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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Sanyog Jagati

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About Sanyog Jagati

  • Birthday 05/12/2001

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  1. *छोटी बजरिया बीना नवीन पाषाण जिनालय शिलान्यास* 🛕🛕🛕 *श्री 1008 पार्श्वनाथ नवीन पाषाण मंदिर* 📿 *शिलान्यास समारोह* 📿 *दिनांक 10 दिसम्बर 2020* *स्थान* श्री 1008 दिगंबर जैन पार्श्वनाथ पंचायती जिनालय छोटी बजरिया *बीना पब्लिक स्कूल के सामने* बीना जिला सागर (मध्यप्रदेश ) परम पूज्य ब्रह्मचर्य व्रत के सर्वश्रेष्ठ साधक दिगम्बर सरोवर के राजहंस *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महाराज* गुरुदेव के मंगलमय आशीर्वाद से पूज्य गुरुदेव के परम प्रभावक आज्ञानुवर्ती शिष्य *प. पू. मुनिश्री १०८ विमलसागर जी महाराज* (ससंघ) के पावन पसानिध्य में *निर्देशन* प्रतिष्ठा रत्न, प्रतिष्ठा सम्राट, वाणी भूषण *बाल ब्रह्मचारी विनय भैया जी बंडा* *मांगलिक कार्यक्रम* दिनांक 10 दिसम्बर 2020 दिन गुरुवार दोपहर 1:00 बजे से शिलान्यास की मांगलिक क्रियाएं एवं मुनिश्री के प्रवचन *विशेष निवेदन* शासन प्रशासन के नियमों का पालन सभी करें एवं सोशल डिस्टेंस और मास्क का प्रयोग करें 😷😷😷 आप सभी इस कार्यक्रम में सपरिवार इष्ट मित्रों सहित आमंत्रित हैं! *निवेदक* मंदिर निर्माण कमेटी, मंदिर कमेटी श्री 1008 दिगंबर जैन पार्श्वनाथ पंचायती जिनालय छोटी बजरिया , सकल दिगंबर जैन समाज बीना जिला सागर (मध्यप्रदेश ) संपर्क सूत्र 9926710527 8878138120
  2. 🦚🦚 *अद्भुत पिच्छिका परिवर्तन समारोह*🦚🦚 *6 दिसम्बर 2020 रविवार* 💐 *कार्यक्रम स्थल* 💐 🎪श्री 1008 नाभिनंदन दिगंबर जैन स्कूल (3 नंबर स्कूल )बीना जिला सागर (मध्य प्रदेश) 🌲🌸 *आशीर्वाद* 🌲🌸 🌞☘️🌷बाल ब्रह्मचारी संघनायक आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज 🌞☘️🌷 🌼 *सान्निध्य* 🌼 मुनि श्री विमल सागर जी (ससंघ) 🌻 *निर्देशन* 🌻 🎙️🎙️बाल ब्रह्मचारी मनोज भैया जी (लल्लन भैया जी) जबलपुर 🌹🍁🌸 *मांगलिक कार्यक्रम* 🌸🍁🌹 दोपहर 12 बजे, पिच्छिका की शोभा यात्रा बड़ीबजरिया से इटावा फिर मुनि संघ के साथ कार्यक्रम स्थल पहुँचेगी, दोपहर 1 बजे मंगलाचरण, चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, पाद प्रक्षालन, शास्त्र अर्पण, पिच्छिका परिवर्तन, मुनिश्री के प्रवचन। *विशेष आकर्षण* 🦚पिच्छिका का आगमन नए तरीके से होगा 🦚 *विशेष* इस कार्यक्रम में आप सपरिवार इष्ट मित्रों सहित आमंत्रित हैं। आवास एवं भोजन की समुचित व्यवस्था है। *विशेष निवेदन* शासन प्रशासन के नियमों पालन करें। मास्क का प्रयोग करें। सोशल डिस्टेंस का पालन करें।😷😷 *आयोजक/निवेदक* 🎪श्री 1008 नाभिनंदन दिगंबर जैन मंदिर इटावा,श्री पारसनाथ दिगंबर जैन बड़ी बजरिया कमेटी चातुर्मास कमेटी, मंदिर निर्माण कमेटी सकल दिगंबर जैन समाज बीना जिला सागर (मध्य प्रदेश) *संपर्क सूत्र* 93999 75776 9425170771
  3. *बीना* 2/12/2020 *हर्षोल्लास से मनाया गया आचार्य श्री का 49 वाँ आचार्य पद आरोहण दिवस* प्रतिभास्थली प्रणेता,पूर्णायु प्रदाता,अहिंसा के सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का 49 वां आचार्य पद आरोहण दिवस,आचार्य श्री के परम शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी, मुनि श्री अनंत सागर जी, मुनि श्री धर्म सागर जी, मुनि श्री अचल सागर जी , मुनि श्री भाव सागर जी के ससंघ सानिध्य में सानन्द सम्पन्न हुआ। बीना जिला सागर मध्य प्रदेश के श्री नाभिनंदन दिगंबर जैन मंदिर इटावा में 2 दिसंबर को आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का आचार्य पद आरोहण दिवस भारत सहित सम्पूर्ण विश्व में हर्षोल्लास से मनाया गया । प्रातः काल अभिषेक, शांतिधारा, पूजन एवं विशेष द्रव्यों से आचार्य श्री की पूजन एवं आचार्य छत्तीसी विधान हुआ। दोपहर में वृक्षारोपण एवं गरीबों को वस्त्र ,औषधि ,फल, मिष्ठान वितरण किया गया । आचार्य श्री की 49 दीपों से भव्य महाआरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भक्तिमय आयोजन हुआ । लोगों ने भक्ति भाव से नृत्य करके हर्षोल्लास पूर्वक यह महा महोत्सव मनाया । इस कार्यक्रम में पंचायत कमेटी़ , गौशाला कमेटी ,नवयुवक मंडल,महिला मंडल ,बालिका मंडल, पाठशाला परिवार का विशेष सहयोग रहा । मुनि श्री भावसागर जी द्वारा रचित आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की आरती की गई। इस अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि हमें आचार्य श्री के माध्यम से अपना कल्याण करना चाहिए।आचार्य परमेष्ठी पंचवटी में बीच में विराजमान होते हैं वह दोनों जगह ऊपर नीचे तालमेल बनाकर रहते हैं। मुनि श्री भाव सागर जी ने आचार्य श्री की भावना को बेहद खूबसूरती से भक्तों को बताया कि आचार्य श्री सारे संसार की भलाई की भावना रखते हैं,इसी क्रम में उन्होंने बालिकाओं की रक्षा के लिए प्रतिभास्थली की स्थापना की है उसमें बेटियों को बेहतर तालीम के साथ संस्कारों का ज्ञान कराया जा रहा है वहीं लोगों की सेहत का ख्याल करते हुए उनकी वैयावृत्ती के लिए पूर्णायु और भाग्योदय जैसे तंदुरुस्त रखने वाले संस्थानों की स्थापना गुरुदेव की भावना से हुई है इसके साथ ही बेरोजगारों को बेहतर दिशा और मार्गदर्शन के साथ साथ वस्त्रों के जरिए होने वाली हिंसा को रोकने के लिए आचार्य श्री ने हथकरघा की स्थापना का संदेश दिया जिसके चलते देश भर में एक बार फिर हथकरघा की बड़ी तादाद में स्थापना हुईं हैं । इन हथकरघों के जरिये अब अहिंसक वस्त्र तैयार हो रहे हैं और इनके इस्तेमाल से धर्म का पालन तो हो ही रहा है साथ ही कपड़ों से होने वाली हिंसा को भी रोका जा रहा है । मुनि श्री अचल सागर महाराज ने आचार्य श्री के संस्मरण सुनाते हुए धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने आचार्य पद बहुत मनाने के बाद ग्रहण किया था।
  4. प्रवास 2020 प्रवास स्थल – श्री 1008 नाभिनंदन दिगम्बर जैन मंदिर इटावा बीना जिला सागर ( मध्य प्रदेश) अध्यात्म की पराकाष्ठा आचार्य भगवन 108 श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के मंगल आशीर्वाद से उनके परम् प्रभावक शिष्य- सौम्य मूर्ति 108 मुनि श्री विमल सागर जी महाराज मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज मुनिश्री धर्म सागर जी महाराज मुनि श्री अचल सागर जी महाराज मुनि श्री भाव सागर जी महाराज विराजमान हैं । मुनि श्री (ससंघ) की दिनचर्या प्रातः 6:15 बजे आचार्य भक्ति प्रातः 6:30 बजे वनविहार प्रातः 7:00 बजे देव वंदना प्रातः 7:45 बजे व्यक्तिगत स्वाध्याय 8:30 से 9:30 तक मुनिराजो के प्रवचन प्रातः9:45 मुनिसंघ की आहारचर्या दोपहर 11:45 मुनिसंघ की ईर्यापथ भक्ति दोपहर 12:00 बजे से 1:45 तक सामायिक दोपहर 1:45 -2:15 बजे मुनिश्री का व्यक्तिगत स्वाध्याय दोपहर 2:15 से 3:15 बजे तक मुनिसंघ का भगवती आराधना ग्रंथ का स्वाध्याय 3:30 से 4:30 तक स्वाध्याय शाम5:00 प्रतिक्रमण/ देववंदना शाम 5:30 आचार्यभक्ति शाम 7:00 बजे सामायिक नोट:- इस कार्यक्रम में मौसम के अनुसार स्थिति परिस्थिति अनुसार परिवर्तन हो सकता है
  5. *आराधना का महा आयोजन* 📿 🎪 *श्री 1008 सिद्धचक्र महामण्डल विधान एवं विश्व शांति महायज्ञ*🎪 *🌈30 अक्टूबर से 7 नवंबर 2020 तक🌈* 🎪कार्यक्रम स्थल- बीना पब्लिक स्कूल छोटी बजरिया बीना जिला सागर (मप्र) 🎊 *मंगल आशीर्वाद* - प्रातः स्मरणीय परम पूज्य दिगम्बर सरोवर के राजहंस *आचार्य श्री १०८ विद्यासागर जी महामुनिराज* 🎉 *पावन सानिध्य*- 🌟 *सौम्य मूर्ति मुनि श्री 108 विमलसागर जी महाराज(ससंघ)* *मांगलिक कार्यक्रम* 30 अक्टूबर 2020 शुक्रवार घटयात्रा श्री जी की शोभायात्रा दोपहर 2 बजे से 31 अक्टूबर 2020 शनिवार शरद पूर्णिमा *गुरु गुणगान दिवस* प्रातः 8 बजे ध्वजारोहण आचार्य श्री जी की विशेष पूजन मुनिराजों के प्रवचन प्रतिदिन प्रातः काल अभिषेक, शांतिधारा ,पूजन ,विधान ,मुनि श्री के प्रवचन शाम को 7 बजे मंगल आरती व रात्रि 8 बजे भैयाजी के द्वारा शास्त्र प्रवचन 🎤 विधानाचार्य🎤 💫 *बा.ब्र. संजीव भैयाजी कटंगी *विशेष निवेदन* शासन प्रशासन के नियमों का पालन सभी करें एवं सोशल डिस्टेंस और मास्क का प्रयोग करें *आयोजक* सकल दिगंबर जैन समाज बीना जिला सागर (म प्र) *संपर्क सूत्र* 9425381086 ,9752435993 ,9993288890
  6. *बीना 16/08/2020* *देश के प्रति बहुमान रखना महत्वपूर्ण है - मुनि श्री भाव सागर जी महाराज* *(स्वतंत्रता दिवस पर दिया विशेष उद्बोधन)* *दश लक्षण महापर्व केसे मनाए यह बताया* राष्ट्रहित चिंतक,सर्वश्रेचष्ठ *आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज* के आज्ञानुवर्ती शिष्य*मुनि श्री विमलसागर जी महाराज (ससंंघ) पर्श्वनाथ दिगंबर जैन चौबीसी जिनालय बड़ी बजरिया बीना जिला सागर मध्य प्रदेश मे विराजमान है। *मुनि श्री भाव सागर जी ने कहा कि* 23 अगस्त से 1 सितंबर तक दिगंबर जैन धर्म के दशलक्षण महापर्व प्रारम्भ हो रहे है! इस बार कोरोना के कारण पूर्व जैसे पर्व नहीं मना पाएंगे लेकिन घर पर रहकर ही यह पर्व मनाना है! मांगलिक क्रियाएं तो होंगी लेकिन सभी को अवसर प्राप्त नहीं होगा! शासन प्रशासन के वर्तमान नियमों का पालन करते हुए हमें पर्व मनाना है !पर्व हमें पवित्रता , प्रसन्नता , उत्सव , शुभ अवसर प्रदान करते हैं! यह मंगल काल माना जाता है, जो मैत्री प्रदान करता है! पर्व एक अलार्म बेल है! पर्व एक इंजेक्शन है जो एनर्जी देते हैं! पर्व नेतृत्व प्रदान करते हैं! पर्व दिशासूचक यंत्र का कार्य करते हैं ! पर्व आत्मनिरीक्षण, आत्म जागृति, आत्मा की उपलब्धि प्रदान करते हैं ! दश लक्षण महापर्व में जो उपवास होते है उसमे दिगंबर जैन धर्म के अनुसार चारों प्रकार के आहार का त्याग उपवास कहलाता ह! यदि किसी की सामर्थ्य नहीं है तो जल, दूध आदि तरल पदार्थ लेकर भी उपवास करते हैं ! वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है कि पूरे विश्व में लगभग 80 प्रतिशत जल है हमारे शरीर में भी 80% जल है इसलिए उपवास के माध्यम से बरसात में जो जल की मात्रा है वह बढ़ जाती है उसको कम करने के लिए उपवास किया जाता है! अष्टमी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावस्या में समुद्र में भी जल की मात्रा बढ़ जाती है इसलिए कई अपराध भी इन तिथियों में बढ़ जाते हैं इसलिए वेज्ञानिक दृष्टि उपवास फायदेमंद है! निर्जल उपवास या तरल पदार्थ लेकर उपवास कर सकते हैं या एकासन अर्थात एक बार भोजन जल ग्रहण करें या यह नहीं कर पा रहे हैं तो दो बार शुद्ध भोजन ग्रहण करें !अभिषेक ,शांतिधारा, पूजन ऑनलाइन देखने मिलेगी तो देख कर धार्मिक क्रियाएं घर पर करे ! स्त्रोत पाठ और जाप घर पर करें गर्म जल सभी रोगों की दवा है उबला जल सभी बीमारियों को दूर करता है शांति धारा में विश्व मंगल की कामना की जाती है दुनिया के सभी लोगों के लोग ठीक हूं ऐसी भावना से यह शांति द्वारा की जाती है मुनि श्री अचल सागर जी ने कहा कि कल स्वतंत्रता दिवस था हमें स्वतंत्र हुए कितने वर्ष हो गए स्वतंत्र नहीं हुए अंग्रेजों के जाने के बाद भी स्थिति अच्छी नहीं है हमारा देश सोने की चिड़िया था जो आजादी के बाद होना था देश को आत्मनिर्भर बनाने का वह अब हो रहा है हमारे देश को गुलामी की आदत पड़ चुकी है हमारे ऊपर शासन करने वाले लोकतंत्र की कमी है जब देश को गुलाम बनाना था तो अंग्रेजों ने व्यवसाय आदि को बंद कर दिया था आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज कहते हैं कि भारत को इंडिया नहीं भारत बनाना है अपने देश का अभिमान जब तक हम नहीं समझेंगे तब तक आत्मनिर्भर नहीं हो पाएंगे स्वतंत्रता की बात तो कर रहे हैं लेकिन स्वतंत्र नहीं है अभी तो हम गुलाम हैं हमें आजादी को प्राप्त करना है स्वतंत्रता में उत्तरदायित्व की भावना होती है 73 वर्ष के बाद आत्मनिर्भर भारत की बात चल रही है आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने कहा है कि हमारी मातृभाषा में जब तक शिक्षा नहीं होगी तब तक हम स्वतंत्र नहीं होंगे स्वदेशी वस्तुएं अपनाएंगे तभी हम स्वतंत्र होंगे देश के प्रति बहू मान रखना अपूर्ण है अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम आदि नहीं पढ़ आएंगे तो हम स्वतंत्रता का अनुभव कैसे कर पाएंगे हरदा के वस्त्रों को यदि उपयोग करेंगे तभी स्वदेशी के समर्थक बनेंगे चीन की वस्तुएं खरीदी और देख लिया कि हमारे ऊपर हावी होने लगा बढ़ावा तो हम ने ही दिया है तात्कालिक लाभ के लिए आज भारत बहुत बड़ा निर्यातक होता यदि ऐसी भावना बनी रही तो ना देश की तरक्की होगी ना समाज की इसलिए हमें स्वतंत्रता का अनुभव करना है
  7. बीना 04/08/2020 *मोक्ष कल्याणक एवं रक्षाबंधन पर्व मनाया गया* राष्ट्रहित चिंतक,सर्वश्रेष्ठ आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमलसागर जी, मुनि श्री अनंत सागर जी, मुनि श्री धर्म सागर जी, मुनि श्री अचल सागर जी, मुनि श्री भाव सागर जी, के सानिध्य में 03 अगस्त 2020 सोमवार को श्री श्रेयांसनाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक एवं रक्षाबंधन पर्व मनाया गया. प्रातः काल श्री जी का अभिषेक शांतिधारा, पूजन,निर्वाण लाडू अर्पण के साथ रक्षाबंधन विधान संपन्न हुआ और मुनि श्री का उद्बोधन हुआ फिर दोपहर में पूज्य मुनिसंघ का उद्बोधन हुआ। चुनिंदा श्रावक श्राविका ने मुनि श्री की पिच्छिका मैं रक्षा सूत्र बांधकर संकल्प लिया । यह कार्यक्रम श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगंबर जैन चौबीसी जिनालय मंदिर बडी बजरिया बीना जिला सागर मध्य प्रदेश मैं संपन्न हुआ । शासन-प्रशासन के नियम अनुसार यह संक्षेप में हुआ ।
  8. *मुनि श्री विमल सागर जी महाराज जीवन दृष्टि* आपका पूर्व नाम रहा है बाल ब्रहमचारी बृजेश जैन जन्म स्थान रहा है बरोदिया जिला सागर{ मध्य प्रदेश} ( बाद में निवास ललितपुर उत्तर प्रदेश रहा ) पिता स्व. श्री कपूरचंद जी और माता श्री.. श्रीमती गोमती बाई जी की पांचवी संतान के रूप में आपका जन्म मंगलवार 15 अप्रैल 1975 चैत्र बदी 4 विक्रम संवत 2032 को हुआ उन्हें 3 बड़े भाइयों और एक बड़ी बहन तथा छोटी बहन के साथ बचपन किशोरावस्था और युवावस्था तक पहुंचने का प्यार दुलार मिला हायर सेकेंडरी ,शास्त्री (प्रथम वर्ष )तक की शिक्षा प्राप्त की आपने भाग्योदय तीर्थ सागर में 28 अप्रैल 1998 वैशाख शुक्ल 6 को 23 वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया और आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से 22 अप्रैल 1999 गुरुवार वैशाख शुक्ल 7 को श्री दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र नेमावर जी मध्य प्रदेश में सीधे मुनि दीक्षा लेकर मुनि श्री विमल सागर जी महाराज बने मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने अनेक मांगलिक कार्य संपन करवाएं जिनमें अनेक विधान, अनेक वेदी प्रतिष्ठा ,शिलान्यास, पाठशाला ,पंचकल्याणक आदि शामिल है मुनि श्री की प्रेरणा से मंडला ,छपारा, छिंदवाड़ा ,गोटेगांव ,करेली, देवरी, गौरझामर आदि स्थानों पर अभिषेक के दिव्य कलश और शांति धारा की दिव्य झारी का निर्माण हुआ है और पिंडरई ,केवलारी, सिवनी ,चौरई, छिंदवाड़ा, मंडला, घंसौर ,गौरझामर, धनोरा, सिलवानी, बिलहरा आदि स्थानों पर संयम कीर्ति स्तंभ का निर्माण हुआ सन 2009 में बेलखेड़ा मध्य प्रदेश, सन 2012 जबेरा मध्य प्रदेश , सन 2012 बांदकपुर मध्य प्रदेश, इटारसी मध्य प्रदेश, सन 2014 देवरी मध्य प्रदेश, सन 2015 गौरझामर मध्य प्रदेश, झलौन, बिलहरा जिनमें 25000 से 40000 की जनता रही है और चार्टर वायु यान के द्वारा पांचो पंचकल्याणक में पुष्प वर्षा हुई । सन 2018-2019 में सागर, बांधरी, बरोदिया, खितोला (सिहोरा), करेली एवं करकबेल, सन 2020 देवरी में भी पंचकल्याणक हुए । आपके चतुर्मास 1999 इंदौर, सन 2000 अमरकंटक , सन 2001 जबलपुर , सन् 2002 नेमावर, सन 2003 अमरकंटक, सन 2004 जबलपुर , सन 2005 बीना बारह , सन 2006अमरकंटक, सन 2007 बीना बारह *यह आचार्य श्री के साथ चातुर्मास हुए इसके बाद* 2008 बेगमगंज, 2009 सागर , 2010 बरेली , 2011 रहली , 2012 शाहपुर, 2013 देवरी, 2014 पनागर , 2015 तेंदूखेड़ा , 2016 मंडला , 2017 छपारा , 2018 गौरझामर और *2019 करेली आदि में हुए। आपके मार्गदर्शन में 50 से भी अधिक स्थानों पर तत्वार्थ सूत्र ,द्रव्य संग्रह, भक्तांमर, रत्नकरंड श्रावकाचार, इष्टोपदेश आदि ग्रंथ ताम्रपत्र पर उत्कीर्ण हुए हैं आपको तत्वार्थ सूत्र ,भक्तामर, सहस्रनाम आदि कंठस्थ है आपको सिद्धांत ,अध्यात्म व्याकरण एवं अनेक विधाओं में महारथ हासिल है आप मुनि श्री सुधासागर जी महाराज के ग्रहस्थ जीवन के मौसी के लड़के है। आपकी ग्रहस्थ जीवन की चचेरी बहन आर्यिका श्री 105 अनुगम मति माताजी हैं । *मुनि श्री के उपवास की साधना ऐसी है* कि मुनि श्री पूर्व में 6 उपवास चार उपवास दो उपवास एक आहार एक उपवास लगातार कर चुके हैं । ------------------------------------------------------------------------- *मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज जीवन दृष्टि* आपका पूर्व नाम रहा है बाल ब्रहमचारी मनोज जैन जन्म स्थान रहा है ललितपुर उत्तर प्रदेश । पिता स्व. श्री कपूरचंद जी और माता श्री स्व. श्रीमती धोका बाई हैं। आपका जन्म रविवार 28 मार्च 1971 चैत्र शुक्ल 2 को हुआ उन्हें 2 बड़े भाइयों का एवम् 4 बड़ी बहनों का युवावस्था में पहुंचने तक प्यार दुलार मिला, साथ ही महाराज श्री के गृहस्थ जीवन के भाई मुनि श्री 108 भाव सागर जी है जो कि आचार्य भगवान से ही दीक्षित हैं । हाई स्कूल तक शिक्षा प्राप्त की, आपने भाग्योदय तीर्थ सागर में 28 अप्रैल 1998 वैशाख शुक्ल 6 को लगभग 27 वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया और आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से 22 अप्रैल 1999 गुरुवार वैशाख शुक्ल 7 को श्री दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र नेमावर जी मध्य प्रदेश में सीधे मुनि दीक्षा लेकर मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज बने मुनि श्री ने अनेक मांगलिक कार्यों में सानिध्य प्रदान किया, जिनमें विधान, वेदी प्रतिष्ठा ,शिलान्यास, पाठशाला ,पंचकल्याणक आदि शामिल है । सन 2012 जबेरा मध्य प्रदेश , सन 2012 बांदकपुर मध्य प्रदेश, इटारसी मध्य प्रदेश, सन 2014 देवरी मध्य प्रदेश, सन 2015 गौरझामर मध्य प्रदेश, झलौन, बिलहरा जिनमें 25000से 40000 की जनता रही है और चार्टर वायु यान के द्वारा पांचो पंचकल्याणक में पुष्प वर्षा हुई । सन 2018-2019 में सागर, बांधरी , बरोदिया, खितोला ( सिहोरा ) में , करेली, करकबेल , सन 2020 में देवरी में भी आपके सानिध्य में पंच कल्याणक हुए । आपके चातुर्मास 1999 इंदौर, सन 2000 अमरकंटक , सन 2001 जबलपुर , सन् 2002 नेमावर, सन 2003 अमरकंटक, सन 2004 जबलपुर , सन 2005 बीना बारह , सन 2006अमरकंटक, सन 2007 बीना बारह सन 2008 रामटेक, सन 2009 अमरकंटक *यह आचार्य श्री के साथ चातुर्मास हुए इसके बाद* 2010 बरेली , 2011 रहली , 2012 शाहपुर, 2013 देवरी, 2014 पनागर , 2015 तेंदूखेड़ा , 2016 मंडला , 2017 छपारा , 2018 गौरझामर *2019 का चातुर्मास करेली में संपन्न हुए । आप अध्यात्म ,व्याकरण एवं अनेक विधाओं में प्रवीण हैं। आप अधिकांश मौन रहते हैं और आपकी कलम के द्वारा लेखन होता रहता है । ------------------------------------------------------------------------- *मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज जीवन दृष्टि* आपका पूर्व नाम रहा है बाल ब्रहमचारी पंकज जैन जन्म स्थान रहा है (रोंडा) ललितपुर उत्तर प्रदेश । पिता श्री विनोद कुमार जी और माता श्रीमती गोमती बाई हैं । आपका जन्म शुक्रवार 09 जुलाई 1976 आषाढ़ शुक्ल 13 को हुआ उन्हें 1 बड़े भाई का एवम् 2 बड़ी बहनों का युवावस्था में पहुंचने तक प्यार दुलार मिला, बी. एस. सी (बायो), एम. ए (प्री), मैकेनिकल डिप्लोमा (रेडियो/टीवी) की शिक्षा प्राप्त की, आपने नेमावर सिद्ध क्षेत्र में 16 सितंबर 1997 को लगभग 21 वर्ष की आयु में ब्रह्मचर्य व्रत धारण कर लिया और आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से 22 अप्रैल 1999 गुरुवार वैशाख शुक्ल 7 को श्री दिगंबर जैन सिद्ध क्षेत्र नेमावर जी मध्य प्रदेश में सीधे मुनि दीक्षा लेकर मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज बने मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज ने अनेक मांगलिक कार्यों में सानिध्य प्रदान किया, जिनमें विधान, वेदी प्रतिष्ठा ,शिलान्यास, पाठशाला ,पंचकल्याणक आदि शामिल है । सन 2014 देवरी मध्य प्रदेश, सन 2015 गौरझामर मध्य प्रदेश, झलौन, बिलहरा जिनमें 25000 से 40000 की जनता रही है और चार्टर वायु यान के द्वारा पांचो पंचकल्याणक में पुष्प वर्षा हुई । सन 2018-2019 में सागर, बाँधरी, बरोदिया, खितोला (सिहोरा), करेली, करकबेल एवं सन 2020 में देवरी में भी पंचकल्याणक हुए । आपके चातुर्मास 1999 इंदौर, सन 2000 अमरकंटक , सन 2001 जबलपुर , सन् 2002 नेमावर, सन 2003 अमरकंटक, सन 2004 जबलपुर , सन 2005 बीना बारह , सन 2006अमरकंटक, सन 2007 बीना बारह सन 2008 रामटेक, सन 2009 अमरकंटक 2010 बीना बारह , 2011 चंद्रगिरी , 2012 चंद्रगिरी 2013 रामटेक *यह आचार्य श्री के साथ चातुर्मास हुए इसके बाद* 2014 पनागर , 2015 तेंदूखेड़ा , 2016 मंडला , 2017 छपारा , 2018 गौरझामर और *2019 का चातुर्मास करेली मैं हुआ* आप अध्यात्म व्याकरण एवं अनेक विधाओं में प्रवीण हैं। आप अधिकांश मौन रहते हैं और आपकी कलम के द्वारा कविताओं आदि का लेखन होता रहता है । ------------------------------------------------------------------------- *मुनि श्री अचल सागर जी महाराज जीवन दृष्टि* दीपावली के शुभ पर्व के दिन शनिवार 23 अक्टूबर 1976 कार्तिक कृष्ण 30 को सागर मध्य प्रदेश मे श्री ज्ञान चंद जी जैन और श्रीमती अंगूरी देवी जैन के घर एक दीपक के रूप में प्रदीप का जन्म हुआ बड़ी बहन अल्पना और छोटी बहन बाल ब्रह्मचारिणी जूली जी(वर्तमान में आर्यिका श्री श्रुतमति माता जी) जो आर्यिका गुरु मति माताजी के संघ में है तथा छोटा भाई आलोक ग्रहस्थ जीवन मैं है। आपने बीकॉम तक की लौकिक पढ़ाई की है श्री प्रदीप जैन ने शनिवार 3 मार्च 2001 को सिद्ध क्षेत्र कुंडलपुर में ब्रम्हचर्य व्रत धारण किया उन्होंने आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज से शनिवार 21 अगस्त 2004 को द्वितीय श्रावण शुक्ल छठ को दीक्षा धारण की यह दिन भगवान नेमिनाथ का जन्म तप कल्याणक भी है स्थान था दयोदय तीर्थ गौशाला तिलवारा घाट जबलपुर आप का नामकरण मुनि श्री अचल सागर जी महाराज हुआ। प्रवचन के माध्यम से लोगों को उद्बोधन देते हैं शाकाहार के क्षेत्र में बहुत योगदान दिया है। अनेक मांगलिक कार्यों में सानिध्य प्रदान किया, जिनमें विधान, वेदी प्रतिष्ठा ,शिलान्यास, पाठशाला ,पंचकल्याणक आदि शामिल है । सन 2014 देवरी मध्य प्रदेश, सन 2015 गौरझामर मध्य प्रदेश, झलौन, बिलहरा जिनमें 25000 से 40000 की जनता रही है और चार्टर वायु यान के द्वारा पांचो पंचकल्याणक में पुष्प वर्षा हुई । सन 2018-2019 में सागर, बाँधरी, बरोदिया, खितोला (सिहोरा), करेली, करकबेल एवं सन 2020 में देवरी में भी पंचकल्याणक हुए । आपके चातुर्मास सन 2004 जबलपुर , सन 2005 बीना बारह , सन 2006अमरकंटक, सन 2007 बीना बारह सन 2008 रामटेक, सन 2009 अमरकंटक 2010 बीना बारह , 2011 चंद्रगिरी , 2012 चंद्रगिरी, *यह आचार्य श्री के साथ चातुर्मास हुए इसके बाद* 2013 देवरी, 2014 पनागर , 2015 तेंदूखेड़ा , 2016 मंडला , 2017 छपारा , 2018 गौरझामर और *2019 करेली में हुआ। आप अनेक विधाओं में प्रवीण हैं। आपके मार्गदर्शन व प्रेरणा से अनेक मंदिर, गौ-शालाओं का निर्माण हुआ है । ------------------------------------------------------------------------- *मुनि श्री भाव सागर जी महाराज का जीवन दर्शन* ग्रहस्थ जीवन के दो सगे भाइयों ने एक ही आचार्य श्री से दीक्षित होने के बाद मुनि श्री के पद ग्रहण करने वाले और उदाहरण में मुनि श्री भाव सागर जी महाराज का असाधारण रूप हमारे समक्ष विद्यमान है उनके अग्रज आज मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज हैं प्रसंगवश स्वयं आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की ग्रहस्थ जीवन के उनके भी दो सगे भाई हैं मुनि श्री समय सागर जी और मुनि श्री योग सागर जी मुनि श्री भाव सागर जी महाराज ने ललितपुर उत्तर प्रदेश मैं निवासी स्वर्गीय श्री कपूर चंद जैन मोदी और स्व.श्रीमती धोखा बाई जैन मोदी कि 8वी और सबसे छोटी संतान के रूप में बुधवार 28 जुलाई 1976 श्रावण शुक्ल 2 भगवान सुमतिनाथ के गर्भ कल्याणक के दिन जन्म लिया उन्हें अपने बड़े भाइयों विनोद स्व. कल्याण चंद्र और मनोज जी( जो वर्तमान में मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज हैं) और बड़ी बहनों राजकुमारी सुमन कुसुम और चंदा का प्यार दुलार मिला और उनका बचपन किशोरावस्था और युवक के रूप में निरंतर प्रतिभा संपन्न होता गया BA तक की पढ़ाई की और रेडियो टीवी कोर्स के बाद आपने TV सीरियल में भी कार्य किया है अग्रज भाई मनोज के( मुनि श्री अनंत सागर महाराज) के रूप में दीक्षा ले लेना और संसार के उतार चढ़ाव को देखकर आपके मन में वैराग्य उत्पन्न हो गया और 23 अगस्त 2001 को उन्होंने दयोदय तीर्थ गौशाला तिलवारा घाट जबलपुर में ब्रम्हचर्य व्रत धारण कर लिया ब्रह्मचारी मनीष जी बनने के बाद उनकी सीधी मुनि दीक्षा हो गई संत शिरोमणि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज और उन्होंने नव दीक्षित शिष्य को मुनि श्री भाव सागर जी महाराज का नाम देकर अलंकृत किया। इनके द्वारा छोटे बड़े 22 पंचकल्याणक हुए और साधु जीवन दर्शन नामक एक पुस्तक आपके मार्गदर्शन मैं तैयार हुई ताम्रपत्र पर ग्रंथ उत्कीर्ण हुए स्वर्ण और रजत संबंधी अनेकों कार्य आपके माध्यम से हुए मुनि श्री सभी प्रकार के कार्यों में निपुण है और महाराज श्री से सभी श्रावक मार्गदर्शित होकर अपना कार्य कर रहे हैं। अनेक मांगलिक कार्यों में सानिध्य प्रदान किया, जिनमें विधान, वेदी प्रतिष्ठा ,शिलान्यास, पाठशाला ,पंचकल्याणक आदि शामिल है । सन 2014 देवरी मध्य प्रदेश, सन 2015 गौरझामर मध्य प्रदेश, झलौन, बिलहरा जिनमें 25000 से 40000 की जनता रही है और चार्टर वायु यान के द्वारा पांचो पंचकल्याणक में पुष्प वर्षा हुई । सन 2018-2019 में सागर, बाँधरी, बरोदिया, खितोला (सिहोरा),करेली,करकवेल एवं सन2020 में देवरी में भी पंचकल्याणक हुए । आपके चातुर्मास सन 2004 जबलपुर , सन 2005 बीना बारह , सन 2006अमरकंटक, सन 2007 बीना बारह सन 2008 रामटेक, सन 2009 बंडा,( आचार्य श्री की आज्ञा से पृथक चातुर्मास ) 2010 बीना बारह , 2011 चंद्रगिरी , 2012 चंद्रगिरी 2013 रामटेक *यह आचार्य श्री के साथ चातुर्मास हुए इसके बाद* 2014 पनागर , 2015 तेंदूखेड़ा , 2016 मंडला , 2017 छपारा , 2018 गौरझामर और 2019 का करेली मैं हुआ आप अनेक विधाओं में प्रवीण हैं। आपकी कलम के द्वारा भजन, कविताओं , आरती आदि एवम् श्रावकों के विशेष विषयों पर लेखन होता रहता है । -------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------
  9. बीना 08/07/2020 *अवसर जब आते है दबे पांव आते हैं:-मुनि श्री विमल सागर जी* मंगल कलश स्थापना संपन्न हुई सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य गुरूवर श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी मुनिराज मुनि श्री अनंत सागर जी मुनिराज, मुनि श्री धर्म सागर जी मुनिराज, मुनि श्री अचल सागर जी मुनिराज, मुनि श्री भाव सागर जी मुनिराज -श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर चौबीसी जिनालय बड़ी बजरिया बीना जिला सागर (मध्य प्रदेश) में कलश स्थापना 8 जुलाई को ब्रह्मचारी नितिन भैया जी इंदौर के निर्देशन में संपन्न हुई इस अवसर पर मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि आप के चमत्कारी चिंतामणि पारसनाथ भगवान की और गुरुदेव की कृपा हुई और चातुर्मास मिला। अवसर दबे पांव आते हैं और जब जाते हैं तो पंख लगाकर उड़ जाते हैं। आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज ने अनेक दोहे लिखे हैं लेकिन उनमें रहस्य छुपा हुआ है। अभी संक्रमण काल चल रहा है बच कर रहना है। धन में जीवन खो दिया तो व्यर्थ चला जाएगा। अनंत परिवर्तन इस जीव ने किए हैं। नौ ग्रह इतने खतरनाक नहीं है जितना परिग्रह है।एक उदाहरण दिया सर सेठ हुकुमचंद का जिनको घाटा लग रहा था दान दिया तो घाटे की पूर्ति हो गई। मुनि श्री चंद्रप्रभ सागर जी जब गौरझामर में आए थे उन्होंने बताया था कि एक व्रत किया जिसमें पांच उपवास किए थे और पारणा में अंतराय आया गया था। उन्हें देखकर हमारे अंदर भी भावना हुई की ऐसे ही हमें भी उपवास करना है। दान की महिमा अपरंपार है जो प्रभु के मंदिर के लिए दान देता है उसका वर्णन करने के लिए कोई समर्थ नहीं है। -चातुर्मास मंगल कलश स्थापना करने का सौभाग्य विभिन्न महानुभावों ने प्राप्त किया प्रथम कलश सुनीलकुमार महेन्द्रकुमार सिद्धार्थ कुमार कुशाग्र जैन पडरिया परिवार बीना द्वितीय कलश महेन्द्र कुमार मनीष कुमार जैन सेतपुर परिवार तृतीय कलश डॉ डी सी जैन अमित,सचिन कुमार जैन अलंकार ज्वेलर्स परिवार,चतुर्थ कलश मनिकचंद भूपेश नीलेश शैलेश जैन चौधरी स्टील परिवार,पंचम कलश गुलझारीलाल पदमचंद सुनील कुमार नौगांव परिवार को प्राप्त हुआ। इसके अलावा और भी लोगो ने कलश स्थापित किए।
  10. *जिनगृह वर्षायोग 2020* *वर्षायोग स्थल* – श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर बड़ी बजरिया बीना जिला सागर ( मध्य प्रदेश) अध्यात्म की पराकाष्ठा आचार्य भगवन 108 श्री विद्यासागर जी महामुनिराज के मंगल आशीर्वाद से उनके परम् प्रभावक शिष्य- सौम्य मूर्ति 108 मुनि श्री विमल सागर जी महाराज मुनि श्री अनंत सागर जी महाराज मुनि श्री धर्म सागर जी महाराज मुनि श्री अचल सागर जी महाराज मुनि श्री भाव सागर जी महाराज *निवेदक/आयोजक* सकल दिगंबर जैन समाज एवं श्री १००८ पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन चौबीसी जिनालय मंदिर बड़ी बजरिया बीना जिला सागर(म. प्र.) *संपर्क सूत्र*– 9425453862 8889961116 7828005005
  11. *_🛕मंगल चातुर्मास कलश स्थापना, बीना (म.प्र.)🛕_* *0️⃣8️⃣जुलाई 2️⃣0️⃣2️⃣0️⃣ बुधवार* _विश्व वन्दनीय , संत शिरोमणि , *आचार्यश्री १०८ विद्यासागर जी* महा मुनिराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य_ *💫 मुनिश्री १०८ विमलसागर जी महाराज* *💫 मुनिश्री १०८ अनंतसागर जी महाराज* *💫 मुनिश्री १०८ धर्मसागर जी महाराज* *💫 मुनिश्री १०८ अचलसागर जी महाराज* *💫 मुनिश्री १०८ भावसागर जी महाराज* *निर्देशन*- बाल ब्रह्मचारी नितिन भैया जी इंदौर *मांगलिक क्षण*-08 जुलाई 2020 बुधवार *दोपहर 1:30बजे से* शास्त्र अर्पण,श्रीफल अर्पण, मुनि श्री का मंगल उद्बोधन, मंगल कलश स्थापना *चातुर्मास स्थल*- *श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन चौबीसी जिनालय मंदिर बड़ी बजारिया जिला सागर(मध्यप्रदेश)* *विशेष निवेदन*~ नाक मुंह को अच्छी तरह ढक कर रखें, सोशल डिस्टेंस का पालन करें एवं शासन प्रशासन के नियमों का पालन करें। *🚩निवेदक -* श्री सकल दिगम्बर जैन समाज एवं श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन चौबीसी मंदिर, बीना *📱सम्पर्क सूत्र* 9425453862 9425193745 9407532812 9407283982 9425425245
  12. बीना *उत्तम देश भारत है जहाॅ धर्म जीवित है*_ *मुनि श्री विमल सागर जी सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी महाराज(ससंघ) श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर चौबीसी जिनालय बड़ी बजरिया बीना जिला सागर (मध्य प्रदेश) में विराजमान है । धर्म चर्चा करते हुए मुनि श्री भावसागर जी ने कहा कि सभी युवाओं को तन-मन-धन से प्रभु और गुरु की सेवा करना है कोरोना के कारण इस बार विशेष सावधानी रखना है। शासन,प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए धार्मिक क्रियाएं हैं दुनिया में सबसे पावर फुल पॉजिटिव एनर्जी देने वाले मंत्र,स्त्रोत, जाप,शांति धारा आदि होते है। आचार्य भगवन श्री विद्यासागर जी महाराज का 53 वा मुनि दीक्षा दिवस 25 जून को पूरे विश्व के लोग मनाएंगे आप सभी को भी मनाना है। आचार्य श्री ने भाग्योदय, पूर्णायु चिकित्सालय के माध्यम से पूरे विश्व की सेवा करने का उद्देश्य बनाया है। सभी को एकता के साथ अच्छी भावना के साथ कार्य करना है। आप चौके में मास्क का प्रयोग जरूर करें। क्योंकि बोलते समय मुंह से जो कण निकलते हैं वह खतरनाक होते हैं। पाद प्रक्षालन भी चौके में अलग अलग व्यक्ति करें और चौके एवं मंदिर में साधु के चरण स्पर्श ना करें करेली में विशाल पाषाण के जिनालय का निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया है एवं तेंदूखेड़ा(पाटन) में मैं भी विशाल मार्बल का मंदिर बन रहा है। धर्म चर्चा में मुनि श्री विमल सागर जी ने कहा कि बीना में प्रथम बार आना हुआ है। प्रभु के दर्शन करके बहुत प्रसन्नता हुई यहां साधना की योग्य स्थान है। आपका पुण्य अवश्य बड़ेगा। यह बीना भी बीना तीर्थ क्षेत्र बन जाए। आचार्य श्री ने कहा कि बजरिया जाना है इसलिए यहां आ गए। बहुत पुण्य शाली होते हैं जिनको दिगंबर साधुओं के दर्शन मिलते हैं। वृद्ध समाज की नींव होते हैं। नींव कमजोर होती है तो कार्यों की सिद्धि नहीं होती है। अनुभवी वृद्धों का होश युवाओं का जोश महिलाओं का घोष तो धर्म का होता है जय घोष। जहां जिस की योग्यता हो ऐसा कार्य करें। मनुष्यों में कृतज्ञता गुण दुर्लभ होता है। कितना उपकार रहता है गुरुओं का माता-पिता का लेकिन हम भूल जाते हैं। उत्तम देश भारत है जहां धर्म जीवित है। लोग अपना धर्ममय जीवन नहीं बनाते हैं। विषयों में ही निकाल देते हैं। नर काया का मिलना दुर्लभ है। कलि काल में भी यथा जात मुद्रा के धारी गुरुदेव मिले हैं। जैसे-जैसे दान,पूजा में आगे बढ़ रहे हैं वैसे ही संयम के क्षेत्र में आगे बढ़ना है। साधुओं से धर्म सुरक्षित है।
  13. *देश का सबसे मूल्यवान खजाना होता है युवा* :- *मुनि श्री विमल सागर जी महाराज* सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य गुरूवर श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज के आज्ञानुवर्ती शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी महाराज (ससंघ) -श्री पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर चौबीसी जिनालय बड़ी बजरिया बीना जिला सागर (मध्य प्रदेश) में विराजमान है। मुनि श्री भावसागर जी ने मुनि दीक्षा दिवस पर कहा कि आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का 53 वा दीक्षा दिवस है । उन्होंने निर्दोष ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करके एक महान कार्य किया है। देश का सबसे बहुमूल्य खजाना होता है युवा , युवा शक्ति देश के लिए अमूल्य निधि के समान है। युवावस्था जीवन का सबसे बेहतर समय है। भारत में 15 से 30 वर्ष के बालक को युवा माना जाता है। देश में नेतृत्व हमेशा लगभग 1% लोग करते हैं 90% लोग उन 1% लोगों की मुख्य शक्ति होते हैं तथा 80% लोग इन 10% लोगों का अनुसरण करते हैं । ऐ मेरे जवानों असंभव को संभव करने की अपार क्षमता सामर्थ व ऊर्जा हमारे भीतर समाहित है । बाल के भाल पर अपनी शक्ति साहस ब शौर्य से नया इतिहास लिखो । मैं अकेला क्या कर सकता हूं इसके बजाय हमेशा यह सोचे कि मैं क्या नहीं कर सकता । दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं सबl सब कुछ संभव है । यही जीवन देश, धर्म, समाज सेवा के लिए मिला है ! आचार्य श्री जी ने भी ऐसा ही किया है। आचार्य श्री की भावना है कि इंडिया को भारत बोला जाए, हिंदी भाषा को विशेष महत्व दिया जाए गायों की रक्षा की जाए स्वदेशी वस्तुओं को महत्त्व दिया जाय। सभी लोगों को पूर्ण आयु प्राप्त हो जाए इसी उनकी भावना है। कोरोना अतिशीघ्र वापस चला जाए ऐसी उनकी भावना है लोकनतिक देव बन कर एक भव में मोक्ष प्राप्त करें । दीक्षा का अर्थ होता है इंद्रियों का दमन। एड्रेस और ड्रेस का बदल जाना और मंच और लंच का बदल जाना। आचार्य श्री तीर्थंकर बनने की ओर अग्रसर हैं । आचार्य श्री एवं सभी साधु बोल रहे हैं कि आप सभी शासन, प्रशासन के नियमों का पालन करें , सोशल डिस्टेंस रखें , मास्क लगाएं धार्मिक क्रियाएं स्थिति ,परिस्थिति को देखकर करें , आचार्य श्री को गरीब ,अमीर सभी की चिंता रहती है। जो प्रभु का घर( मंदिर )बनाता है उसका घर भी अवश्य बन जाता है मुनि श्री अचल सागर जी ने कहा कि गुरु के बारे में बोलने को हमारे पास शब्द नहीं है । उनकी भक्ति करना सबके बस की बात नहीं है । आचार्य श्री पंचम काल के सर्वश्रेष्ठ साधक हैं । गुरु के उपकार को कभी भुलाया नहीं जा सकता प्राचीन आचार्यों का इतिहास में महत्व है । आचार्य श्री की निर्दोष चर्या की परीक्षा एक विद्वान ने चुपचाप की लेकिन कुछ भी दोष नजर नहीं आया था। आचार्य श्री की असाधारण वाणी है वाक् सिद्धि है उनको । उनका आचरण असाधारण है गुरु अचेतन को चेतन धाम बनाते हैं। मूक माटी महाकाव्य लिखना साधारण बात नहीं है । ज्ञात हो कि मूक माटी पर पीएचडी डी लिट , एम आदि हुई है एवं देश के प्रमुख 283 विद्वानों ने अपनी समीक्षाएं लिखीं हैं आचार्य श्री के दर्शन हेतु जबलपुर में एक मुख्यमंत्री का आना हुआ लेकिन बहुत देर बैठने के बाद भी आचार्य श्री कुछ पढ़ रहे थे तो उन्होंने चर्चा नहीं की और बिना चर्चा के वापस जाना पड़ा। आज आचार्य श्री का ऑरा नापा तो सर्वाधिक निकला । आचार्य श्री ने जैन धर्म को बहुत आगे बढ़ाया है। आचार्य श्री की महिमा का वर्णन करना हर किसी के बस की बात नहीं है। मुनि श्री अनंत सागर जी ने गुरु के चरणों में भावांजलि अर्पित करते हुए बताया कि आचार्य श्री विद्यासागर जी का दीक्षा योग है जिसमें विवाह के बाद दीक्षा वाली व्यवस्था नहीं है। आचार्य श्री के समय के मिनटो की कीमत होती है। वह निराले संत है । ब्रह्मचारी अवस्था में गुरु ज्ञान सागर जी महाराज से मिलने की इतनी उत्कंठा थी कि भूख प्यास भी भूल गए और 2 दिन के उपवास हो गए थे। गर्मी में भी रात्रि कठिनता से व्यतीत हुई थी । पूज्य ज्ञान सागर जी महाराज दीक्षा के पूर्व लोगों से परीक्षण करवाते थे कि चरिया में यह सही है या नहीं, ज्ञान सागर जी महाराज ज्योतिष के ज्ञाता थे । उन्होंने पहले ही ब्रह्मचारी अवस्था में देख लिया था कि यह विद्याधर आगे मुनि विद्यासागर बनकर पूरी दुनिया में धर्म का डंका बजाएगा । बिनोली में 19 हाथी थे ।आचार्य श्री की अद्भुत दीक्षा हुई थी। समता की पराकाष्ठा आश्री विद्यासागर जी में देखी जाती है ।जो दीक्षा का विरोध कर रहे थे उन्हीं के यहां उपवास की पारणा हुई थी ।पारणा में मुनि श्री विद्यासागर जी ऐसे लग रहे थे। जैसे बरसों के साधक हो। पूज्य ज्ञान सागर जी ने कहा था कि यह काया 5 वर्ष टिक गई तो हम बताएंगे कि मुनि विद्यासागर क्या व्यक्तित्व है। विश्व प्रसिद्ध योगाचार्य ने जबलपुर में कहा था, कि मैंने अनेकों संत देखे हैं लेकिन आचार्य श्री विद्यासागर जी निर्विवाद संत है । मुनि श्री विमल सागर जी ने गुरु महिमा का वर्णन करते हुए बताया कि उनके गुरु ने कहा था कि मुनि विद्यासागर महाराज की चरिया चतुर्थ कालीन है । उनकी ध्यान अवस्था को देखते हैं तो आश्चर्य कारी चरिया लगती है ।मुनि श्री अचल सागर जी ने विभिन्न आचार्यों के नाम लिए हैं। इस कलिकाल में एक ही संघ है जिसमें प्रायः सभी दीक्षित साधु बाल ब्रह्मचारी हैं। इन विषयों के बीच में दिगंबरतव को सुरक्षित रखना अतिशय कारी है ।यथार्थ रूप का दर्शन पुण्य कारी होता है। वह बिना नमक, मीठे ,हरे फलों के बिना भी ऐसे भोजन करते हैं जैसे 56 तरह के भोजन कर रहे हो । उनकी अंतरंग की शुद्धि से सभी अशुद्धियां दूर हो जाती हैं । गुरुदेव अपने गुरुदेव के प्रति कितने समर्पित थे इससे बड़ा गुरु सेवा का उदाहरण देखने को नहीं मिलता है ।गुरुदेव के प्रति निष्ठा ,भक्ति, सेवा का फल जो वह आगे बढ़ते जा रहे हैं। मुनि श्री भाव सागर जी की अच्छी भावना रहती है वह कह रहे हैं कि सभी ब्रह्मचारी , ब्रह्मचारिणीयों की दीक्षा आचार्य श्री के कर कमलों से हो जाए ।सर्वश्रेष्ठ मंत्र विश्वास है। उनकी छवि मंत्र का काम कर जाती है। आपको कुछ भी नहीं आता है तो भी तर जाओगे लेकिन विश्वास रखो। आचार्य श्री ने कहा था कि अपने हृदय में णमोकार मंत्र को रखना तो कल्याण हो जाएगा। संतोष से बड़ा कोई धन नहीं होता है। जब दौलत के पीछे भागते थे तो वह दूर भागती थी लेकिन दौलत से दूर हो गए तो वह पीछे भागती है । वैराग्य ही परम भाग्य है। हम सभी का सौभाग्य है ऐसे महान गुरु मिले हैं ।
  14. बीना 20/06/2020 *देश की रक्षा में जो शहीद हुए हैं उनके प्रति सहानुभूति रखें- मुनि श्री विमल सागर जी महाराज* सर्वश्रेष्ठ साधक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के शिष्य मुनि श्री विमल सागर जी महाराज (ससंघ) श्री नाभि नंदन दिगंबर जैन मंदिर इटावा बीना जिला सागर (मध्य प्रदेश) में विराजमान है । धर्म चर्चा करते हुए मुनि श्री भाव जी सागर जी महाराज ने बताया कि कोरोना से पूरी दुनिया परेशान है लेकिन इससे डरना नहीं है सावधानी रखना है l यह उम्र, जाति, अमीर- गरीब को नहीं देखता है। किसी पर भी आक्रमण कर सकता है। शासन प्रशासन के द्वारा बतायी गयी सावधानियां रखना है। यह बीमारी बरसात में और बढ़ सकती है । आप भाव से पूजा, भक्ति, स्त्रोत ,पाठ, जाप करते रहे और दर्शन भी करें। पंचम काल के अंत तक धर्म लगभग 18500 वर्ष तक रहेगा इस काल में परेशानियां तो आएंगी , और धर्म भी अंत तक रहेगा ।देश की रक्षा में जो शहीद हुए हैं उनके प्रति सहानुभूति रखें और शांति धारा में उनका स्मरण करें । आपको स्वदेशी वस्तुएं अपनाना है । आज आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज का 53 वा मुनिदीक्षा दिवस पूरे विश्व में 25 जून को मनाया जाएगा। आप अपने घर पर अच्छे से यह मनाएं । आज हम गौशाला देखने गए थे उसको अति शीघ्र नवीन स्थान पर बनाना है जिससे गौ रक्षा हो सके ।आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की प्रेरणा से पांच स्थानों पर विश्व की श्रेष्ठ शिक्षा स्थली संचालित हो रही है जिसके माध्यम से बालिकाओं को शिक्षा, संस्कार एवं सुरक्षा मिल रही है। अच्छा बोलने वाले से सभी प्रभावित होते हैं । प्रातः काल उठने से ऑक्सीजन मिलती है जिससे फेफड़े अच्छे रहते हैं और कोरोना से बचाव होता है । धर्म चर्चा मे मुनि श्री विमल सागर जी महाराज ने बताया कि, जो प्रभु और गुरु की भक्ति करता है वह बहुत कुछ प्राप्त कर लेता है । एक सच्चे प्रभु के भक्त की मदद करने से बहुत पुण्य का अर्जन होता है ।जो गुरु की सेवा करता है, दान देता है , पूजन भक्ति करता है , बहुत पुण्य का अर्जन कर लेता है । परिवार के साथ रहना पुण्य के उदय से होता है ।एक साथ परिवार मिलकर धार्मिक क्रियाएं करता हैं तो बहुत अच्छा माना जाता है ।अपने देश की रक्षा करने वाला उत्तम पुरुष माना गया है । आचार्य श्री ने भारत की संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए हजारों ब्रह्मचारिणी बहनों को शिक्षा के लिए समर्पित किया है । बालिकाओं की सुरक्षा महत्वपूर्ण है । दुनिया में अन्य जगह ऐसी शिक्षिका नहीं मिलेंगी । अच्छी बात अपना लेते हैं तो जीवन बहुत सुंदर बन सकता है । विषय भोगो के लिए बहुत मेहनत करते हैं और इनको छोड़ना कठिन कार्य होता है । श्वास का भरोसा नहीं रहता है ।
  15. *मुनि श्री विमल सागर जी,* *ससंघ की दिनचर्या* प्रातः 5:15 बजे आचार्य भक्ति प्रातः 5:30 बजे वनविहार प्रातः 6:30 बजे देव वंदना *प्रातः9:30 मुनिसंघ की आहारचर्या* *दोपहर 11:30 मुनिसंघ की ईर्यापथ भक्ति* दोपहर 12:00 बजे से 1:45 तक सामायिक दोपहर 2:00 -3:00 बजे मुनिश्री का व्यक्तिगत स्वाध्याय दोपहर 3:00 से 4:00 बजे तक मुनिसंघ का स्वाध्याय शाम5:30 प्रतिक्रमण/ देववंदना शाम 6:45 आचार्यभक्ति शाम 7:30 बजे सामयिक *नोट:-* इस कार्यक्रम में मौसम अनुसार स्थिति परिस्थिति अनुसार परिवर्तन हो सकता है।
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