संयम स्वर्ण महोत्सव Posted December 8, 2017 Report Share Posted December 8, 2017 गाय पर प्रेम से हाथ फेरने से दो महिने में उच्च रक्त चाप बिल्कुल ठीक हो जाता है। गाय भी अधिक दूध देने लगती है २५,७४० मनुष्य एक गाय के जीवन भर के दूध से एक बार तृप्त हो सकते है। रासायनिक खाद, किटनाशकों का जहर भोजन के माध्यम से हमारे शरीर में पहुँच जाता है, वह घी से नष्ट होकर शरीर से निकल जाता है गोबर से लीपा हुआ घर गर्मी में ठंडा और ठंड में गर्म रहता है। रेडियो सक्रिय किरणों का दुष्प्रभाव भी नही पडता है। एक रूपये की चीज १० रूपये में बेचने वाले टी.व्ही. पर अपना विज्ञापन दे सकते है। गोपालक नहीं। फिर तो ३० रूपये लागत का दूध ३०० रूपये, १००० रूपये का घी १०,००० रूपये किलो बिकेगा। संस्कृत में गाय को गों कहा जाता है। हिन्दी में प्रेम से गौ, गऊ, गैया, गौमाता भी कहा जाता है। बछडे के साथ गाय को धेनु कहते है और सभी कामनाएँ पूरी होने से कामधेनु कहते है। बछडे को संस्कृत में वत्स कहा जाता है। वत्स से ही बना है वात्सल्य अथति मौं का प्रेम। गाय का दूध बुद्धिवर्धक और सात्विक बात समझने के लिए बल देने वाला होता है। Link to comment Share on other sites More sharing options...
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