सोयावीन जैसे घातक बीज से जमीन की उर्वरक क्षमता हो रही कम ....... आचार्य श्री
डिंडौरी (मप्र)- सोयावीन भारत का बीज नहीं है, यह विदेशों में जानवरो को खिलाने वाला आहार है। उक्त उदगार दिगम्बर जैनाचार्य श्री विधासागर जी महाराज ने मध्यप्रदेश के वनांचल में वसे डिंडौरी नगर में एक महती धर्म सभा को सम्बोधित करते हुऐ व्यक्त किये। आचार्य श्री ने वताया कि भारत मे सोयावीन से दूध,विस्किट, तेल आदि खाद्यय उपयोगी वस्तुएं लोग खाने में उपयोग कर रहे है। सोयावीन का बीज भारत मे षणयंत्र पूर्वक भेजा गया है। इसे अमेरिका जैसे अनेक देशों में शुअर आदि जानवरों को खिलाने के लिये उत्पादित करते है।
भारत मे आज बहुतायात सुबह नींद से उठते ही इसका उपयोग विसकुट, पैक दूध बच्चों से लेकर बड़े तक खाने में उपयोग कर रहे है।विदेश का जानवरों का खाद्वय पद्वार्थ हम जानकर उपयोग कर रहे है। इसके घातक परिणाम देखने को मिल रहे है। गम्भीर विमारियाँ, बच्चों के शारीरिक,मानसिक विकास में कमी, आदि कई प्रकार के परिणाम परोक्ष रूप से देखने मिल रहे हैं। इस देश की सोना उगलने बाली उपजाऊ जमीन की उर्वरक क्षमता खत्म हो रही है। जिसका मुख्य कारण वह विदेशी सोयावीन का बीज जो दिनों दिन जमीन से सारे तत्व नष्ट कर रहा है ।
पारम्परिक बीजों की बुवाई करें। स्वदेशी अपनावें। सोना , हीरा, मोती उगलने बाली जमीन को वापिस पाएं।। धर्म सभा मे गोटेगांव से पूर्व नगर पालिक अध्यक्ष श्री राजकुमार जैन, अशोक नगर से श्री विजय धुर्रा, तेंदूखेड़ा से महीष मोदी, सतना से अशोक जैन, जबलपुर,रांझी, मण्डला,विलासपुर, आदि स्थानों से बड़ी तादात में धर्मानुरागी जन उपस्थित थे। ब्र.सुनील भैया द्वारा धर्मसभा का कुशलता पूर्वक संचालन किया गया।।
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