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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

shweta jain mandla

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  1. मैं हूं आकाश का एक परिंदा आप उन्मुक्त गगन बन गए मैं हूं कहानी का एक अक्षर आप पूरी कहानी बन गए मैं हूं संसार का एक अंश आप पूरा संसार बन गए मैं हूं एक जीवात्मा आप परमात्मा बन गए।। श्वेता।।।
  2. कुछ तो बात रही , उन आंखों में, कुछ तो बात रही, उन उठे हुए हाथों में, अपनी गहराई भरी आंखों से , कहते रहे अपनी पूरी कहानी । कहते रहे मुझे तो जाना है, इस देह से परे, देखो ,मेरी आंखों में और पहचानो सर्व सच को, धीरे धीरे अपने हाथों को हिलाते हुए, आंखों से कह गए गुरुजी सच को स्वीकार कर आगे बढ़ो और बढ़ते ही रहो।।। श्वेता।।
  3. कुछ तो बात रही , उन आंखों में, कुछ तो बात रही, उन उठे हुए हाथों में, अपनी गहराई भरी आंखों से , कहते रहे अपनी पूरी कहानी । कहते रहे मुझे तो जाना है, इस देह से परे, देखो ,मेरी आंखों में और पहचानो सर्व सच को, धीरे धीरे अपने हाथों को हिलाते हुए, आंखों से कह गए गुरुजी सच को स्वीकार कर आगे बढ़ो और बढ़ते ही रहो।।। श्वेता।।
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