आचार्य श्री के चरणो में
त्रिकाल वंदन कोटीश नमन
'इस युग का सौभाग्य रहा कि इस युग में गुरुवर जन्मे,
हम सब का सौभाग्य रहा गुरुवर के युग में हम जन्मे'
गुरु जो खुद ज्ञान की ज्योती है
हमारे जीवन में प्रकाश फैलाते है
सन्मार्ग की ओर ले जाते है
उनके आशिष से मन की शांती मिलती है
कृपा तेरी जो हमपे, भुला पायेगें कैसे,
जंग ये जो जिवन की लढेंगे तेरे बिन कैसे
अंधेरा जब घना छाये,तो सुरज बन के ही आये,
मेरे जिवन में आशा की ,किरण बस तूही तो लाए
गुरु को करु है वंदन ,तो जीवन बन जाए मधुबन,
वो रहते हर दम पास, है विश्वास
हिमाचल सा तु है उंचा, समंदर से भि तु है गेहरा,
रुप तु तो है ईश्र्वर का,तुझसे है ये जग सारा
वो तेरे नाम की माला,करे शितल हर एक ज्वाला,
चांद तैसी शितल छाया,की जी अद्धभूत तुने पाया
सफल हो मेरा जीवन,तु मेरे जीवन का दर्पण,
वो रहते हर दम पास, है विश्वास