पीयूष भैया 8318681665 रितेश जैन वंडर सीमेंट 77260 07053 ईशान जैन गुना 7509903463 विहार विशेष सहयोगी*__ (1) पाटनी परिवार आर. के. मार्बल वंडर सीमेंट किशनगढ़ उदयपुर परिवार (2) सकल दिगंबर जैन समाज लटेरी जिला विदिशा (म.प्र.)
  4. घाटोल 1/ 01/ 2024 *नव वर्ष में सबके जीवन में सुख ,शांति समृद्धि में वृद्धि हो सभी स्वस्थ रहे* *घाटोल के नवयुवक बिहार में चल रहे हैं* *भारत के कई नगरों से लोग शामिल होंगे* घाटोल के नवयुवक बिहार में चल रहे हैं सर्वश्रेष्ठ साधक *आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज* के शिष्य मुनि श्री विमलसागर जी महाराज मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज मुनि श्री भाव सागर जी महाराज का मंगल प्रवेश श्री दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र श्रमणोदय हीराता जिला डूंगरपुर (राजस्थान) 01 जनवरी 2024 सोमवार को प्रातः काल की बेला में हुआ नव वर्ष के प्रथम दिन धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि अवसर आते है चले जाते है, जो अवसर का लाभ नहीं लेता है वह रह जाता है, फिर दुबारा अवसर मिलना कठिन होता है, देव पथ ,खेवपथ ने श्री सम्मेद शिखर जी, सिद्ध क्षेत्र पर ज्वार मक्के के दाने चढ़ाये थे जो अतिशय से मोती बन गये थे, अतिशय क्षेत्र की वंदना करने से अपने जीवन में अतिशय होते है, जिननाथपुरम खुणादरी जिला उदयपुर में हजारों वर्षों के लिए मंदिर रहेगा, जिसकी जैसी योग्यता हो पात्र बनकर पंचकल्याणक में सहयोग देना है, मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने कहा कि नव वर्ष प्रारंभ हो गया है सबके जीवन में सुख ,शांति समृद्धि में वृद्धि हो सभी स्वस्थ रहे गरीबों को भोजन,वस्त्र ओषधि एवं आवश्यक सामग्री की प्राप्ति हो सभी धर्म का आलंबन लेकर आगे बढ़ते रहे, प्रभु का हो या परोपकार का कार्य उसके लिए जो भी दान दिया जाता है ,अर्पित किया जाता है फिर उस धन संपत्ति का उपयोग नहीं करना चाहिए ,दान देने से भगवान और महान बनता है व्यक्ति ,दान से शत्रुता का नाश होता है ,दान बोलकर नहीं देने से बीमारियां होती हैं, परेशानी आती है, प्रतिमा मंदिर ,शिखर के लिए दान देने वाले की महिमा का वर्णन करने के लिए सरस्वती भी समर्थ नहीं है, पूर्वजों ने जो भी मंदिर बनवाए थे हम उनकी सुरक्षा कर रहे हैं यह महत्वपूर्ण कार्य है ,दान से सम्मान मिलता है ,पूरी दुनिया में प्रसिद्धि फैलती है ,घर से जो पूजन की शुद्ध सामग्री लाता है वह विशेष पुण्य का अर्जन करता है ,भरत चक्रवर्ती जब पूजन करते थे तो द्रव्य के पहाड़ बन जाते थे ,प्रभु की स्वर्ण और रतन से पूजन करना चाहिए ज्ञात हो कि मुनि संघ का पद बिहार दिगंबर जैन अतिशय तीर्थ क्षेत्र जिननाथपुरम खुणादरी जिला उदयपुर में 13 से 19 जनवरी 2024 तक होने वाले पंचकल्याणक महोत्सव के लिए चल रहा है। कमेटी ने जानकारी दी कि 2 जनवरी मंगलवार को डूंगरपुर में प्रातः 8 बजे ओटे के पास जैन समाज द्वारा मुनि श्री संसघ की मंगल आगवानी की जाएगी फिर बैंड बाजे के साथ महिलाओं के द्वारा मंगल कलश के द्वारा अभिनंदन कर महावीर नगर न्यू कॉलोनी मे मंगल प्रवेश होगा खुणादरी मैं मंगल प्रवेश 6 जनवरी को होने की संभावना है,वहां पूर्व से विराजमान आर्यिका श्री पूर्णमति माताजी ससंघ मुनि संघ की मंगल आगवानी करेगी पंचकल्याणक महोत्सव की तैयारियां जोरो से चल रही है विशाल पंडाल बनाया जा रहा है पूरे भारत के कई नगरों से लोग शामिल होंगे 100 से ज्यादा अस्थाई विशेष कमरे तैयार किए गए हैं यहां पर 511 वर्ष प्राचीन श्री आदिनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान हैं
  5. चितरी 30/ 12/ 2023 *दान के माध्यम से व्यक्ति ऊंचाइयों पर पहुंचता है* *क्षमा से शत्रु भी मित्र बन जाता है* श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर चितरी जिला डूंगरपुर (राजस्थान) में सर्वश्रेष्ठ साधक *आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज* के शिष्य मुनि श्री विमलसागर जी महाराज मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज मुनि श्री भाव सागर जी महाराज का मंगल प्रवेश 30 दिसंबर 2023 शनिवार को हुआ जगह-जगह पाद प्रक्षालन किया गया आरती उतारी गई ,फिर धर्म सभा का आयोजन हुआ,श्रीफल अर्पण किए गए ,मांगलिक क्रियाएं संपन्न हुई , इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि दान की महिमा अपरंपार है ,दान के माध्यम से व्यक्ति ऊंचाइयों पर पहुंचता है खुणादरी में पंचकल्याणक होना है , वहां जंगल में मंगल करना है, उस अतिशय क्षेत्र को ऊंचा उठाना है । मुनिश्री भाव सागर जी महाराज ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व में क्षमा से बढ़कर अन्य कुछ नहीं है । क्षमा और उदारता वहीं सच्ची है जहाँ स्वार्थ का भी वास न हो क्षमा से व्यक्ति फूल सा हल्का हो जाता है। इसका विपरीत तत्व है क्रोध, क्रोध की दोहरी तलवार मान के स्थान में रहती हैं। क्षमा उनसे मांगे जिनसे हमारी बनती नहीं है। । क्षमा न करने से व्यक्ति तनाव ग्रस्त रहता है । क्षमा वंदनीय है, क्षमा जिंदगी, क्षमा साधना, क्षमा प्रार्थना आदि हैं। । भारत एक ऐसा देश है जिसने हमेशा दुश्मन की भूलों को भी क्षमा किया है। यह पहला देश है जहाँ युद्ध हमेशा मजबूरी में लड़ा जाता है शौक से नहीं हैं। क्रोध से मनुष्य की अन्तः सावी ग्रन्थियों से विषाक्त द्रव्यों का स्राव होने लगता है जो पूरे शरीर में फैलने लगता हैं । क्षमा जीवन उत्थान का मार्ग है खुशहाली का खजाना है परम सुख है मोक्ष का दरवाजा है स्नेही की सरिता है आत्मा का आनंद है महान तप है हृदय का धर्म है ऊंचा आचरण है क्षमा से ही व्यक्ति ऊंचा उठता है इससे शत्रु भी मित्र बन जाता है क्रोध को जीतने का उपाय क्षमा है इसकी कभी पराजय नहीं होती है। क्रोध से अनेक बीमारियां होती है हार्ट अटैक ब्लड प्रेशर आदि होते है
  6. अरथुना 29/ 12/ 2023 *श्री जी की विशाल रथ यात्रा निकाली गई* *संकल्प ही जीवन का कायाकल्प करता हैं* श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर अरथूना जिला ,बांसवाड़ा (राजस्थान) में सर्वश्रेष्ठ साधक *आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज* के शिष्य मुनि श्री विमलसागर जी महाराज मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज मुनि श्री भाव सागर जी महाराज के सानिध्य में 29 दिसंबर 2023 शुक्रवार को श्री जी की विशाल रथ यात्रा निकाली गई इसी के साथ मुनि श्री विमल सागर जी महाराज मुनि श्री अनंतसागर जी महाराज का मंगल प्रवेश हुआ जगह-जगह पाद प्रक्षालन किया गया आरती उतारी गई फिर धर्म सभा का आयोजन हुआ, पाद प्रक्षालन किया गया , आरती में उतारी गई,श्रीफल अर्पण किए गए, ,मांगलिक क्रियाएं संपन्न हुई , इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री भाव सागर जी ने कहा कि भक्ति में जो भी अर्पण किया जाता है वह श्रेष्ठ होता है। खाली हाथ क्रिया नहीं करना चाहिए, पंचकल्याणक में केवल ज्ञान कल्याणक के दिन प्राण प्रतिष्ठा मंत्र के द्वारा प्राण प्रतिष्ठा की जाती है । सुरि मंत्र प्रदान करते समय साधु के भावों की विशुद्धि स्थिरता एवं श्रद्धा भक्ति प्रतिमा को ऊर्जावान और पूज्य बनाती है। प्रतिमा में कितनी भी क्रियाएं की जावे , किंतु सूरि मंत्र के बिना वे सभी क्रियाएं कार्यकारी नहीं हो पाती है। रथ यात्रा धर्म तीर्थ के नायक प्रभु की धर्म देशना का प्रतीक है ,इससे असंख्य जीवों को आत्मबोध की प्राप्ति होती है ,चक्रवर्ती की दिग्विजय यात्रा के समय सैकडो रथों में प्रतिमा रख कर छह खंडों की परिक्रमा करने का कथन ग्रंथों में मिलता है , मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि छोटा लक्ष्य रखना अपराध हैं, भावना रख रहे है अंजना और अरथूना के बीच में नव वर्ष का कार्यक्रम हो , यह जब होगा जब पंचकल्याणक महोत्सव होगा, जिस दिन अतिथि आते है वह तिथि अक्षय तृतीया जैसी हो जाती है, लक्ष्य हमेशा ऊंचा रखना चाहिए, जैसे दूध में घी रहता है वैसे ही शरीर में आत्मा रहती हैं, नशीले पदार्थ तन, मन, धन, जीवन खराब करते है, जिन खाद्य पदार्थों में मांस आदि रहता है उनका त्याग करना चाहिए, जो प्रभु के दर्शन नहीं करते है वह चमगादड़ की तरह मंदिर में लटके रहते है ,संकल्प ही जीवन का कायाकल्प करता है , खुणादरी में पंचकल्याणक होना है , वहां जंगल में मंगल करना है, उस अतिशय क्षेत्र को ऊंचा उठाना है । विशाल पाषाण के मंदिर में वेदी बनवाने का सौभाग्य स्वर्गीय श्रीमती आनंद देवी रमनलाल, शाह, संजय अलका रोधी पारिल शाह परिवार को प्राप्त हुआ
  7. अरथुना 27/ 12/ 2023 *पाषाण के मंदिर की उम्र 2000 वर्ष होती है* *पाषाण के मंदिर में दान करने वालों को अनंत गुना पुण्य मिलता है* *मुनि संघ का हुआ मंगल प्रवेश* श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर अरथूना जिला ,बांसवाड़ा (राजस्थान) में सर्वश्रेष्ठ साधक *आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज* के शिष्य मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज मुनि श्री भाव सागर जी महाराज का मंगल प्रवेश 27 दिसंबर 2023 बुधवार को हुआ पाद प्रक्षालन किया गया , आरती उतारी गई,श्रीफल अर्पण किए गए, लोग भक्तिमय नृत्य करते हुए चल रहे थे फिर मंदिर मे प्रतिमाओं के दर्शन किए फिर धर्म सभा का आयोजन हुआ इसमें , ,पाद प्रक्षालन, शास्त्र अर्पण राजेश उकावता परिवार घाटोल नै किया गया ,आरती उतारी गई ,मांगलिक क्रियाएं संपन्न हुई ,श्रीफल अर्पण किए गए , , फिर धर्म सभा का आयोजन हुआ इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने कहा कि यहां पाषाण का मंदिर बन रहा है जिसकी उम्र 2000 वर्ष होती है इसमें दान करने वालों को अनंत गुना पुण्य मिलता है इस मंदिर में सभी को सहयोग देना है जिससे अति शीघ्र पंचकल्याणक संपन्न हो सके पंचकल्याणक में सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य श्री विमल कुमार जी पाटनी (आर. के मार्बल एंड वंडर सीमेंट परिवार)किशनगढ़ उदयपुर को प्राप्त हुआ ।आगामी संभावित मार्ग इस प्रकार रहैगा अरथुना, आंजना, गलियाकोट, डूंगरपुर, अतिशय क्षेत्र जिननाथपुरम खुणादरी जिला उदयपुर पहुंचेंगे
  8. *सीतामऊ* 27 /02/2024 🌴🪷☘️🌺☘️🌸। *बुंदेलखंड की ओर बढ़ते कदम* *बिहार समाचार* 🪷☘️🌺☘️🌸 *समाधिस्थ सर्वश्रेष्ठ साधक परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य* पूज्य मुनि श्री धर्मसागर जी महाराज पूज्य मुनि श्री भावसागर जी महाराज का बिहार चल रहा है *रात्रि विश्राम* सुरजिनी 27/02/2024 ,(मंदसौर से ,41 किमी.(मध्यप्रदेश) *आहारचर्या* वसई 28/02/2024 सीतामऊ से 23 किलोमीटर मंदसौर से ,52 किमी.मध्यप्रदेश *नोट* :बिहार समाचार में स्थिति, परिस्थिति अनुसार परिवर्तन हो सकता है! *पद बिहार की जानकारी हेतु संपर्क सूत्र* ब्र.पीयूष भैया 8318681665 प्राशु जैनधर्म वाणी 7440574558 *पदविहार सहयोगी* (1) पाटनी परिवार आर. के. मार्बल वंडर सीमेंट किशनगढ़ उदयपुर परिवार (2) जैन युवा संगठन एवं आगम ग्रुप, एवं सकल दिगंबर जैन समाज , घाटोल जिला बांसवाड़ा (राजस्थान) (3) सकल दिगंबर जैन समाज निंबाहेड़ा जिला चित्तौड़गढ़ (राजस्थान) (4) मनीष जैन, वंडर सीमेंट (5) अमित सेठी, अमित अग्रवाल
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