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प्रवचन Reviews posted by रतन लाल
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ते ते पांव पसारिए, जेती लांबी सौड़
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जो है उसी में संतुष्ट रहो
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आत्मा का स्वभाव सरल रखो
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रत्नत्रय को पाने की चेष्टा रखो
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पाश्चात्य संस्कृति की काली छाया समाज को विकृत कर रही है
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मेरा है सो जावे नहीं, जावे सो मेरा नहीं
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तृष्णा की खाई कभी भरती नहीं
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क्षमा वीरस्य भूषणम्
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लक्ष्य पर नजर रखो इधर उधर नहीं
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दान ऐसे करें कि दांए हाथ से करो तो बांए हाथ को भी पता नहीं लगे
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पाप से घृणा करो पापी से नहीं
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काल करे सो आज कर आज करे सो अब, पर में प्रलय होएगी बहुरी करेगो कब
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भोजन को भगवान का प्रसाद समझकर ग्रहण करो
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हाड़ मांस मय चर्म मम तामे एसी प्रीति जो ये होती तीर्थंकर में तो न होती भवभीति
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गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागूं पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए
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आत्मा पर प्रहार होता है जब आधुनिक चातुर्मास साधना काल के स्थान पर शक्ति प्रदर्शन काल से लगने लगते हैं
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अहिंसा परमो धर्म
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गुरु गोविंद दोनों खड़े काके लागूं पाय बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए
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नमोस्तु धरा पर विराजमान समस्त मुनियों को
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अलौकिक शक्ति के धारक थे आचार्य श्री शान्तिसागर
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देखने में आया है कि पंचम काल में दिगम्बर मुनियों में शिथिलाचार की प्रवृत्ति घर करती जा रही है
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मांस निर्यात पर रोक लगाई जाए
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धर्म आत्मा का स्वभाव है
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सफलता चाहते हो तो सीढ़ियां चढ़नी ही पड़ेगी
सिद्धोदयसार 16 - पाप का प्रायश्चित ही पुण्य है
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In विद्या वाणी
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सत्यमेव जयते