*ऐसा संत कहाॅं से लाऊॅं भारत माॅं?*
*जिसने भारत को पहचान दिलाई,*
*जिसने जन-जन को राह दिखाई,*
*ऐसा गुरु कहाॅं से लाऊॅं भारत माॅं?*
*दिल की गहराई को जानने वाला,*
*मोक्ष-मार्ग पर अग्रसित हो चला,*
*ऑंखें आज नम-सी हैं,*
*ऐसे आचार्य को कहाॅं खोजूॅं अब?*
*जो अंत तक दिल में समाया हो,*
*नत-मस्तक हर माथा,*
*उस गुरुवर को सदा वंदन करने में,*
*जन-जन चाह रखने वाला,*
*दीपक-सा उजियाला देने वाला,*
*जैन धर्म का संत,*
*बोलो, आज कहाॅं से लाऊॅं?*
*नमन तुम्हें कोटि-कोटि गुरुवर*
*नमन तुम्हें कोटि-कोटि गुरुवर*
*_नतमस्तक हूॅं आज, डोंगरगढ़ की पावन-भूमि को,_*
*_जो बनेगा एक तीर्थ-धरोहर,_*
*_सौंप दिया जीवन प्रभुवर को,_*
*_अब धरती को स्वर्ग कौन बनाए ?_*
*_हमारे गुरुवर ही अब उस परमात्मा_*
*_के निकट जो आये ..,_*
*_निर्मल मन से वंदन करूॅं,_*
*_ऑंखों की धारा से,_*
*_बस दिल से याद करें,_*
*_सफ़ल हो मार्ग-क्रमन गुरुवर तुम्हारा,_*
*_यही हर कोई दिल से दुआ करे।_*
*🙏कोटि-कोटि वंदन गुरुवर !!!*🙏
*इंडिया नहीं, भारत कहें।*