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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
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किसको तजूँ, - आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित हायकू २४०


संयम स्वर्ण महोत्सव

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Haiku (240).jpg

किसको तजूँ,

किसे भजूँ सबका,

साक्षी हो जाऊँ।

 

हायकू जापानी छंद की कविता है इसमें पहली पंक्ति में 5 अक्षर, दूसरी पंक्ति में 7 अक्षर, तीसरी पंक्ति में 5 अक्षर है। यह संक्षेप में सार गर्भित बहु अर्थ को प्रकट करने वाली है।

 

आओ करे हायकू स्वाध्याय

  • आप इस हायकू का अर्थ लिख सकते हैं
  • आप इसका अर्थ उदाहरण से भी समझा सकते हैं
  • आप इस हायकू का चित्र बना सकते हैं

लिखिए हमे आपके विचार

  • क्या इस हायकू में आपके अनुभव झलकते हैं
  • इसके माध्यम से हम अपना जीवन चरित्र कैसे उत्कर्ष बना सकते हैं ?

6 Comments


Recommended Comments

जब ज्ञाता द्रष्टा  या साक्षी भाव मे  जीव हो तो बाहरी कुछ राग ही नही  

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न पाप को तजूं , न पुण्य को भजूं ,इन सब से निर्विकार हो बस ज्ञाता दृष्टा बन जाऊं ,अंतर्मुख हो जाऊं

  • Thanks 1
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मुक्ति पथ पर क्या त्यागना है.. क्या साथ लेकर चलना है.. करू कुछ ऐसा ताकि एक प्रमाण प्रस्तुत हो।

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इस संसार में मेरे आत्मा के अलावा सब पर दृव्य है, इसमें क्या तजू और क्या अपनाऊं? सब दृव्य के अस्तित्व का स्वीकार करूं और सब को सिर्फ देखूं और जानूं.

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