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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

Madhu Lika Jain

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  1. 🙏🙏🙏 स्वर्ग से सुंदर, सपनों से प्यारा, है गुरुवार का दरबार 🙏🙏🙏 रसों से दूर रहना है, रस-परित्याग, रस में रस नहीं लेना है। 🙏🙏🙏
  2. 🙏🙏🙏 आज के प्रवचन में गुरुदेव भ्रमर का उदाहरण देते हुए उसकी यात्रा के बारे में बताते हैं। जो व्यवहार में सो जाता है निश्चय में जाग जाता है। व्यवहार में सो जाओ, निश्चय में जाग जाओ। 🙏 ज्यादा मीठा बोलना अच्छा नहीं है। क्योंकि वह अनेक प्रकार के अर्थ के देनेवाला होता है। 🙏🙏🙏
  3. परमहंस या बगुला भगत हंस और बगुला, एक जैसे दिखने वाले पक्षी, बाहर से सफ़ेद। पर हंस, अन्दर से भी सफेद। वह पानी में खड़े होकर, मोती चुनता है। और बगुला, अन्दर से काला, धूर्त होता है। पानी में, एक टांग पर खड़ा होता है, मानो तपसी की तरह तप कर रहा हो ! पर उसकी दृष्टि तो मछली पर होती है। मछली को पकड़ने चाल ! इसीलिए ऐसे चालाकों को, मायाचारियों को बगुला भगत कहते हैं। गुरुदेव कहते हैं - परमहंस बनो, बगुलाभगत नहीं।
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