सिद्ध भगवान घृत के समान है जैसे घृत में गन्ध है और हम दूध के समान है जिसमें गन्ध नहीं है. अर्थ यह कि जैसे दूध में घी छिपा है वैसै ही हम में भी सिद्धपना है पर उसका अनुभव अभी हम नहीं कर सकते. जब दूध से घी बनेगा तभी महेकेगा उसी तरह जब हम सिद्ध बनेंगे तभी महेकेंगे, अनुभव होगा. मैं भगवान हूं यह न कहकर यह कहो कि मैं भगवान बन सकता हूं, बनना है.