Sanyog Jagati Posted February 5, 2019 Report Share Posted February 5, 2019 सागर बरोदिया कला 05फरवरी 2019 दान बोलकर नहीं देने से असाध्य रोग होते हैं- मुनि श्री भाव सागर जी सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी ससंघ के सानिध्य में श्रीजी वेदी पर विराजमान हुए अभिषेक हुआ शांतिधारा हुई आरती हुई एवं पूजन हुई ।दोपहर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री भाव सागर जी ने कहा कि यह अभूतपूर्व पंचकल्याणक निर्विघ्न संपन्न हुआ सभी ने तन मन धन से सहयोग दिया है। आप प्रतिदिन युवाओं को लाएं और अभिषेक पूजन भक्ति करवाएं। मंदिर की द्रव्य ,धोती एवं अन्य सामग्री उपयोग करते हैं तो उसकी राशि अवश्य दें नहीं तो निर्माल्य का दोष लगेगा ।जो मंदिर की पूजन की सामग्री और जल की एवं अन्य वस्तुओं की व्यवस्था करता है तो उसको छठवां हिस्सा प्राप्त होता है। यहां के मंदिर और प्रतिमा बहुत सुंदर हैं। आप लोगों को साधुओं का लाभ मिलता रहे। दान बोलने के बाद नहीं देने से असाध्य रोग होते हैं इसलिए बोली लेकर अवश्य देना। मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि आपने भाव सागर जी के भाव सुने अच्छे भाव रखने में क्या जाता है कार्य हो या ना हो भावना अच्छी एवं ऊंची रखना चाहिए। आचार्यो ने आयुर्वेद ग्रंथों की रचना की उनका लाभ लेना चाहिए। पूजन भक्ति आदि करने से कर्मों का क्षय होता है ।ज्ञान की विनय करने से क्षयोपशयम बढ़ता है । पत्थर के ऊपर भी निशान आ जाते हैं।किसी से कोई गलती हो जाती है तो कर्मों को दोष दे। धार्मिक कार्यों में बाधा डालने से विशेष कर्मों का बधं होता है । लाख कर्म छोड़कर भगवान का अभिषेक पूजन करो । पंचकल्याणक के सभी पात्र आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के दर्शनार्थ भाग्योदय तीर्थ सागर पहुंचे और आचार्य श्री का आशीर्वाद लिया। Link to comment Share on other sites More sharing options...
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