कुछ तो बात रही , उन आंखों में,
कुछ तो बात रही, उन उठे हुए हाथों में,
अपनी गहराई भरी आंखों से ,
कहते रहे अपनी पूरी कहानी ।
कहते रहे मुझे तो जाना है,
इस देह से परे,
देखो ,मेरी आंखों में
और
पहचानो सर्व सच को,
धीरे धीरे अपने हाथों को हिलाते हुए,
आंखों से कह गए गुरुजी
सच को स्वीकार कर
आगे बढ़ो और बढ़ते ही रहो।।।
श्वेता।।