Overview
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Saroj Bakliwal joined the club
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पारस जैन मोदी joined the club
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मंडी बामोरा प्रवेश
Images added to a gallery album owned by Vidyasagar.Guru in मुनिश्री उत्तमसागर जी ससंघ's चित्रशाला
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*🌀⚜️ बेटी संस्कार शिविर ⚜️🌀* कुम्भराज (जिला गुना) - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - *🔅रविवार, 29 अगस्त 2021* *🔅प्रातः 6:30 बजे से* *🔅जैन मंदिर, कुम्भराज (जिला गुना)* - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - *🌿आशीर्वाद* आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज *🌿मंगल सान्निध्य* 🔆 मुनिश्री प्रसादसागर जी महाराज 🔆 मुनिश्री उत्तमसागर जी महाराज 🔆 मुनिश्री शैलसागर जी महाराज 🔆 मुनिश्री पुराणसागर जी महाराज *🌿निर्देशन* *डॉ. ब्रह्मचारी रेखा दीदी (पूर्व डीएसपी) सागर* *डॉ. बह्मचारी नीलम दीदी (शिशु रोग विशेषज्ञ) सागर* *बह्मचारी पल्लवी दीदी (गुना)* _बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ - भारत के उपक्रम में एक और कदम, इस बेटी संस्कार शिविर में लाइये आपके परिवार की 10 वर्षीय से 28 वर्षीय लाड़ली अविवाहित बेटी को, जहाँ उनको मिलेगा जीवन जीने की कला, सदाचार, उज्ज्वल भविष्य व चारित्र निर्माण निखार का निःशुल्क मार्गदर्शन_ *🌿 रजिस्ट्रेशन हेतु संपर्क सूत्र* 9584571822 9893666155 9755682127 *🌿निवेदक* गुरु भक्ति बालिका मंडल, पाठशाला परिवार व जैन समाज कुम्भराज
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*मंगल विहार थुबोनजी से* _26 दिसम्बर 2020, शनिवार_ *आचार्य भगवंत* *श्री विद्यासागर जी महामुनिराज* के परम प्रभावक शिष्य *💠परम् पूज्य मुनि श्री 108 प्रसाद सागर जी महाराज* *💠परम् पूज्य मुनि श्री 108 उत्तम सागर जी महाराज* *💠परम् पूज्य मुनि श्री 108 पुराण सागर जी महाराज* *💠परम् पूज्य मुनि श्री 108 शैल सागर जी महाराज* *💠परम् पूज्य मुनि श्री 108 निकलंक सागर जी महाराज* _ का मंगल विहार थुबोनजी से देवगढ़ के लिए हुआ_ *गुरु चरणानुरागी* 7828395970,93999 96255
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Darshan jain bina joined the club
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Ritu Saraf joined the club
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मूकमाटी रचयिता पूज्य आचार्य श्री के शिष्य मुनिश्री प्रसादसागर जी मुनिश्री उत्तमसागर जी मुनिश्री शैलसागर जी मुनिश्री पुराणसागर जी एवं मुनिश्री निकलंकसागर जी का वर्षायोग 2020 मुंगावली कलश स्थापना समारोह 8 जुलाई बुधवार दोपहर 2 बजे प्रतिष्ठाचार्य ब्र. प्रदीप भैया अशोकनगर जैन पंचायत कमेटी, वीर सेवा दल, महिला बालिका मंडल, हथकरघा, पाठशाला परिवार मुंगावली अशोक नगर फ़ोन 8770724080 , 789708063, 9425762173
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पत्रकार अक्षय प्रांजल जैन joined the club
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पूज्य दादा गुरु आचार्य गुरुवर समाधि ज्ञान सागर जी महाराज के 48 वे समाधि दिवस के उपलक्ष में पूज्य मुनि श्री 108 प्रसाद सागर जी महाराज ससंघ सानिध्य में श्री जिनोदय तीर्थ नसिया जी सिरोंज पर लाईव कार्यक्रम का आयोजन किया गया पूज्य मुनि पंच बाल यति मुनिराज श्री द्वारा आचार्य गुरुवर के बारे में विस्तारपूर्वक संस्मरण दिए एवं लाइव प्रवचन दिए आचार्य गुरुवर की पूजन एवं आचार विधान आचार्य विधान का आयोजन रात्रि में 48 दीपों से भक्तांबर आरती का आयोजन रखा गया महाकवि आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के समाधि दिवस पर भाव भीनी विनयाजली महाकवि आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज 20 वीं सदी के दिगंबर जैन आचार्यों में से है जिनके द्वारा कई संस्कृत महाकाव्यों की रचना करने के लिए जाना जाता है। उन्होंने विश्व वंदनीय आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को दीक्षा दी। उनका जन्म पंडित के रूप में हुआ था। श्री भूरमल जी छाबड़ा (पंडित श्री भूरामल जी छाबड़ा)। उनके पिता श्री चतुर्भुज जी और माता श्रीमति गृहिणी देवी थीं। वह पाँच भाइयों में से दूसरे थे (छगनलाल सबसे बड़े और गंगाप्रसाद, गौरीलाल और देवदत्त छोटे भाई थे)। अपने गाँव में प्राथमिक अध्ययन पूरा करने के बाद, उन्होंने आगे बनारस में संस्कृत का अध्ययन किया। उन्होंने आचार्य श्री वीरसागर जी महाराज द्वारा क्षुल्लक दीक्षा प्रदान की गयी थी । तब उन्हें क्षुल्लक श्री 105 ज्ञानभूषण सागर जी महाराज नाम दिया गया था। उन्हे आचार्य श्री 108 शिवसागर जी महाराज द्वारा मुनि दीक्षा प्रदान की गयी , जो 1959 में खनिया जी, जयपुर में प्रदान की गयी । उन्हें 1968 में राजस्थान के नसीराबाद में आचार्य पद प्रदान किया गया 1 जून, 1973 को नसीराबाद में समाधि प्राप्त की। तिथि जेठ कृष्णा अमावस्या आचार्य ज्ञानसागर जी महाराज संस्कृत में एक विशेषज्ञ के रूप में, वह संस्कृत में एक महान संगीतकार थे। कम से क/म 30 शोधकर्ताओं ने उनके कार्यों का अध्ययन किया और डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया। उनके काम पर कम से कम 300 विद्वानों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं। उनकी रचनाओं में 4 संस्कृत महाकाव्य और 3 और जैन ग्रंथ शामिल हैं और वह भी उस समय में जब संस्कृत रचना लगभग अप्रचलित थी। इन कृतियों ने हमेशा आधुनिक संस्कृत विद्वानों को आश्चर्यचकित किया है। आचार्य श्री सचमुच दिव्यद्रष्टि वाले थे महाकवि आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज सचमुच दिव्यद्रष्टि वाले थे जिसका साक्षात उदाहरण आचार्य श्री विद्या सागर जी महाराज के रूप मे है आज वह सम्पूर्ण विश्व पर जिनधर्म की पताका लहरा रहा है क्या खूब कहा है हीरे को परख लिया आचार्य ज्ञानसागर फिर ऐसा प्रकाश किया कण कण विद्या सागर शत शत नमोस्तु
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D Jain joined the club
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Sanskritijain joined the club
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*विदिशा-* *नौ मुनिराजों का एवं ५८ आर्यिका माताओं* का *दीक्षा दिवस मनाया गया।* इस अवसर पर स्वर्ण प्राशन संस्कार वच्चों के शिविर का आयोजन किया गया। *मुनिश्री पुराण सागर जी* ने कहा कि *कर्नाटक* के इस संत ने *भारत का इतिहास पलट* कर रख दिया। *जंहा पर पहले दूर दूर तक मुनिराज के दर्शन नजर नही होते थे।* *पंडित दौलतराम जी* और *पंडित वनारसी दास जी* ने तो लिखा हैं कि *मुनि दर्शन को ये अंखिया तरस गयी* तो आज वही आज चारों और पूरे भारत में जैन मुनि महाराज नजर आ रहे है, एवं सभी *आचार्य गुरुवर विद्यासागरजी महाराज की जय जयकार* हो रही हैं। ★ उन्होंने कहा कि मेरे से किसी ने पूंछा कि *महाराज जी आपको वैराग्य कैसे आया?* तो उन्होंने कहा कि *गुरूवर की शांतमय मुद्रा को और उनकी वीतराग मुद्रा* को देख *उनकी चर्या को देखा और उनके पीछे* लग गये। उन्होंने पूज्य गुरुदेव का आभार मानते हुये कहा कि आज में धन्य हो गया और आज मेरा *मोक्षमार्ग प्रशस्त* हो गया। 🅰®
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Sambhav Jain joined the club
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रोहित सिंघई joined the club
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मध्य भारत की एकमात्र पवन धरा जहाँ हुए शीतल नाथ प्रभु के ४ कल्याणक, वहाँ पधार रहें 4 फरवरी को आचार्य श्री के शिष्य, ४ मुनी मुनिश्री प्रसादसागर जी मुनिश्री शैलसागर जी मुनिश्री पुराणसागर जी मुनिश्री निकलंकसागर जी मंगलवार सुबह 9 बजे जैन मंदिर रेलवे स्टेशन विदिशा प्रभावना के इस कार्य में आपकी सहभागिता के हर कदम का स्वागत निवेदन कर रही जैन समाज विदिशा
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परम् पूज्य मुनिश्री १०८ प्रसाद सागर जी महाराज ससंघ का मंगल विहार चातुर्मास उपरांत राजधानी भोपाल से परम् पूज्य मुनिश्री १०८ प्रमाण सागर जी महाराज की चरण वंदना के उपरांत हुआ ।। प पु मुनि श्री प्रसादसागर जी महाराज ससंघ का विहार विदिशा की ओर हुआ आज की आहार चर्या भानपुर रात्रि विश्राम सूखी सेवनिया में होगा
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🦚भव्य पिच्छिका परिवर्तन 2019🦚* *1 दिसंबर 2019, रविवार* *_◆समय दोपहर -: 1 बजे से◆_* _*वतर्मान के वर्धमान आचार्य भगवन श्री 108 विद्या सागर जी महामुनिराज के परम प्रभावक शिष्य*_ *_पूज्य मुनि श्री 108 प्रसाद सागर जी महाराज_* *_परम् पूज्य मुनि श्री 108 शैल सागर जी महाराज_* *_परम् पूज्य मुनि श्री 108 निकलंक सागर जी महाराज_* _का पिच्छिका परिवर्तन_ *स्थान-: जैन मंदिर के पास पीपल चौक भोपाल*
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6 अक्टूबर 2019 मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में परम पूज्य गुरुवर 108 आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की आज्ञा अनुवर्ती शिष्य परम पूज्य मुनि 108 प्रसाद सागर जी महाराज परम पूज्य मुनि 108 श्री शैल सागर जी महाराज परम पूज्य मुनि 108 श्री निकलंक सागर जी महाराज के सानिध्य में 1008 बच्चों का उपनयन संस्कार जवाहर चौक मंदिर प्रांगण में किया गया बच्चों को संस्कारित बनाने के लिए बच्चों का मुंडन करवा कर आदिनाथ पुराण शास्त्र की व्याख्या अनुसार बच्चों का विधि विधान के साथ उपनयन संस्कार हुआ हजारों आंखों ने इस भव्य दृश्य को देखा प्रथम बार बच्चों ने महाराज श्री के सानिध्य में अभिषेक और शांति धारा की *प्रतिष्ठाचार्य श्री प्रदीप भैया अशोकनगर द्वारा सर्वप्रथम बच्चों को केंद्रीय जेल सागर के बंदी भाइयों द्वारा बनाए गए 1008 रुमाल जोकि *अशोका गार्डन ,भोपाल निवासी श्री सुशांत जैन शौर्य जैन श्वेता जैन द्वारा ₹51000 की राशि देकर पुण्य लाभ कमाया इस अहिंसक रुमाल पर अभिषेक उपरांत सभी बालकों को बिठाया गया और फिर संस्कार किए गए बहुत ही प्रेरक और हृदय परिवर्तन करने वाला प्रोग्राम रहा बच्चों के माता-पिता निश्चित तौर से संस्कारी थे जिन्होंने भोपाल जैसे महानगर में रहकर भी बच्चों के अंदर संस्कार पड़े इसके लिए प्रयास किया बच्चों को जब महाराज श्री संस्कार दे रहे थे तब बच्चे भक्ति भाव से आंखें बंद करके सहस्रार चक्र के ऊपर बनाए जा रहे स्वास्तिक का अनुभव कर रहे थे और बहुत भक्ति और श्रद्धा के साथ महाराज श्री का चरण वंदन करके संस्कार प्राप्त कर रहे थे बड़ा अनूठा दृश्य था यह संस्कार विधि बच्चों को जीवन भर याद रहेगी WhatsApp Video 2019-10-07 at 7.35.52 AM.mp4
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प्रथम धारा मध्य भारत में प्रथम बार दिंनाक : 6 अक्टूबर 2019 रविवार (शीतल नाथ भगवान का मोक्ष कल्याणक दिवस) समय : दोपहर 1 बजेकार्यक्रम स्थल : जैन मंदिर, जवाहर चौक भोपाल आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की कृपा व मुनि श्री प्रसाद सागर जी , मुनि श्री शैल सागर जी व मुनि श्री निकलंक सागर जी महाराज के सानिध्य में | आपके 8 वर्ष से 16 वर्षीय बालक का उपनीति क्रिया व मौजी बंधन संस्कार नियम बालक के लिए शुद्ध धोती दुपट्टा, हार तिलक, मुकुट आदि सामग्री की व्यवस्था स्वयं करनी होगी | विशेष ध्यान दे : जो बालक सफेद धोती में होंगे उनके ही संस्कार किये जायेगे | वेशभूषा की विशेष प्रस्तुतीकरण करने पर चयन पद्धति से विशेष पुरुस्कार प्रदान किया जायेगा | बाहर से पधारे हुए बालको व अभिभावकों की आवास व भोजन की पूर्ण व्यवस्था निशुल्क रखी गयी है | पंजीयन की अंतिम तिथि 2 अक्टूबर बुधवार तक है | मंदिर कार्यालय या अपने शहर / कॉलोनी के अध्यक्ष को अपना नाम , पूरा पता, शहर, मोबाइल नंबर लिखवाए | 8 वर्ष से 16 वर्ष तक के प्रत्येक बालक को स्वर्ण रूपी रजत (चांदी) कलश उपहार स्वरुप दिया जायेगा
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ayushi jain j joined the club
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