संस्कृति बचाने गौरक्षा की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है
परमपूज्य जैनाचार्य 108 श्री विद्यासागरजी महाराज ने रामटेक स्थित भगवान श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र में उद्बोधन दिया है कि, गाय जीवित धन माना जाता है जो विभिन्न प्रकार की समस्याओ का हल करता है। काली गाय मनुष्य से भी ज्यादा जागृत रहती है। उसकी ज्यादा मांग रहती है। वातावरण शांत रहता है। मथुरा में गोवर्धन नगर है उधर की गायों में विशेषता है।
यदि कोई व्यक्ति गौ वध करता था तो पहले के शासक उसके हाथ अलग करवा देते थे। उस समय 4 लाख गायें थी, आज कितनी गायें है हमारे देश में ? अब कोई आवाज ही नही उठाता है । नगाडे की आवाज मे बाँसुरी की आवाज दब रही है। पहले के राजा गायों की रक्षा अपने प्राणों से भी ज्यादा करते थे। हमें अपनी संस्कृति बचाने गौरक्षा की ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।
साथ ही आचार्यश्री ने कहा कि, इंद्रियाँ बूढी होने पर भी मन जवान है वह काम कराता रहता है। अपनी इन्द्रियों पर जो लगाम लगा कर ज्ञान, ध्यान और तप में व्यस्त रहता है वह तपस्वी होता है । इन्द्रिय और कषाय, ध्यान और गुप्ति से डरती है। शरीर सो जाये लेकिन अप्रमत रहे इसका नाम गुप्ति है।
साथ ही आचार्यश्री ने यह भी कहा कि, आज बच्चे सोचते है 365 दिन है तो पढाई कम करते है, खाने पीने मे, फिल्म एवं मोबाइल आदि मे समय खराब करते है। फिर दिन-रात रटकर पढते है एवं बीमार पड जाते है । विद्यार्थी वही माना जाता है जो प्रतिदिन अध्ययन करता है । कहते है 50 वर्ष की उम्र हो गयी, तो हिसाब लगाओ की खाने-पीने-सोने में आने कितना समय व्यर्थ गंवाया है। आचार्य कुंद कुंद स्वामी कहते है कि यदि तुम दुःख से मुक्ति चाहते हो तो क्षमा धर्म को धारण करो ।
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