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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

नारे - संयम स्वर्ण महोत्सव


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  1. सारे विश्व की सच्ची शान, विद्यासागर गुरू महान।
  2. विद्या गुरू को देख लो, त्याग करना सीख लो।
  3. विद्यासागर संत महान, चलते-फिरते ये भगवान।
  4. विद्यागुरू का सच्चा द्वार, हर जीवों से करते प्यार।
  5. जब तक सूरज चाँद रहेगा, विद्यासागर नाम रहेगा।
  6. अखिल विश्व में गूँजे नारा, विद्यासागर गुरू हमारा।
  7. विद्यागुरू का क्या संदेश, रहो स्वदेश, न जाओ विदेश।
  8. जगमग चमकें विद्यासागर, भरते सबकी खाली गागर।
  9. इंडियो छोड़ो, भारत बोलो, विद्यासागर की जय बोलो।
  10. विद्यासागर एक सहारे, जग में रहते जग से न्यारे।
  11. सुर नर इंद्र करे सब पूजा, विद्यासागर सम न दूजा।
  12. विद्यासागर संकट हारी, नैया सबकी पार उतारी।
  13. विद्यासागर नाम जो ध्याता, पापी भी भव से तिर जाता।
  14. ज्ञान के सागर, विद्यासागर।
  15. अध्यात्म के सागर, विद्यासागर।
  16. विद्यासागर नाम है उनका, गौ रक्षा का भाव है जिनका।
  17. नील गगन में एक सितारा, विद्यागुरू को नमन हमारा।
  18. जिनका कोई नहीं जवाब, विद्यासागर लाजवाब।
  19. विद्यासागर जिसे निहारें, नैया उसकी पार उतारें।
  20. जग जीवों के पालन हारे, विद्यासागर गुरू हमारे।
  21. विद्यासागर देकर ज्ञान, हर लेते सबके अज्ञान।
  22. विद्यागुरू का सच्चा द्वारा, सबसे अच्छा, सबसे न्यारा।
  23. एक ही नारा, एक ही नाम, विद्या गुरूवर तुम्हें प्रणाम।
  24. एक दो तीन चार, विद्या गुरू की जय जयकार।
  25. पांच छः सात आठ, विद्या गुरू के प्रभु सम ठाठ।
  26. नौ दस ग्यारह बारह, विद्यासागर जग में न्यारा ।
  27. तेरह चौदह पंद्रह सोलह, बच्चा बच्चा गुरू की जय बोला।
  28. सत्तरह अठारह उन्नीस बीस, विद्यागुरू को नवओ शीश।
  29. बिना तिथि के करें विहार, विद्यासागर सदा बहार।
  30. अखिल विश्व में गूंजे नाद, विद्यासागर जिंदाबाद।
  31. विद्यासागर किसके हैं, जो भी ध्यावे उसके हैं।
  32. पाप छोड़ के पुण्य कमाओ, पूरी मैत्री तुम अपनाओ।
  33. जैन जगत के कौन सितारे, विद्यासागर गुरू हमारे ।
  34. विद्यागुरू के वचन महान, जिससे रक्षित हिन्दुस्तान।
  35. विद्यागुरू से करते यदि प्यार, तो हाथ करघा को करो स्वीकार ।
  36. श्रीमति माँ का प्यारा लाला, विद्यासागर नाम निराला ।
  37. भव के दुख को हरने वाले, विद्यासागर गुरू निराले।
  38. भव्य जनों के हृदय खिलाते, मोक्षमार्ग गुरुवर दिखलाते।
  39. नैय्या मेरी पार लगा दो, विद्यासागर पास बुला लो।
  40. चेतन रत्नों के व्यापारी, विद्यासागर संयम धारी।
  41. विद्यासागर महिमावान, गुरू हैं कलियुग के भगवान।
  42. हर माँ का बेटा कैसा हो, विद्यासागर जैसा हो।
  43. छोड़ो हिंसा सीखो प्यार, विद्या गुरू की ही पुकार।
  44. मूकमाटी के रचनाकार, संयम का करते व्यापार।
  45. विद्यासागर मधुर अपार, बाकी सागर का जल क्षार।
  46. संयम उत्सव गुरू का आया, विद्यासागर नाम है भाया।
  47. विद्यागुरू गये बीना बारह. खुल गई दुग्ध शांतिधारा।
  48. बड़े बाबा के भक्त अनोखे, विद्यासागर जग में चोखे ।
  49. विद्यागुरू रत्नों की खान, होठों पर रहती मस्कान।
  50. संघ को गुरुकुल बनाया है, गुरु का वचन निभाया है।
  51. भावनाओं के हैं आकाश, विद्यागुरू सबके विश्वास।
  52. भक्तों के दुःख हरने वाली, गुरुवर की मुस्कान निराली।
  53. त्याग तपस्या प्रेम के सागर, भक्तों के गुरु विद्यासागर।
  54. विद्यासागर गुरु हमारे, श्रमण संस्कृति के श्रमण निराले।
  55. विद्यासागर जहां थम जायें, उसी जगह तीरथ बन जाये।
  56. विद्यागुरु का कहना मानों, पूरी मैत्री तुम अपना लो।
  57. विद्यागुरु का कहना है, स्वावलंबी रहना है।
  58. एक चवन्नी चांदी की, जय हो विद्यावाणी की।
  59. विद्यासागर अनियत बिहारी, पीछे पागल जनता सारी।
  60. चाहे हो कंगाल फकीरा, विद्यासागर हरते पीडा।
  61. विद्यासागर भव सागर तीरा, हरते सबकी भव की पीडा।
  62. मल्लप्पा, श्रीमति सुत प्यारे, विद्यासागर जग से न्यारे ।
  63. विद्यागुरु जग से वैरागी, ज्ञानचरण, शिवपथ अनुरागी।
  64. विद्यासागर वो कहलाया, जिसने दया धर्म सिखलाया।
  65. विद्यासागर लगते प्रभु वीरा, रत्नत्रय से चमकित हीरा।
  66. विद्यासागर किरपा करते, रत्नत्रय से झोली भरते।
  67. जिसके सिर गुरु हाथ होगा, बाल न बाका उसका होगा।
  68. ऊपर नभ में सूरज चमके, विद्यासागर जग में चमके(दमके)।
  69. धर्म ध्वजा गुरु फहराते, संत शिरोमणि कहलाते।
  70. बड़भागी शरणा पाते. विद्यागुरु सबको भाते।
  71. अंधों की लाठी बन जाते, विद्यागुरु पथ शुल हटाते ।
  72. धीर, वीर, गंभीर शूर हैं, विद्यासागर कोहिनूर हैं।
  73. सूर्य गगन में आग सहित है, विद्यासागर आग रहित हैं।
  74. चाँद रात में दाग सहित है, विद्यासागर राग रहित हैं।
  75. विद्यागुरु की कोमल काया, फिर भी छोड़ी जग की माया।
  76. रथ, घोड़े न पालकी, जय मल्लप्पा लाल की।
  77. स्वर्ण जयंती गुरु की आई, घर-घर में है खुशियाँ लाई ।
  78. जैन धर्म की जान है. विद्यागरु भगवान हैं।
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कृपया इसमें एक और नारा जोड़ सकते  है 
 
विद्यासागर  गुरु का सपना, गौ माँ राष्ट्रपशु  हो अपना l  
 
कवियत्री नम्रता जैन छतरपुर 
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  • 9 months later...
Guest
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