आर्तममनोज्ञस्य संप्रयोगे तद्विप्रयोगाय
स्मृतिसमन्वाहारः ॥३०॥
अर्थ - विष, काँटा, शत्रु आदि अप्रिय वस्तुओं का समागम होने पर उनसे अपना पीछा छुड़ाने के लिए बार-बार चिंतन करना अनिष्टसंयोग नामक आर्तध्यान है।
English - Upon receipt of a harmful object, thinking again and again for its removal is the first kind of sorrowful meditation.