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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

भाव को नहीं छोड़े !


संयम स्वर्ण महोत्सव

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चंद्रगिरी डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़ में विराजमान दिगम्बर जैन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने दीक्षा दिवस के अवसर पर धर्म सभा को सम्भोधित करते हुए कहा की आज रविवार है और भी कुछ है (दीक्षा दिवस ) लेकिन अतीत की स्मृति के लिए आचार्य कुंद – कुंद कहते हैं की याद रखना है तोह दीक्षा तिथि को याद रखो जिस समय दीक्षा ली थी उस समय क्या भाव थे उन्ही को याद करो ! काल निकल जाता है पर स्मृति के द्वारा ताज़ा बनाया जा सकता है ! उस समय की अनुभूति और अभी की अनुभूति में अंतर दीखता है ! हमारे भाव कितने वजनदार हैं देखना है ! भावों की उन्नति होना चाहिए ! जो गिरता है वो जल्दी उठता भी है और संभालता भी है ! आप दान, परोपकार आदि के भावों को याद रखो ! आचार्य श्री ज्ञानसागर महाराज जी को याद भी किया और कहा की वह महान थे ! आत्मा की कोई उम्र नहीं होती भावों की उम्र होती है, अनुभूति भावों की होती है ! गुरुदेव का उत्तर हमारे लिए अनुत्तर बन बन गया था ! भावो को नापो ज़िन्दगी क्या है ! द्रव्य की जगह भाव को याद करने की हमें वह योग्य बनाया गुरुदेव ने, हम गुरुदेव को प्रणाम करते हैं ! आचार्य श्री विद्यासागर जी रविवार होने के कारण दीक्षा दिवस पर, मंच पर आये ऐसा बहुत दिनों बाद हुआ है ! 

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