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प्रथम धारा मूल संस्कार विधि : जबलपुर 22 सितंबर 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

श्वेत पत्र पर, श्वेत स्याही से लिखा सो पढ़ो


संयम स्वर्ण महोत्सव

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थोड़ा सा असंयम संयम की शोभा को कम कर देता है। जैसे बकरी का बच्चा सुगन्धित तेल भी पिये फिर भी अपनी पूर्व दुर्गन्ध को नहीं छोड़ता। उसी प्रकार दीक्षा लेकर भी अर्थात् असंयम को त्यागने पर भी कोई – कोई इन्द्रिय और कषाय रूप दुर्गन्ध को नहीं छोड़ पाते। मन से कभी समझौता नहीं करना क्योंकि वह गिरा देगा। मन को छोड़ भी नहीं सकते हैं उससे काम भी लेना है। पँचेन्द्रियों से वषीभूत हुआ प्राणी क्या – क्या नहीं करता है। कषाय का उद्वेग संज्ञी पंचेन्द्रिय में ही है। हम आदी हो गये है, काला अक्षर भैंस बराबर। श्वेत पत्र पर श्वेत स्याही से लिखा सो पढ़ो। अकेले काल रंग से लिख नहीं सकते, अकेले सफेद से भी कुछ नहीं कर सकते हैं। शुक्ल लेष्या का प्रतीक है। रात्रि में अंधकार में इधर – उधर क्यों नहीं देखते। आँखे बंद करके ही बैठते हैं सामायिक में । आँखों की ज्योति का सरंक्षण करना सीखो। इधर – उधर नहीं देखो।

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