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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

*श्री जी की विशाल रथ यात्रा निकाली गई*


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अरथुना 29/ 12/ 2023

*श्री जी की विशाल रथ यात्रा निकाली गई*
*संकल्प ही जीवन का कायाकल्प  करता हैं*
श्री चंद्रप्रभु दिगंबर जैन मंदिर अरथूना जिला ,बांसवाड़ा (राजस्थान) में सर्वश्रेष्ठ साधक *आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज* के शिष्य मुनि श्री विमलसागर जी महाराज मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज
मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज
मुनि श्री भाव सागर जी महाराज  के सानिध्य में 29 दिसंबर 2023 शुक्रवार को श्री जी की विशाल रथ यात्रा निकाली गई इसी के साथ मुनि श्री विमल सागर जी महाराज  मुनि श्री अनंतसागर जी महाराज का मंगल प्रवेश हुआ जगह-जगह पाद प्रक्षालन किया गया आरती उतारी गई फिर  धर्म सभा का आयोजन हुआ,  पाद प्रक्षालन किया गया , आरती में उतारी गई,श्रीफल अर्पण किए गए,   ,मांगलिक क्रियाएं संपन्न हुई , इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री भाव सागर जी ने कहा कि    भक्ति में जो भी अर्पण किया जाता है वह श्रेष्ठ होता है। खाली हाथ क्रिया नहीं करना चाहिए, पंचकल्याणक में केवल ज्ञान कल्याणक के दिन प्राण प्रतिष्ठा मंत्र के द्वारा प्राण प्रतिष्ठा की जाती है ।   सुरि मंत्र प्रदान करते समय  साधु के भावों की विशुद्धि स्थिरता एवं श्रद्धा भक्ति प्रतिमा को ऊर्जावान और पूज्य बनाती है। प्रतिमा में कितनी भी क्रियाएं की जावे , किंतु सूरि मंत्र के बिना  वे सभी  क्रियाएं कार्यकारी नहीं हो पाती है।      रथ यात्रा धर्म तीर्थ के नायक प्रभु की धर्म देशना का प्रतीक है ,इससे असंख्य जीवों को आत्मबोध की प्राप्ति होती है ,चक्रवर्ती की दिग्विजय यात्रा के समय सैकडो रथों में प्रतिमा रख कर छह खंडों की परिक्रमा करने का कथन ग्रंथों में मिलता है ,   मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि छोटा लक्ष्य रखना अपराध हैं, भावना रख रहे है अंजना और अरथूना के बीच में नव वर्ष का कार्यक्रम हो , यह जब होगा जब पंचकल्याणक महोत्सव  होगा, जिस दिन अतिथि आते है वह तिथि अक्षय तृतीया जैसी हो जाती है, लक्ष्य हमेशा ऊंचा रखना चाहिए, जैसे दूध में घी रहता है वैसे ही शरीर में आत्मा रहती हैं, नशीले पदार्थ तन, मन, धन, जीवन खराब करते है, जिन खाद्य पदार्थों में मांस आदि रहता है उनका त्याग करना चाहिए, जो प्रभु के दर्शन नहीं करते है वह चमगादड़ की तरह मंदिर में लटके रहते है ,संकल्प ही जीवन का कायाकल्प  करता है , खुणादरी में पंचकल्याणक होना है , वहां जंगल में मंगल करना
 है, उस अतिशय क्षेत्र को ऊंचा उठाना है । विशाल पाषाण के मंदिर में वेदी बनवाने का सौभाग्य स्वर्गीय श्रीमती आनंद देवी रमनलाल, शाह, संजय अलका रोधी पारिल शाह परिवार को प्राप्त हुआ

Edited by harshit sitawat
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