आचार्य भगवान की बातों को हमे अपने जीवन मे धारण करना चाहिए तभी हमारा मानव जीवन सार्थक होगा।इसी से हमारा देश,हमारी संस्कृति, हमारे संस्कार और हमारी परम्परायें आगे बढ़ेगी।हम सभी को अपने बच्चों को एवं स्वयं को अपनी मातृभाषा को ही अपनाना चाहिए।गुरुदेव की देशना ही मंगलकारी है।
कोटिशः नमन