हमें वस्तु स्थिति को स्वीकार करना चाहिए, इससे लोगों का भ्रम दूर हो जाता है. आचार्य विद्यासागर
हमें वस्तु स्थिति को स्वीकार करना चाहिए, इससे लोगों का भ्रम दूर हो जाता है. आचार्य विद्यासागर
आप लोगों को कुछ बातों के ऊपर विश्वास नहीं होता है, अथवा समझ में नहीं आता है। कार्य देखकर कहने लगते हो कि देव चमत्कार है या कोई जादू टोना है या फिर शंका होने लगती है हमें वस्तुस्थिति को स्वीकार करना चाहिए उसे दृढ़ श्रद्धान करके अपना लेना चाहिए वस्तुस्थिति की जानकारी होने पर लोगों का भ्रम दूर हो जाता है। यह बात भाग्याेदय में विराजमान आचार्यश्री विद्यासागर महाराज ने गुरुवार काे धर्म सभा में कही। आचार्य श्री ने कहा की दो महिलाएं थी। एक कर्म सिद्धांत पर भरोसा करती थी तो दूसरी महिला थोड़ा यूं ही पर विश्वास करती थी एक दिन महिला ने देखा एक राजा पहले हाथी पर फिर घोड़े पर सवार होता है फिर पालकी पर सवार होता है और जब वह पालकी से उतरता है तो दो चार लोग उसके पांव दबाने लग जाते हैं तो दूसरी सखी पहली से कहती है यह क्या नाटक हो रहा है। पांव तो उनके दबाने चाहिए जिन्होंने पालकी उठाई है यह कब थके, यह चले ही नहीं कहां से थक गए होंगे।
आचार्य श्री ने कहा कि कर्म सिद्धांत को जाने वाली महिला ने कहा कि यह पूर्व में मुनि महाराज थे उस समय उन्होंने कठिन तप किया था भूमि पर शयन किया था उपवास किए थे गाड़ी में नहीं बैठे कभी पैदल विहार करते रहै। आचार्य श्री ने कहा यहां से स्वर्ग में जाते हैं वहां थकना आदि कुछ नहीं होता है फिर एक एक देव के अनेक सेवक होते हैं जो दिन-रात सेवा ही करते रहते हैं किंतु सम्यक दृष्टि उन सब में कभी रुचि नहीं लेता है जैसे-जैसे अध्यात्म के निकट पहुंचते हैं वैसे वैसे भोग विलास पैर चूमने आती है।
आचार्य श्री का पूजन क्षमा सागर महिला मंडल ने किया। आचार्य श्री का पाद प्रक्षालन हुअा।
सहस्त्र कूट जिनालय के लिए प्रतिमा विराजमान करने की घोषणा कर्इ लाेगाें द्वारा की गर्इ। कार्यक्रम का संचालन मुकेश जैन ढाना और सुरेंद्र मालथोन ने किया
सहस्त्र कूट जिनालय का भूमि पूजन किया गया
भाग्योदय तीर्थ परिसर में आचार्य श्री के आशीर्वाद से बनने वाले सर्वतोभद्र जिनालय के सामने स्थित सहस्त्रकूट जिनालय का भूमि पूजन गुरुवार को दोपहर 3.30 बजे आचार्य श्री के ससंघ सानिध्य में प्रतिष्ठाचार्य ब्रह्मचारी विनय भैया ने कराया। सहस्त्रकूट जिनालय में 1008 प्रतिमाएं विराजमान होना हैं। जिनमें 12 प्रतिमाएं बड़ी अाैर शेष 996 छोटी प्रतिमाएं विराजमान होंगी। सहस्त्रकूट जिनालय के निर्माण के लिए प्रेमचंद संध्या जैन सौरभ रूही जैन गौरव अनामिका और नीरज पायल जैन के परिवार में नीव से लेकर शिखर तक का निर्माण कराने की घोषणा की है। इसी परिवार ने आज शिलान्यास की प्रथम शिला विधि विधान के साथ रखी इस अवसर पर सर्वतोभद्र जिनालय और निर्माण कमेटी के सभी सदस्य उपस्थित थे । कुल 97 मुनि महाराज और माता जी के सानिध्य में यह शिलान्यास हुआ।
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