संयम स्वर्ण महोत्सव Posted December 8, 2017 Report Share Posted December 8, 2017 भारतीय संस्कृति में गाय का स्थान माता के समान ऊँचा है। इसका वैज्ञानिक आधार भी है। कुछ वर्षोंपूर्व कुछ शोधकर्ताओं ने बताया था कि गोवध अनेकों बार भूकम्प का कारण बनता है। अब कुछ परिक्षणों से पता लगा है कि गाय पृथ्वी के चुम्बकीय क्षेत्र को अनुभव कर सकती है। इसलिए भोजन या विश्राम के समय गाय का शरीर हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में रहता है। २६ अगस्त के दैनिक 'जनसत्ता' में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार नार्थ केरालिना विश्व विद्यालय (अमरीका) के जीव विज्ञानी कैनेथ, लोहमेन ने लगभग आठ हजार गायों पर अनुसंधान के बाद उत्त निष्कर्ष निकाला। प्रयोगों में पाया गया कि कम्पास की सुई की तरह गाय का शरीर भी भोजन-विश्राम के समय ठीक उत्तर-दक्षिण में रहता है। यह भी जानकारी मिली कि गायें पठारों की दिशा में मुँह करके बैठती हैं तथा उष्मा लेने के लिए अपना शरीर सूर्य की ओर रखती है। गौमाता एवं उसकी संतान के रंभाने की आवाज से मनुष्य के अनेक मानसिक रोग स्वयं दूर हो जाते हैं। "देखो शंकर तेरा नन्दी, कत्लखानों में काटा जाता है, राजनीति के अन्धों द्वारा, देश मिटाया जाता है, मंगल पाण्डेय के इतिहास को दुहराया जाता है, और गो माता का खून बहाया जाता है।” Link to comment Share on other sites More sharing options...
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