आचार्य श्री मुनिवर विद्यासागर जी पर ये लेख पढ़कर बचपन की स्मृतियां ताजा हो गईं जब अपने पूज्य पिताजी (अब स्वर्गीय) पं. विद्याधर जी शास्त्री के साथ किशनगढ़-रेनवाल (राजस्थान) के जैन भवन में जाकर 'मेरी भावना' का सस्वर वाचन (हम दोनों भाई!) आचार्य श्री के सान्निध्य में किया करते थे और आचार्य श्री का स्नेहिल आशीर्वाद मिला करता था। पूज्य पिताजी को भी आचार्य श्री के साथ संस्कृत अनुशीलन और पठन पाठन का अपूर्व सौभाग्य मिला। आचार्य श्री को मेरा सादर प्रणाम ? और चरण स्पर्श! -चंद्रकांत चंद्रमौलि
(Twitter handle @cchandramouli1)