वर्तमान के वर्थमान सन्त शिरोमणि १०८ आचार्य श्री विद्यासागर जी महा मुनिराज के श्री चरणों में शत्-शत् नमोस्तु । जिस दिन गुरूवर को अपने हाथों से आहार दूंगा वह दिन मेरी जिंदगी का सबसे सुखद दिन होगा । हे गुरुवर, हम यही भावना भाते हैं कि निकट भविष्य में आपका समवशरण लगे और हम धर्म सभा में आपके श्रोता हो । मुकेश कुमार जैन पाण्डया, उदयपुर